सुप्रीम कोर्ट ने कर्मचारी के रिटायरमेंट बकाया के खिलाफ विलंबित और निराधार याचिका दायर करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार पर 10 लाख का जुर्माना लगाया
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में पश्चिम बंगाल राज्य पर एक कर्मचारी के उचित रिटायरमेंट बकाया के खिलाफ विलंबित और निराधार याचिका दायर करने के लिए 10 लाख का जुर्माना लगाया, जो 18 वर्षों से भुगतान नहीं किया गया था। यह जुर्माना रिटायर कर्मचारी (मामले में प्रतिवादी) को भुगतान करने का निर्देश दिया गया।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने रिटायर कर्मचारी से जुड़े मामले की सुनवाई की, जिसे 2007 में अपनी रिटायरमेंट के बाद से उसका रिटायरमेंट बकाया नहीं मिला था।
अपीलकर्ता-पश्चिम बंगाल राज्य ने कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की, जिसने प्रतिवादी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही रद्द की और राज्य को उसके लंबे समय से लंबित रिटायरमेंट बकाया को जारी करने का निर्देश दिया था।
प्रतिवादी की परेशानी 1989 में शुरू हुई जब उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू की गई। 1994 में उन्हें दोषमुक्त कर दिया गया।
हालांकि 1997 में सजा का प्रस्ताव करते हुए एक कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। प्रतिवादी ने जवाब दिया लेकिन आगे कोई कार्रवाई नहीं की गई। फिर तेरह साल बाद, 2010 में - 2007 में उनकी रिटायरमेंट के तीन साल बाद - राज्य ने उसी कथित कदाचार के लिए दूसरा कारण बताओ नोटिस जारी किया।
इस नोटिस को चुनौती देते हुए प्रतिवादी ने मामले को कलकत्ता हाईकोर्ट में ले जाया, जिसने अंततः अनुशासनात्मक कार्यवाही रद्द करके और राज्य को उनकी रिटायरमेंट बकाया राशि जारी करने का निर्देश देकर उनके पक्ष में फैसला सुनाया।
राज्य ने तब इस फैसले के खिलाफ 391 दिनों की पर्याप्त देरी के साथ सुप्रीम कोर्ट में अपील की।
शुरू में न्यायालय ने एक कर्मचारी की सेवानिवृत्ति के वर्षों बाद अनुशासनात्मक कार्यवाही को पुनर्जीवित करने की राज्य की कार्रवाई पर निराशा व्यक्त की, विशेष रूप से उन्हीं आधारों पर जिनके आधार पर पहले जांच पूरी हो चुकी थी।
अदालत ने कहा,
"ऊपर दर्ज तथ्यों को ध्यान में रखते हुए यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि 2007 में सेवानिवृत्त हुए व्यक्ति को 18 साल बाद भी उसकी सेवानिवृत्ति की राशि का भुगतान नहीं किया गया। उसे केवल अनंतिम पेंशन मिल रही है।"
अदालत ने कहा,
"मामले के उपरोक्त तथ्यों को देखते हुए हम पश्चिम बंगाल राज्य द्वारा दायर इन याचिकाओं को देरी के साथ-साथ गुण-दोष के आधार पर खारिज करते हैं और प्रतिवादी को आज से चार सप्ताह के भीतर भुगतान किए जाने वाले 10,00,000 रुपये (केवल दस लाख रुपये) का जुर्माना भी लगाते हैं। इसके अलावा सभी लंबित रिटायरमेंट बकाया राशि का भुगतान उसी समय के भीतर किया जाना चाहिए।"
तदनुसार अपील खारिज कर दी गई।
केस टाइटल: पश्चिम बंगाल राज्य और अन्य बनाम एमडी कमालुद्दीन अंसारी और अन्य।