सुप्रीम कोर्ट COVID-19 महामारी के बीच रजिस्ट्री अधिकारियों, वकीलों और वादियों के लिए 'मेंटल अवेयरनेस' वर्कशॉप आयोजित करेगा

Update: 2020-09-15 05:32 GMT

सर्वोच्च न्यायालय ने एक प्रेस नोट जारी किया है जिसमें संकेत दिया गया है कि कोरोना महामारी के बीच एक कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा, जिसमें अधिकारियों, रजिस्ट्री अधिकारियों और वकीलों का समग्र कल्याण सुनिश्चित करने और उनमें अपने काम के प्रति जागरूकता पैदा करने के साथ उन्हें काम के दौरान होने वाले तनाव, भय और चिंताओं से निपटने में सक्षण बनाया जा सके।

सुप्रीम कोर्ट के जनसंपर्क कार्यालय की ओर से जारी किए गए एक बयान में कहा गया है,

"... एक संवादात्मक कार्यशाला 'MIND MATTERS' का आयोजन निदेशक, मानव व्यवहार और संबद्ध विज्ञान संस्थान, दिल्ली के साथ मिलकर दिनांक 15.09.2020 को दोपहर 3.30 बजे मल्टीप्रपज़ हॉल, 'C' ब्लॉक, अतिरिक्त क्षेत्रीय परिसर में किया जा रहा है।

प्रेस नोट में कहा गया है कि भारत के मुख्य न्यायाधीश ने मौजूदा वक़्त में चल रही "अभूतपूर्व स्थिति" से उत्पन्न अनिश्चितता को पहचान लिया है, जिसके कारण तनाव, भय और चिंता पैदा हो गई है, जिसे दूर करने के लिए उनके आधिपत्य ने एक "आम कार्यशाला" आयोजित करने को लेकर पहल की है।

इसके साथ ही बयान बताता है कि भले ही सुप्रीम कोर्ट प्रशासन भौतिक पहलू पर ध्यान केंद्रित कर रहा है और छूत से संबंधित सभी की भौतिक सुरक्षा सुनिश्चित कर रहा है, तो भी रिसर्च ने महामारी के दीर्घकालिक मनोवैज्ञानिक संकट का संकेत दिया है।

बयान में कहा गया है,

"इन तनावपूर्ण और परीक्षण के समय के मद्देनजर, प्रशासन में नेतृत्व करने और सभी अधीनस्थों के समग्र कल्याण को सुनिश्चित करने के अलावा खुद को मानसिक रूप से मजबूत और अच्छी तरह से तनाव और चिंता से निपटने के लिए सुसज्जित रखने की आवश्यकता होती है। इस आवश्यकता पर भारत के मुख्य न्यायाधीश ने समग्र कल्याण सुनिश्चित करने और हितधारकों अर्थात रजिस्ट्री के अधिकारियों, अधिकारियों और अधिवक्ताओं के साथ-साथ मुकदमों के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए पहल की है, ताकि वे तनाव, भय और महामारी से प्रेरित चिंताओं से निपटने में सक्षम हों।"

साथ ही कहा गया है कि रजिस्ट्रार और अतिरिक्त रजिस्ट्रार रैंक के सभी अधिकारी कार्यशाला में शामिल होंगे। कार्यशाला के अनुभव से सीखने के साथ ही अन्य स्टाफ सदस्यों और भविष्य में हितधारकों के लिए इंटरैक्टिव कार्यक्रमों की व्यवस्था की जाएगी।

प्रेस नोट यह भी बताता है कि सर्वोच्च न्यायालय भविष्य में "मेंटल वेलनेस हेल्पडेस्क" और "टेलीकॉन्सेलेशन" जैसे कार्यशाला भी आयोजित करा सकता है।

Tags:    

Similar News