तुरंत सुरक्षा न देने पर अधिकारियों पर होगी जिम्मेदारी: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

Update: 2025-11-08 07:57 GMT

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि यदि किसी नागरिक विशेषकर विवाह से जुड़े मामलों में द्वारा सुरक्षा मांगे जाने पर तुरंत सुरक्षा प्रदान नहीं की जाती तो किसी भी अनहोनी की स्थिति में संबंधित अधिकारी इसके लिए जिम्मेदार ठहराए जाएंगे।

जस्टिस प्रमोद गोयल की एकल पीठ ने यह टिप्पणी एक युवा दंपति की याचिका पर सुनवाई के दौरान की।

याचिकाकर्ताओं ने अदालत से जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा की मांग की थी, क्योंकि महिला के परिवारजन उनकी अंतरजातीय शादी से नाराज होकर उन्हें धमकी दे रहे थे।

अदालत ने कहा,

“यदि कोई व्यक्ति सुरक्षा के लिए अधिकारियों के पास जाता है और फिर भी असुरक्षित रहता है, तो सुरक्षा का उद्देश्य ही समाप्त हो जाता है। इस न्यायालय ने कई बार कहा कि जब युवा लड़के-लड़कियां अपने माता-पिता की इच्छा के विरुद्ध विवाह करते हैं तो ऐसे मामलों में तत्काल सुरक्षा प्रदान किया जाना आवश्यक है।”

अदालत ने समाज में प्रचलित सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों और ऑनर किलिंग की घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि अधिकारी सुरक्षा देने में विलंब नहीं कर सकते और यदि ऐसा किया जाता है तो इसके लिए उन्हें जवाबदेह ठहराया जाएगा।

याचिकाकर्ताओं ने बताया कि उन्होंने 19 अक्टूबर, 2025 को पुलिस अधिकारियों को सुरक्षा के लिए आवेदन दिया था लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस पर राज्य के वकील ने अदालत को बताया कि संबंधित थाना प्रभारी (एसएचओ) को आवेदन एक दिन पहले ही प्राप्त हुआ है और उस पर उचित समय पर निर्णय लिया जाएगा।

राज्य के इस रुख पर नाराजगी जताते हुए अदालत ने कहा कि जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा के मामलों में राज्य का पहला कर्तव्य सुरक्षा प्रदान करना है, न कि पहले जांच करना कि खतरा वास्तविक है या नहीं।

अदालत ने कहा,

“सुरक्षा से जुड़े मामलों में राज्य अधिकारियों का दायित्व है कि वे पहले सुरक्षा दें और उसके बाद खतरे की स्थिति का आकलन करें। एसएचओ को यह विवेकाधिकार नहीं दिया जा सकता कि वह तय करे कि सुरक्षा दी जाए या नहीं।”

न्यायालय ने कहा कि जीवन को खतरा किसी प्रशासनिक प्रक्रिया में नहीं उलझाया जा सकता। नोडल अधिकारी को आवेदन मिलते ही तुरंत सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए। बाद में आवश्यक जांच करनी चाहिए। यदि सुरक्षा देने से इनकार किया जाता है तो उसके लिए विस्तृत 'स्पीकिंग ऑर्डर' जारी किया जाना चाहिए।

महत्वपूर्ण रूप से न्यायालय ने स्पष्ट किया,

“यदि नागरिक के आवेदन के बावजूद विशेषकर विवाह के मामलों में तुरंत सुरक्षा नहीं दी जाती और कोई अप्रिय घटना घटती है तो इसके लिए संबंधित अधिकारी अपनी लापरवाही के लिए उत्तरदायी होंगे।”

इन टिप्पणियों के साथ अदालत ने राज्य पुलिस को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता दंपति को तत्काल सुरक्षा प्रदान की जाए और उनकी अभ्यावेदन पर उसी दिन कारणसहित आदेश पारित किया जाए।

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