पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने योग्यता छिपाने के आरोपी IIM रोहतक निदेशक के खिलाफ कार्रवाई की अनुमति दी
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने IIM रोहतक के निदेशक डॉ. धीरज शर्मा के खिलाफ कार्रवाई करने पर केंद्र सरकार पर लगी रोक हटा दी, जिन पर आरोप है कि उन्होंने पद के लिए आवश्यक योग्यता प्रथम श्रेणी ग्रेजुएट डिग्री नहीं होने की बात छिपाई।
न्यायालय ने 2022 में संघ द्वारा उन्हें भेजे गए कारण बताओ नोटिस से उत्पन्न होने वाली कार्रवाई पर रोक लगाई, यह देखते हुए कि इसे चुनौती देने वाली याचिका लंबित है।
जस्टिस विनोद एस. भारद्वाज ने कहा,
"प्रतिवादी (केंद्र सरकार) याचिकाकर्ता (धीरज शर्मा) को पहले से ही दिए गए उपर्युक्त कारण बताओ नोटिस पर अंतिम आदेश पारित कर सकते हैं, जिसका उत्तर याचिकाकर्ता को सुनवाई का अवसर देने के बाद पहले ही दिया जा चुका है।"
सुनवाई के दौरान एएसजी सत्य पाल जैन ने तर्क दिया कि कारण बताओ नोटिस पहले ही भेजा जा चुका है, लेकिन अंतिम आदेश पारित करने पर रोक लगा दी गई। दो साल से अधिक समय से स्थिति अपरिवर्तित बनी हुई।
उन्होंने आगे कहा कि याचिकाकर्ता की ओर से किसी न किसी बहाने से मामले में देरी की जा रही है। अंतिम रूप से बहस नहीं की जा रही है।
इन दलीलों पर विचार करते हुए न्यायालय ने रोक हटा ली और कार्यवाही के अगले दिन यानी 28 जनवरी तक केंद्र के अंतिम आदेश को रिकॉर्ड पर रखने का निर्देश दिया।
केंद्र सरकार द्वारा शर्मा को यह छिपाने के लिए जारी किए गए कारण बताओ नोटिस को कि उनके पास प्रथम श्रेणी की डिग्री नहीं है, उन्होंने इस आधार पर चुनौती दी कि प्राधिकरण (भारत सरकार के अवर सचिव) नियमों के तहत नियुक्ति प्राधिकारी नहीं होने के कारण इसे जारी करने में सक्षम नहीं है।
न्यायालय ने 2022 में कहा कि कारण बताओ नोटिस से उत्पन्न होने वाली कार्रवाई स्थगित रहेगी, यह देखते हुए कि कारण बताओ नोटिस जारी करने वाले प्राधिकारी की योग्यता बहस योग्य रहेगी।