हम वह देश हैं, जहां क्लर्क बनते हैं चीफ जस्टिस, आदिवासी महिला बनती है राष्ट्रपति: लघु व्यापारों को नीचा दिखाने पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की टिप्पणी

Update: 2025-05-30 06:48 GMT

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने उन एलीट क्लास पर कड़ी टिप्पणी की, जो आज भी औपनिवेशिक सोच के तहत छोटे व्यापार करने वाले अपने देशवासियों को नीचा दिखाते हैं और उन्हें हेय दृष्टि से देखते हैं।

जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस मीनाक्षी आई. मेहता की खंडपीठ ने कहा कि हम एक ऐसे देश के नागरिक हैं, जहां एक दूरदराज गांव की आदिवासी महिला भारत की राष्ट्रपति बन सकती है और एक साधारण कर्मचारी प्रशासन के सर्वोच्च पद तक पहुंच सकता है।

न्यायालय ने आगे कहा कि न्यायपालिका में भी ऐसे उदाहरण हैं जहां किसी ने वकील के क्लर्क के तौर पर काम शुरू किया और बाद में वही व्यक्ति चीफ जस्टिस के पद तक पहुंचा।

कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि अब वह समय नहीं रहा, जब अदालतों में ब्रिटिश जज बैठा करते थे, जो केवल शासकों के लिए न्याय करते थे। अब न्यायपालिका को उस मानसिकता से ऊपर उठना होगा जो एलीट वर्ग के प्रभाव से ग्रसित है।

यह टिप्पणियां उस याचिका की सुनवाई के दौरान दी गईं, जिसे मनीमाजरा व्यापार मंडल और एक रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने दायर किया। याचिका में मांग की गई कि जिन फेरीवालों और पटरी व्यवसायियों द्वारा कथित रूप से सार्वजनिक रास्ता घेरा गया है, उन्हें हटाया जाए। याचिकाकर्ताओं ने इन्हें माफिया कहकर संबोधित किया।

कोर्ट ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि वर्ष 2014 में बनाए गए स्ट्रीट वेंडर्स (जीविका संरक्षण और रेगुलेशन) अधिनियम का उद्देश्य ऐसे छोटे व्यवसायियों की आजीविका की रक्षा करना है, जो आत्म-रोजगार के ज़रिए शहरी गरीबी को कम करते हैं और अधिकांश शहरी आबादी के लिए सुलभ सेवाएं प्रदान करते हैं।

कोर्ट ने सोधन सिंह बनाम नई दिल्ली नगर परिषद [1989 (4) SCC 155] मामले का हवाला देते हुए कहा कि उक्त अधिनियम का उद्देश्य स्ट्रीट वेंडिंग को विनियमित करना और इससे जुड़े लोगों के अधिकारों की रक्षा करना है।

कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि याचिका, प्रथम दृष्टया एक प्रेरित प्रयास प्रतीत होती है, जिसका उद्देश्य कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग कर स्थानीय फेरीवालों के कारोबार को समाप्त करना है।

इस आधार पर कोर्ट ने याचिका खारिज की और याचिकाकर्ता दोनों संगठनों पर 50,000 50,000 का जुर्माना लगाया, जो कि चंडीगढ़ नगर निगम में जमा किया जाएगा। यह राशि फेरीवालों और उनके परिवारों के कल्याण में खर्च की जाएगी।

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