आरोपी की असुविधा के कारण केस ट्रांसफर करने का कोई आधार नहीं: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने क्रूरता संबंधी FIR ट्रांसफर करने की याचिका खारिज की
यह देखते हुए कि केवल आरोपी को हुई असुविधा FIR ट्रांसफर करने का आधार नहीं हो सकती, पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने 77 वर्षीय महिला की याचिका खारिज की, जिसमें उसने अपनी बहू द्वारा उसके खिलाफ दर्ज क्रूरता संबंधी एफआईआर ट्रांसफर करने की मांग की थी।
कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया कि FIR ट्रांसफर की जानी चाहिए, क्योंकि महिला वृद्ध है और उसके साथ उसके गृहनगर अमृतसर से हरियाणा के करनाल तक जाने के लिए कोई पुरुष नहीं है।
जस्टिस सुमीत गोयल ने कहा,
"केवल याचिकाकर्ता-आरोपी की असुविधा के पैरामीटर पर विचार नहीं किया जाना चाहिए बल्कि प्रक्रिया में शामिल सभी पक्षों यानी आरोपी, पीड़ित/शिकायतकर्ता, गवाहों और राज्य (अभियोजन पक्ष) की सापेक्ष सुविधा और कठिनाइयों की कसौटी पर सुविधा का निर्धारण किया जाना चाहिए। दूसरे शब्दों में, यहां सुविधा की अवधारणा में आरोपी, पीड़ित/शिकायतकर्ता और समाज (राज्य/अभियोजन एजेंसी द्वारा प्रतिनिधित्व) की तुलनात्मक सुविधा के पारिवारिक त्रिकोणीकरण की आवश्यकता है।"
न्यायालय ने कहा कि तुलनात्मक असुविधा और सभी संबंधितों को होने वाली संभावित कठिनाइयां ऐसा कारक है, जिसे FIR ट्रांसफर के लिए याचिका पर विचार करते समय ध्यान में रखा जाना चाहिए।
ये टिप्पणिया 77 वर्षीय महिला (शिकायतकर्ता की सास) की याचिका पर सुनवाई करते समय की गईं, जो करनाल में दर्ज क्रूरता की FIR अमृतसर में ट्रांसफर करने के लिए थी, जो उनकी बहू का पैतृक घर है। 2021 में आईपीसी की धारा 323, 406, 420, 498-ए, 506 और 354 के तहत FIR दर्ज की गई। आरोप है कि महिला को उसके ससुराल वालों ने परेशान किया और पीटा।
याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि याचिकाकर्ता और शिकायतकर्ता के बेटे की शादी 2006 में हुई थी और वे 2010 में इंग्लैंड चले गए और 2016 तक वहीं रहे। हालांकि, जब भी वे भारत में होते हैं, वे अमृतसर में रहते हैं।
करनाल में कार्रवाई का कोई कारण नहीं बनता। दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि इस स्तर पर यह नहीं कहा जा सकता कि करनाल पुलिस के पास एफआईआर दर्ज करने या उसकी जांच करने का अपेक्षित अधिकार नहीं है।
तदनुसार, याचिकाकर्ता द्वारा उठाई गई दलील इस आधार पर खारिज किए जाने योग्य है। इसके अलावा, इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि याचिकाकर्ता को 77 वर्ष की आयु के कारण सामान्य असुविधा होगी तथा उसके परिवार में कोई भी वयस्क पुरुष सदस्य उसके साथ अमृतसर से करनाल तक सुनवाई की प्रत्येक तिथि पर उपस्थित होने के लिए उपलब्ध नहीं होगा।
अदालत ने कहा,
"अमृतसर से करनाल तक लगभग 350 किलोमीटर की बड़ी दूरी अपने आपमें संबंधित एफआईआर को करनाल (हरियाणा) से अमृतसर (पंजाब) ट्रांसफर करने का आधार नहीं मानी जा सकती।"
जस्टिस गोयल ने कहा,
"याचिकाकर्ता-आरोपी द्वारा सामना की जा रही इस कठिनाई/असुविधा को कम करने के लिए प्रबंधनीय और वास्तविक समय समाधान किया जा सकता है, जिसके लिए उसकी आयु और करनाल (हरियाणा) से अमृतसर (पंजाब) के बीच की दूरी को ध्यान में रखते हुए उसे व्यक्तिगत उपस्थिति छूट प्रदान की जा सकती है।"
जज ने कुछ शर्तें लगाईं, जिनमें यह भी शामिल है कि याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व एक वकील द्वारा किया जाएगा और वह ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही में बाधा नहीं डालेगी।
उपर्युक्त के आलोक में याचिका खारिज कर दी गई।
केस टाइटल: XXX बनाम XXX श्री विनीत शर्मा