उपचुनाव में निर्वाचित सरपंच 5 वर्ष पूरे होने तक कार्यकाल जारी रखने का दावा नहीं कर सकते: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

Update: 2024-10-17 07:36 GMT

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि उपचुनाव में निर्वाचित सरपंच पहली बैठक से 5 वर्ष की अवधि से अधिक कार्यकाल जारी रखने का दावा नहीं कर सकते।

अदालत ने पंजाब की ग्राम पंचायत भम्मे कलां से उपचुनाव में निर्वाचित सरपंच द्वारा दायर याचिका खारिज कीस जिसमें पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा होने पर अधिसूचना रद्द करने की मांग की गई थी।

जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर और जस्टिस सुदीप्ति शर्मा ने कहा,

"किसी ग्राम पंचायत के लिए लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित कोई भी सरपंच या पंच यह दावा नहीं कर सकता कि उसका कार्यकाल संबंधित ग्राम पंचायत के कार्यकाल से अधिक है, न ही कोई सरपंच या पंच जो ग्राम पंचायत के लिए निर्वाचित होता है, यह दावा कर सकता है कि संबंधित ग्राम पंचायत के लिए आम चुनाव या उपचुनाव होने के बाद 5 वर्ष की अवधि के बाद भी वह पद पर बना रहेगा, न ही वह यह दावा कर सकता है कि पहली बैठक से पांच वर्ष से अधिक समय तक वह पद पर बना रहेगा। इसलिए उसे इस तरह से सेवा करने की अनुमति दी जानी चाहिए।"

संविधान के अनुच्छेद 243E का अवलोकन करते हुए न्यायालय ने कहा कि प्रत्येक पंचायत का कार्यकाल जब तक कि उसे वर्तमान में लागू किसी कानून के तहत पहले भंग न कर दिया जाए। उसकी पहली बैठक के लिए नियत तिथि से पांच वर्ष तक जारी रहेगा इससे अधिक नहीं।

न्यायालय ने कहा,

"इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि प्रत्येक लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित ग्राम पंचायत का कार्यकाल 5 वर्ष की अवधि तक चलेगा, जब तक कि किसी मौजूदा कानून के वैध आह्वान के माध्यम से उसका विघटन पहले न हो जाए।"

वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता जो 5 वर्ष पूरे होने तक विस्तार का दावा कर रहा था, वह उपचुनाव में पंजाब की ग्राम पंचायत भम्मे कलां का सरपंच चुना गया था, जिसकी पहली बैठक 05 जनवरी, 2024 को आयोजित की गई थी।

पंजाब पंचायती राज अधिनियम 1994 का हवाला देते हुए खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में रिक्ति सरपंच या पंच की मृत्यु त्यागपत्र या हटाए जाने के कारण नहीं बल्कि चुनाव कराने में देरी के कारण उत्पन्न हुई थी।

परिणामस्वरूप न्यायालय ने माना,

"वर्तमान याचिकाकर्ता जो वर्ष 2023 में आयोजित उपचुनाव में सरपंच के रूप में निर्वाचित हुई। इस प्रकार यह दावा नहीं कर सकती कि उसे सरपंच के रूप में निर्वाचित होने की तिथि से या उचित प्रथम बैठक आयोजित होने की तिथि से 5 वर्ष की अवधि तक पद पर बने रहने का अधिकार दिया जाना चाहिए, क्योंकि इससे भारत के संविधान के अनुच्छेद 243ई के उप अनुच्छेद 1 और 1994 के अधिनियम की धारा 14 और 15 में की गई उद्देश्यपूर्ण स्पष्ट घोषणा पूरी तरह से विफल हो जाएगी।"

उपर्युक्त के आलोक में याचिका खारिज कर दी गई।

केस टाइटल: जसविंदर कौर बनाम पंजाब राज्य और अन्य

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