पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने 3 साल से अधिक समय के लिए उदारीकृत फैमिली पेंशन की मांग वाली सेना अधिकारी की विधवा की याचिका खारिज की
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सेना अधिकारी की विधवा की याचिका खारिज की, जिसमें उदारीकृत फैमिली पेंशन की मांग की गई। याचिका खारिज का कारण यह बताया गया कि उक्त यह आवेदन दाखिल करने की तिथि से तीन साल पहले तक सीमित थी लेकिन अधिकारी की मृत्यु के 10 साल से अधिक समय बीत जाने के बाद इसे दायर किया गया था।
जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर और जस्टिस सुदीप्ति शर्मा ने कहा,
"सक्षम न्यायिक मंच के समक्ष समय पर अपना पक्ष रखने में संबंधित पक्ष की ओर से स्पष्ट रूप से घोर विफलता रही है। परिणामस्वरूप उक्त देरी ने संबंधित प्रस्ताव को देरी और लापरवाही के दोष से जोड़ दिया।"
यह याचिका 2009 में भारत-चीन सीमा के पास तैनात सेना के अधिकारी नायक सुरिंदर कुमार की विधवा द्वारा दायर की गई थी। कुमार एक बड़े जंगल की आग को बुझाने में नागरिक प्रशासन और सैन्य अधिकारियों की मदद करते समय एक जले हुए पेड़ के गिरने से घातक रूप से घायल हो गए थे और उनकी मृत्यु हो गई थी।
कुमार को सिर में घातक चोटें आईं थीं और हृदय-श्वसन तंत्र का पतन हो गया था। उन्हें विधिवत युद्ध हताहत घोषित किया गया था।
याचिका में आदेश के उस हिस्से को अलग करने की मांग की गई, जिसके तहत सशस्त्र बल न्यायाधिकरण ने माना कि कुमार की पत्नी आजीवन विशेष फैमिली पेंशन के बजाय उदारीकृत फैमिली पेंशन की हकदार है, लेकिन यह 2019 में आवेदन दाखिल करने की तारीख से तीन साल पहले तक सीमित है।
प्रस्तुतियाँ सुनने के बाद न्यायालय ने नोट किया कि मृतक अधिकारी की विधवा को अग्निशमन अभियान के दौरान अधिकारी को लगी घातक चोट के संबंध में तुरंत सूचना दी गई थी।
पीठ ने कहा,
"वर्तमान याचिकाकर्ता को उक्त त्वरित सूचना दिए जाने के बावजूद, वह संबंधित पेंशन लाभों के संबंध में बंदोबस्ती से संबंधित दावे पर विचार नहीं कर रही है।"
न्यायालय ने याचिकाकर्ता के वकील के इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि याचिकाकर्ता के पति का मामला सरकारी नीति की श्रेणी "ई" के अंतर्गत आता है, न कि श्रेणी "डी" के अंतर्गत। इसलिए तीन साल का प्रतिबंध लागू नहीं होगा।
नीति का अध्ययन करते हुए न्यायालय ने पाया,
"जब संबंधित सैन्य कार्मिक पर मृत्यु या विकलांगता का बोझ बढ़ जाता है तो नागरिक प्रशासन की सहायता के लिए रोजगार प्रदान करने के दौरान, इसके अलावा जब वह प्राकृतिक आपदाओं से निपट रहा होता है तो संबंधित विकलांगता या मृत्यु रक्षा कार्मिक पर पड़ती है, इसलिए सुप्रा को श्रेणी 'डी' में रखा जाएगा।"
उपर्युक्त के आलोक में याचिका खारिज कर दी गई।
केस टाइटल: चंपा ठाकुर बनाम भारत संघ और अन्य