सेना अधिकारी 17 साल की सेवा के दौरान हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सैन्य सेवा के कारण होने वाली बीमारी, दिव्यांगता पेंशन का अधिकार बरकरार रखा

Update: 2024-09-14 07:26 GMT

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने माना कि सशस्त्र बलों में अपनी सेवा के दौरान स्टेज-1 हाई ब्लड प्रेशर (1-10) से पीड़ित एक सेना अधिकारी दिव्यांगता पेंशन का हकदार होगा।

जस्टिस सुधीर सिंह और जस्टिस करमजीत सिंह ने कहा,

"प्रतिवादी नंबर 1 ने लगभग 17 वर्षों तक सशस्त्र बलों में सेवा की है। सेवा में प्रवेश के समय ऐसी कोई बीमारी या विकलांगता मौजूद नहीं थी। यह निर्विवाद तथ्य है कि सशस्त्र बलों से छुट्टी के समय प्रतिवादी नंबर 1 को 'स्टेज-1 उच्च रक्तचाप (1-10) से पीड़ित पाया गया। इसलिए धर्मवीर सिंह के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित कानून के अनुसार प्रतिवादी नंबर 1 द्वारा झेली गई बीमारी सैन्य सेवा के कारण है और उससे बढ़ गई।"

अदालत केंद्र सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने दिव्यांगता पेंशन की मांग करने वाले आवेदन को अनुमति देने वाले सशस्त्र बल ट्रिब्यूनल के आदेश को चुनौती दी थी।

संक्षेप में तथ्य

अधिकारी ने 2002 में सैन्य सेवा में प्रवेश किया और उस समय वह मेडिकल रूप से स्वस्थ था। अपनी सेवा के दौरान वह स्टेज-1 हाई ब्लड प्रेशर (1-10) की दिव्यांगता से पीड़ित हो गया। 31.10.2019 को सेवा से छुट्टी दे दी गई। उसकी रिहाई के समय उसकी दिव्यांगता का मूल्यांकन रिलीज़ मेडिकल बोर्ड द्वारा जीवन भर के लिए 30% किया गया।

दिव्यांगता पेंशन के लिए अधिकारी के दावे को केंद्र सरकार ने इस आधार पर खारिज कर दिया कि उसे हुई दिव्यांगता न तो सैन्य सेवा के कारण थी और न ही उससे बढ़ी थी।

केंद्र सरकार ने तर्क दिया कि रिलीज मेडिकल बोर्ड की राय के अनुसार अधिकारी द्वारा झेली गई दिव्यांगता न तो सैन्य सेवा के कारण थी और न ही उससे बढ़ी थी। इस तरह की विशेषज्ञ राय का सम्मान किया जाना चाहिए।

प्रस्तुतियां सुनने के बाद न्यायालय ने धर्मवीर सिंह बनाम यूनियन ऑफ इंडिया (2013) पर भरोसा किया, सुप्रीम कोर्ट ने इसी तरह के मामले में दिव्यांगता पेंशन की मांग करने वाली याचिका स्वीकार करते हुए कहा,

"यह निर्विवाद है कि अपीलकर्ता की सैन्य सेवा के लिए स्वीकृति के समय किसी भी बीमारी का कोई नोट दर्ज नहीं किया गया। प्रतिवादी रिकॉर्ड पर कोई भी ऐसा दस्तावेज लाने में विफल रहे हैं, जिससे यह पता चले कि अपीलकर्ता ऐसी किसी बीमारी के लिए उपचाराधीन था या वंशानुगत रूप से वह ऐसी बीमारी से पीड़ित है। अपीलकर्ता के शामिल होने की स्वीकृति के समय सेवा रिकॉर्ड में किसी भी नोट के अभाव में मेडिकल बोर्ड की ओर से रिकॉर्ड मंगाना और इस राय पर पहुंचने से पहले उस पर गौर करना आवश्यक था कि सैन्य सेवा के लिए स्वीकृति से पहले चिकित्सा जांच में बीमारी का पता नहीं लगाया जा सकता, लेकिन रिकॉर्ड पर ऐसा कुछ भी नहीं है, जिससे यह पता चले कि मेडिकल बोर्ड द्वारा ऐसा कोई रिकॉर्ड मंगाया गया या उस पर गौर किया गया। इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए कोई लिखित कारण दर्ज नहीं किया गया कि दिव्यांगता सैन्य सेवा के कारण नहीं है।"

वर्तमान मामले में न्यायालय ने पाया कि अधिकारी ने लगभग 17 वर्षों तक सशस्त्र बलों में सेवा की है। सेवा में प्रवेश के समय ऐसी कोई बीमारी या दिव्यांगता मौजूद नहीं थी।

हालांकि, उसे छुट्टी के समय 'स्टेज-1 हाई ब्लड प्रेशर (1-10)' से पीड़ित पाया गया।

उपर्युक्त के आलोक में न्यायालय ने माना कि प्रतिवादी नंबर 1 द्वारा झेली गई बीमारी सैन्य सेवा के कारण है और उससे बढ़ी है।

यह कहते हुए कि एएफटी द्वारा पारित आदेश में हमें कोई अवैधता या विकृति नहीं मिली

न्यायालय ने याचिका खारिज की।

केस टाइटल- यूओआई और अन्य बनाम संख्या 14449872एक्स जीएनआर धीरज कुमार और अन्य

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