जेल से नशा तस्करी में जेल अधिकारियों की भूमिका की जांच की जाएगी: पंजाब सरकार ने हाईकोर्ट में बताया

Update: 2025-05-20 11:41 GMT

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी के बाद पंजाब सरकार ने कोर्ट को अवगत कराया कि राज्य की जेलों से नशा तस्करी से जुड़े मामलों की जांच के लिए रेंज स्तर और कमिश्नरेट स्तर पर समितियाँ गठित की गई हैं।

जस्टिस एन.एस. शेखावत ने पुलिस और जेल अधिकारियों के बीच अशुद्ध गठजोड़ पर चिंता जताई और कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि एसएसपी ने अमृतसर सेंट्रल जेल से नशा तस्करी के मामलों में जेल अधिकारियों से पूछताछ को बहुत हल्के में लिया।

कोर्ट के निर्देश के अनुसार एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा जेल से तस्करी के मामलों की जांच की जाए। इस पर राज्य के वकील ने कोर्ट को बताया कि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) अब जेल अधिकारियों की भूमिका की स्वयं जांच कर रहे हैं। इसके लिए ट्रायल कोर्ट में अनुमति हेतु आवेदन भी दायर किया जाएगा।

सरकारी वकील ने आश्वासन दिया कि जेल अधिकारियों की भूमिका की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच की जाएगी। अगर कोई भी जेल अधिकारी इसमें दोषी पाया गया तो उसे बख्शा नहीं जाएगा और कानून के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी।

राज्य ने कोर्ट में 16 मई को पुलिस महानिदेशक (DGP) पंजाब द्वारा जारी आदेश की प्रति भी प्रस्तुत की, जिसके तहत NDPS एक्ट के तहत दर्ज मामलों की जांच के लिए रेंज/कमिश्नरेट स्तर पर कमेटियाँ गठित की गई हैं, जिनमें जेलों से तस्करी के आरोप लगे हैं।

कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई तय की और जिला अमृतसर (ग्रामीण) के एसएसपी को निर्देश दिया कि वह जांच की स्टेटस रिपोर्ट शपथ पत्र के रूप में दाखिल करें और स्वयं इस मामले की निगरानी करें।

कोर्ट उन तीन याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था, जिनमें आरोपियों पर सेंट्रल जेल में रहते हुए नशा तस्करी में संलिप्तता का आरोप था।

कोर्ट ने पहले भी कहा था कि ऐसी तस्करी वरिष्ठ जेल अधिकारियों और स्थानीय पुलिस की सक्रिय मिलीभगत के बिना संभव नहीं है।

कोर्ट ने एसएसपी को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि वह जांच फ़ाइल की व्यक्तिगत रूप से समीक्षा करें और बताएँ कि जेल अधिकारियों को आरोपी क्यों नहीं बनाया गया।

कोर्ट ने यह पाया कि एसएसपी ने जांच की जिम्मेदारी डीएसपी को सौंप दी जो कानून के अनुरूप नहीं है।

कोर्ट ने पिछली सुनवाई में यह भी कहा था,

"यह चौंकाने वाली बात है कि पुलिस ने तुरंत पूछताछ करने की बजाय जेल अधिकारियों को सिर्फ पत्र भेजे। पुलिस, वरिष्ठ जेल अधिकारियों से विभागीय कार्रवाई की प्रतीक्षा कर रही है, जबकि वे खुद संदेह के घेरे में हैं।"

कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि कुछ सवाल जेल अधीक्षक से पूछे गए जो कि स्वयं जेल प्रशासन के मुखिया और संभावित आरोपी हैं। बिना उनकी सहभागिता के मोबाइल फोन जेल में नहीं पहुंच सकते।

अंत में कोर्ट ने टिप्पणी की,

"पुलिस ने जांच की जिम्मेदारी उन्हीं पर सौंप दी, जो इस अपराध के संदिग्ध हैं। यह कानून की स्पष्ट अवहेलना है और पुलिस तथा जेल प्रशासन के बीच घोर सांठगांठ को दर्शाती है।"

टाइटल: शमशेर सिंह @ शेरा बनाम पंजाब राज्य

Tags:    

Similar News