दिल्ली नगर निगम की मेयर शेली ओबेरॉय ने MCD की स्थायी समिति के सदस्य के चुनाव को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया
दिल्ली नगर निगम (MCD) की मेयर शेली ओबेरॉय ने शुक्रवार (27 सितंबर) को हुए MCD की स्थायी समिति के छठे सदस्य के चुनाव को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने जीत हासिल की थी। आम आदमी पार्टी (AAP) ने यह आरोप लगाते हुए चुनाव का बहिष्कार किया कि यह प्रक्रिया दिल्ली नगर निगम अधिनियम के विपरीत है।
यह तर्क दिया गया कि स्थायी समिति का चुनाव उपराज्यपाल (एलजी) के निर्देशों के आधार पर हुआ था और नगर आयुक्त, आईएएस अधिकारी ने बैठक बुलाई थी। इसे अवैध माना जाता है, क्योंकि केवल MCD का मेयर ही निगम बैठक की तारीख, समय और स्थान तय कर सकता है, जहां स्थायी समिति का चुनाव होता है।
दिल्ली नगर निगम प्रक्रिया और व्यवसाय संचालन विनियम 1958 के विनियम 51 का संदर्भ देते हुए कहा गया कि स्थायी समिति का चुनाव मेयर की अध्यक्षता में निगम बैठक में होना चाहिए। इसके अलावा, विनियमन 3 (2) में निर्दिष्ट किया गया कि ऐसी बैठकों के लिए तिथि, समय और स्थान केवल महापौर द्वारा ही तय किया जा सकता है। यह कहा गया कि MCD Act की धारा 76 निर्दिष्ट करती है कि इन बैठकों के लिए पीठासीन अधिकारी महापौर या उनकी अनुपस्थिति में उप महापौर होना चाहिए।
हालांकि, निर्वाचित महापौर के बजाय आईएएस अधिकारी को बैठक का पीठासीन अधिकारी बनाया गया, जो याचिकाकर्ता ने तर्क दिया, घोर अवैध और असंवैधानिक है।
BJP के कमलजीत सेहरावत के लोकसभा में निर्वाचित होने के कारण छठे सदस्य की रिक्ति उत्पन्न हुई।
इससे पहले शुक्रवार को BJP ने स्थायी समिति में रिक्त स्थान को भरने के लिए चुनाव कराने में विफलता को लेकर महापौर के खिलाफ अवमानना याचिका के साथ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। पार्टी ने कहा कि महापौर ने चुनाव को 5 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया। इस तरह एक महीने के भीतर रिक्त स्थान को भरने के लिए 5 अगस्त को पारित न्यायालय के निर्देश का उल्लंघन किया।