हाईकोर्ट में लंबित मामले ऐसी बीमारी है, जिसके लिए मुख्य रूप से सरकार जिम्मेदार हैं': पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सरकारी अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए नीति बनाने का आह्वान किया
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने लंबित मामलों में सरकार का योगदान रेखांकित करते हुए कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर देश में सबसे बड़ी मुकदमेबाज हैं। खासकर हाईकोर्ट स्तर पर।
इस मामले में कोर्ट ने पंजाब सरकार को चेतावनी भी दी कि अगर अगली तारीख से पहले जवाब दाखिल नहीं किया गया तो वह 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाएगी। यह जुर्माना संबंधित विभागों के प्रभारी अधिकारियों के वेतन से वसूला जाएगा।
जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस संजय वशिष्ठ ने कहा,
हाईकोर्ट में लंबित मामलों की समस्या ऐसी बीमारी है, जिसके लिए सरकारें मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं। यह न्यायालय इस पहलू को नजरअंदाज नहीं करेगा कि जिन मामलों में एकपक्षीय स्थगन आदेश पारित किए गए, उनमें भी बार-बार स्थगन मांगकर जवाब दाखिल करने की प्रक्रिया में देरी की जाती है। यहां तक कि अंतरिम स्थगन आदेश भी कई वर्षों तक प्रभावी रहे, जिससे राज्य का राजस्व प्रभावित हुआ।"
न्यायालय ने पंजाब सरकार को लंबित मामलों की समस्या से निपटने के लिए मुकदमा नीति बनाने का निर्देश दिया, जिसमें राज्य सरकार के जिम्मेदार अधिकारियों से मिलकर स्थायी प्रकोष्ठ होना चाहिए, जो यह जांच करेगा कि क्या ऐसे मामलों में याचिका दायर की जानी चाहिए, जहां इस न्यायालय द्वारा अंतिम रूप से निर्णय लिया जा चुका है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इसे बरकरार रखा गया। साथ ही वकीलों द्वारा स्थगन मांगने की प्रवृत्ति को रोकने के लिए पहली बार में जवाब दाखिल न करने के लिए जवाबदेही भी तय की जानी चाहिए।
ये टिप्पणियां पंजाब में विभिन्न सरकारी विभागों के खिलाफ 37 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए की गईं, जो नवंबर 2023 में दायर की गई थीं और तब से जवाब लंबित हैं।
डिवीजन बेंच ने कहा,
"हमें यह देखकर दुख हो रहा है कि राज्य सरकार और उसके विभिन्न विभाग इस न्यायालय के समक्ष आने वाले लगभग सभी मामलों में पहली बार में जवाब दाखिल नहीं करते हैं।"
यह कहते हुए कि नोटिस के बाद न्यायालय द्वारा निर्धारित तिथि पर राज्य के वकील द्वारा जवाब दाखिल करने के लिए स्थगन का अनुरोध किया जाता है, न्यायालय ने इस बात पर प्रकाश डाला कि, "ऐसे कई मामले हैं, जिनमें राज्य और उसके अधिकारियों द्वारा वर्षों से जवाब दाखिल नहीं किए गए हैं, जिसके परिणामस्वरूप मामलों की बड़ी संख्या लंबित है।"
मामले को 11 नवंबर तक के लिए टालते हुए न्यायालय ने पंजाब के मुख्य सचिव को अगली सुनवाई की तारीख पर या उससे पहले एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
केस टाइटल- चहल स्पिनटेक्स प्राइवेट लिमिटेड बनाम पंजाब राज्य और अन्य।