घातक हथियार से लैस होकर निजी बचाव के अधिकार का उल्लंघन किया: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हत्या की दोषसिद्धि को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने 2003 में हत्या के मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार किया, जिसमें कहा गया कि आरोपी व्यक्तियों ने निजी बचाव के अधिकार का उल्लंघन किया है, क्योंकि मृतक के साथ हाथापाई के दौरान वे घातक हथियारों से लैस थे।
जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर और जस्टिस सुदीप्ति शर्मा की खंडपीठ ने कहा,
"आरोपी पक्ष की नंबर अधिक होने के कारण शिकायतकर्ता पक्ष की संख्या अधिक होने के कारण साथ ही शिकायतकर्ता पक्ष के पास उतने हथियार नहीं थे, जितने कि आरोपी पक्ष के पास थे। इसलिए आरोपी पक्ष ने शरीर और संपत्ति की निजी रक्षा के अपने अधिकार का उल्लंघन किया। यह इस तथ्य से और भी पुख्ता हो जाता है कि आरोपी पक्ष ने मृतक निर्मल सिंह के शरीर पर चोट पहुंचाई, जबकि वह जमीन पर लेटा हुआ था। इसलिए निजी रक्षा का अधिकार यदि कोई हो, जिसका दावा आरोपी पक्ष द्वारा किया जा सकता था, उसका उल्लंघन किया गया।"
यह अपील दो दोषियों द्वारा दायर की गई, जिन्हें आईपीसी की धारा 302, 323 और 34 के तहत हत्या का दोषी ठहराया गया। ट्रायल कोर्ट द्वारा आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
एफआईआर के अनुसार मंगल सिंह और गुरदेव सिंह नामक दोनों आरोपियों ने मृतक के साथ झगड़ा किया। लोहे की रॉड और हैंडपंप के हैंडल से लैस आरोपियों ने मृतक पर जानलेवा हमला किया। परिणामस्वरूप वह घायल हो गया।
बयानों को सुनने के बाद न्यायालय ने कहा कि शव परीक्षण रिपोर्ट (पोस्टमार्टम) के अनुसार मौत सिर और मस्तिष्क पर लगी चोटों के कारण हुई थी, जो सामान्य प्रकृति में मौत का कारण बन सकती थी।
न्यायालय ने निजी बचाव के अधिकार में आरोपी व्यक्ति की दलील खारिज की।
खंडपीठ ने कहा कि यह भी देखना होगा कि जब हाथापाई हुई तो आरोपी व्यक्तियों की संख्या शिकायतकर्ता पक्ष से अधिक थी या नहीं।
खंडपीठ ने कहा,
"रिकॉर्ड पर उपलब्ध साक्ष्यों से यह भी पता लगाना आवश्यक है कि क्या आरोपी भी शिकायतकर्ता पक्ष की तरह ही हथियारबंद थे। महत्वपूर्ण रूप से यह भी निर्धारित करना आवश्यक है कि क्या आरोपी ने शरीर या व्यक्तियों की निजी रक्षा के अपने अधिकारों का उल्लंघन किया या नहीं।"
न्यायालय ने कहा,
"आरोपी पक्ष की बेहतर संख्या को देखते हुए शिकायतकर्ता पक्ष की संख्या के मुकाबले साथ ही शिकायतकर्ता पक्ष के पास उतने हथियार नहीं थे, जितने कि आरोपी पक्ष के पास थे। इसलिए आरोपी पक्ष ने शरीर और संपत्ति की निजी रक्षा के अपने अधिकार का उल्लंघन किया।”
खंडपीठ ने कहा कि यह बात इस तथ्य से स्पष्ट हो जाती है कि आरोपी पक्ष ने मृतक निर्मल सिंह के शरीर पर तब भी चोटें पहुंचाईं, जब वह जमीन पर लेटा हुआ था।
खंडपीठ ने कहा कि इसलिए निजी बचाव के अधिकार का उल्लंघन किया गया यदि कोई हो तो परिणामस्वरूप याचिका खारिज कर दी गई।
केस टाइटल- मंगल सिंह @ मंगा और अन्य बनाम पंजाब राज्य