बेंगलुरु में इस्कॉन मंदिर इस्कॉन सोसाइटी बैंगलोर का है, मुंबई का नहीं: सुप्रीम कोर्ट
इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस मुंबई और इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस बैंगलोर के बीच 24 साल पुराने संपत्ति विवाद का फैसला करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (16 मई) को कहा कि बेंगलुरु में इस्कॉन मंदिर इस्कॉन सोसाइटी बैंगलोर का है, जो कर्नाटक सोसाइटीज एक्ट के तहत रजिस्टर्ड है।
जस्टिस अभय ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि संपत्ति इस्कॉन सोसाइटी, मुंबई की है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट का फैसला बहाल कर दिया गया।
बेंगलुरु स्थित इस्कॉन सोसाइटी को जुलाई, 1978 में कर्नाटक सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत रजिस्टर्ड किया गया था। इसने दावा किया कि उसने 3 अगस्त, 1988 को हरे कृष्णा हिल्स में बैंगलोर विकास प्राधिकरण से लगभग छह एकड़ जमीन हासिल की और भक्तों से एकत्र किए गए धन का उपयोग करके उस पर एक मंदिर और सांस्कृतिक परिसर का निर्माण किया।
इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) मुंबई को सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1860 और बॉम्बे पब्लिक ट्रस्ट एक्ट, 1950 के तहत रजिस्टर्ड किया गया था। इसकी स्थापना 1966 में श्रील प्रभुपाद ने की थी और इसका रजिस्टर्ड कार्यालय हरे कृष्ण भूमि, जुहू, मुंबई में है।
मई, 2011 में कर्नाटक हाईकोर्ट ने इस्कॉन मुंबई द्वारा दायर अपील को अनुमति दी, जिसमें 17 अप्रैल, 2009 को इस्कॉन बैंगलोर के पक्ष में दिए गए ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई।
ट्रायल कोर्ट ने घोषित किया कि बैंगलोर में रजिस्टर्ड सोसायटी हरे कृष्ण हिल्स, राजाजीनगर बैंगलोर में मंदिर की संपत्ति की पूर्ण स्वामी है। इस्कॉन मुंबई को इसके मामलों में हस्तक्षेप करने से रोक दिया। अदालत ने इस्कॉन मुंबई और इसके संबद्ध पदाधिकारियों के उस प्रतिवाद को भी खारिज कर दिया, जिसमें बैंगलोर सोसायटी के खिलाफ स्थायी निषेधाज्ञा की मांग की गई।
2001 में दायर मुकदमे में इस्कॉन बैंगलोर ने यह घोषणा करने की मांग की कि वह हरे कृष्ण हिल्स संपत्ति का पूर्ण स्वामी और मालिक है, यह घोषणा कि इस्कॉन मुंबई को अपने पदाधिकारियों को हटाने का कोई अधिकार नहीं है, यह घोषणा कि इस्कॉन मुंबई का अपनी संपत्तियों या प्रशासन पर कोई नियंत्रण नहीं है। इस्कॉन मुंबई और इससे जुड़े व्यक्तियों को इसके मामलों में हस्तक्षेप करने से रोकने के लिए एक स्थायी निषेधाज्ञा। इस्कॉन मुंबई ने दावा किया कि बैंगलोर केंद्र ने कभी भी एक स्वतंत्र कानूनी इकाई के रूप में काम नहीं किया है। हमेशा इस्कॉन मुंबई के तहत एक शाखा के रूप में काम किया है। इसने तर्क दिया कि इस्कॉन बैंगलोर द्वारा या उसके नाम पर अर्जित सभी संपत्तियां वास्तव में इस्कॉन मुंबई में निहित हैं।
ट्रायल कोर्ट ने बैंगलोर सोसाइटी के मामले को स्वीकार कर लिया और उसके पक्ष में फैसला सुनाया। इससे व्यथित होकर इस्कॉन मुंबई और इसके कुछ संबद्ध पदाधिकारियों ने हाईकोर्ट के समक्ष पहली अपील दायर की।
23 मई, 2011 को हाईकोर्ट ने इस्कॉन मुंबई द्वारा दायर अपील स्वीकार की। इसने ट्रायल कोर्ट का फैसला खारिज कर दिया और माना कि बैंगलोर सोसायटी मुंबई सोसायटी की एक शाखा है।
हाईकोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि हरे कृष्ण हिल्स मंदिर परिसर का शीर्षक और कब्ज़ा इस्कॉन मुंबई के पास है। इसने बैंगलोर में रजिस्टर्ड सोसायटी द्वारा दायर मुकदमा खारिज कर दिया और बैंगलोर के पदाधिकारियों द्वारा हस्तक्षेप के खिलाफ स्थायी निषेधाज्ञा के लिए इस्कॉन मुंबई के प्रतिवाद को खारिज कर दिया।
केस टाइटल- इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस बैंगलोर बनाम इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस मुंबई और अन्य।