सुप्रीम कोर्ट ने कथित अवमाननापूर्ण बयानों के लिए IMA अध्यक्ष के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली पतंजलि MD की याचिका पर नोटिस जारी किया

Update: 2024-05-07 12:36 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि MD आचार्य बालकृष्ण द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें मीडिया को दिए गए इंटरव्यू में भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) के अध्यक्ष द्वारा दिए गए कथित अपमानजनक बयानों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई।

जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की खंडपीठ भ्रामक विज्ञापनों के प्रकाशन को लेकर पतंजलि के खिलाफ अवमानना ​​मामले की सुनवाई कर रही थी। उल्लेखनीय है कि कोर्ट ने अब इस मामले में इंटरव्यू के अध्यक्ष को भी सह-प्रतिवादी के रूप में पक्षकार बनाया।

गौरतलब है कि 30 अप्रैल को सुनवाई के दौरान पतंजलि के वकील सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने उक्त इंटरव्यू को कोर्ट के संज्ञान में लाया। आरोप लगाया गया कि IMA अध्यक्ष ने एलोपैथिक डॉक्टरों द्वारा अनैतिक व्यवहार की शिकायतों पर IMA द्वारा कार्रवाई करने की आवश्यकता के बारे में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों की आलोचना करते हुए उन्हें अस्पष्ट और दुर्भाग्यपूर्ण बताया।

इसके बाद न्यायालय ने पतंजलि के वकीलों को संबंधित इंटरव्यू को रिकॉर्ड पर लाने की अनुमति दी। सुनवाई की शुरुआत में रोहतगी ने खंडपीठ को इस आवेदन के बारे में जानकारी दी। इस संबंध में न्यायालय ने सीनियर वकील पी.एस. पटवालिया से जवाब मांगा।

खंडपीठ ने IMA अध्यक्ष डॉ. आर.वी. अशोकन द्वारा दिए गए साक्षात्कार की कड़ी निंदा की, खासकर तब जब मामला न्यायालय में लंबित है।

खंडपीठ ने कहा,

“ऐसे मामले में जहां आपके मुवक्किल के अध्यक्ष प्रेस में जाते हैं और विचाराधीन मामले में बयान देते हैं? आप ही हैं, जिन्होंने दूसरे पक्ष को यह कहने पर मजबूर किया कि वे भ्रामक विज्ञापन चला रहे हैं। आप क्या कर रहे हैं? (न्यायालय की कार्यवाही) पर टिप्पणी कर रहे हैं।”

पटवालिया ने जब कहा कि अध्यक्ष ज्यादातर फैसले की प्रशंसा कर रहे थे तो न्यायालय ने तुरंत यह कहते हुए जवाब दिया कि उसे पीठ थपथपाने की जरूरत नहीं है।

जस्टिस कोहली ने कहा,

“इस मासूम जवाब से हम संतुष्ट नहीं है।”

उन्होंने आगे कहा,

“हम यह स्पष्ट कर दें कि इस न्यायालय को किसी भी चीज के लिए पीठ थपथपाने की जरूरत नहीं है। यह न्यायालय इस तथ्य से अवगत है और आपको भी इससे अवगत होना चाहिए कि इसके पास यह सब संभालने के लिए पर्याप्त व्यापक भुजाएं हैं।”

इस उपरोक्त प्रक्षेपण के मद्देनजर न्यायालय ने नोटिस जारी करते हुए IMA को सुनवाई की अगली तारीख यानी 13 मई तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा।

केस टाइटल: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन बनाम यूनियन ऑफ इंडिया | डब्ल्यू.पी.(सी) नंबर 645/2022

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