सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकों की कथित हत्या के लिए 30 सैन्यकर्मियों पर मुकदमा चलाने की याचिका पर रक्षा मंत्रालय को नोटिस जारी किया
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (15 जुलाई) को नागालैंड राज्य द्वारा दायर रिट याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया, जिसमें भारतीय सेना के 30 कर्मियों पर मुकदमा चलाने की मंजूरी मांगी गई, जिन पर दिसंबर 2021 में मोन जिले में एक असफल सैन्य अभियान के दौरान 13 नागरिकों की हत्या का आरोप है।
राज्य ने अभियोजन के लिए सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम 1958 के तहत मंजूरी देने से इनकार करने के केंद्र द्वारा 28 फरवरी को लिए गए फैसले को चुनौती दी।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने रक्षा मंत्रालय को नोटिस जारी किया जिसका जवाब छह सप्ताह में देना है।
राज्य ने दलील दी कि हालांकि राज्य पुलिस के पास आरोपी सैन्यकर्मियों के खिलाफ सबूत हैं लेकिन केंद्र ने अभियोजन की मंजूरी देने से इनकार किया। राज्य की ओर से एडवोकेट जनरल केएन बालगोपाल पेश हुए।
जुलाई 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने सशस्त्र बल विशेष सुरक्षा अधिनियम के तहत मंजूरी नहीं मिलने पर आरोपी अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने पर रोक लगा दी।
4 दिसंबर, 2021 को उन्होंने पूर्वी नागालैंड के ओटिंग गांव में खनिकों को ले जा रहे पिकअप ट्रक पर कथित तौर पर गोलीबारी की थी। बाद में इस घटना के संबंध में भारतीय दंड संहिता, 1860 (IPC) की धारा 302, 307, 326, 201, 34 के साथ धारा 120-बी के तहत एफआईआर दर्ज की गई।
इस घटना के बाद नागालैंड विधानसभा ने स्पेशल सेशन में भारत सरकार से सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम, 1958 को उत्तर पूर्व से, विशेष रूप से नागालैंड से निरस्त करने की मांग करने का सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया।
केस टाइटल- नागालैंड राज्य बनाम भारत संघ | रिट याचिका (आपराधिक) डायरी संख्या 17297/2024