धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में दर्ज FIR रद्द करने की एक्टर राजकुमार राव की याचिका पर हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस

Update: 2025-07-30 06:33 GMT

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने बॉलीवुड एक्टर राजकुमार राव द्वारा दायर याचिका के संबंध में पुलिस से स्टेटस रिपोर्ट मांगी। इस याचिका में कथित तौर पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की गई।

2017 में फिल्म बहन होगी तेरी के प्रमोशन के दौरान निर्माता ने भगवान शिव के वेश में मोटरसाइकिल पर बैठे राव की एक तस्वीर पोस्ट की थी।

इस याचिका में पंजाब के जालंधर में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 295A (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य, जिसका उद्देश्य किसी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करके उसकी धार्मिक भावनाओं को आहत करना है), 120B (आपराधिक षड्यंत्र) और IT Act की धारा 67 के तहत दर्ज FIR और उनके खिलाफ जारी गैर-जमानती वारंट रद्द करने की मांग की गई थी। हाल ही में एक्टर ने आज जालंधर कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया और उन्हें मामले में जमानत मिल गई।

मामले में नोटिस जारी करते हुए जस्टिस एन.एस. शेखावत ने अपने आदेश में कहा,

“न्यायालय के अनुरोध पर प्रस्ताव का नोटिस, जसतेज सिंह, एडिशनल एडवोकेट जनरल पंजाब, जो न्यायालय में उपस्थित हैं, प्रतिवादी नंबर 1 की ओर से नोटिस स्वीकार करते हैं। स्पेशल रिपोर्ट दाखिल करने के लिए समय देने का अनुरोध करते हैं। जांच की स्थिति रिपोर्ट अगली सुनवाई की तारीख को या उससे पहले पुलिस आयुक्त, जालंधर के हलफनामे के माध्यम से दाखिल की जा सकती है।”

याचिका में कहा गया कि धारा 295-ए आईसी का मूल तत्व धार्मिक भावनाओं को आहत करने का जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण इरादा है। याचिका में कहा गया कि वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता की ओर से ऐसे किसी जानबूझकर या दुर्भावनापूर्ण इरादे का कोई सबूत नहीं है।

याचिका में आगे कहा गया कि याचिकाकर्ता ने एक्टर के रूप में फिल्म में केवल पटकथा वाली भूमिका निभाई थी, जिसमें उनके किरदार को पड़ोस के भक्ति समूह (जागरण मंडली) में सामुदायिक धार्मिक आयोजनों के दौरान भगवान शिव की भूमिका निभाने का अंशकालिक काम मिला था। याचिकाकर्ता द्वारा जानबूझकर किसी भी समुदाय की धार्मिक भावनाओं का अपमान या अपमान करने का कोई कल्पनीय उद्देश्य नहीं है।

यह भी तर्क दिया गया कि विचाराधीन फिल्म बहन होगी तेरी की केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) द्वारा विधिवत समीक्षा की गई और उसे यूए प्रमाणपत्र प्रदान किया गया। सिनेमैटोग्राफ अधिनियम 1952 के तहत गठित वैधानिक प्राधिकरण होने के नाते CBFC को विशेष रूप से यह जाँचने का अधिकार है कि क्या किसी फिल्म की कोई सामग्री आपत्तिजनक अपमानजनक या धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली है।

याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता को भगवान शिव के वेश में दिखाए गए दृश्यों सहित फिल्म को CBFC द्वारा दी गई स्वीकृति, विशेषज्ञ निर्णय है कि सामग्री कानूनी रूप से आपत्तिजनक नहीं है।

इसमें आगे कहा गया कि विचाराधीन चित्रण संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत कलात्मक अभिव्यक्ति के संरक्षित क्षेत्र में आता है।

नोटिस जारी करते हुए न्यायालय ने मामले की सुनवाई 8 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी।

केस टाइटल: राजकुमार यादव उर्फ राजकुमार यादव उर्फ राजकुमार राव बनाम पंजाब राज्य एवं अन्य

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