'अनुचित': हाइकोर्ट ने हरियाणा और चंडीगढ़ के DGP से बिना FIR के पुलिस जांच पर जवाब मांगा, जबकि कोई संज्ञेय अपराध नहीं बनता
पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने DGP हरियाणा और चंडीगढ़ से प्रत्येक शिकायत में FIR दर्ज किए बिना विभिन्न पुलिस अधिकारियों द्वारा की गई जांच से संबंधित जिलेवार विवरण मांगा।
जस्टिस एनएस शेखावत ने कहा,
"हरियाणा राज्य के साथ-साथ केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में भी कई मामलों में एफआईआर दर्ज किए बिना कई जांच की जा रही हैं। भले ही शिकायतकर्ता द्वारा दी गई जानकारी संज्ञेय अपराध के होने का खुलासा न करती हो, फिर भी पुलिस अधिकारी विभिन्न स्तरों पर जांच करते रहते हैं, जो कानून में अस्वीकार्य है।"
इससे पहले न्यायालय ने ललिता कुमारी मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की प्रथम दृष्टया अवमानना करते हुए बिना कोई FIR दर्ज किए व्यक्ति के खिलाफ कई जांच शुरू करने के लिए पंजाब पुलिस अधिकारियों की खिंचाई की थी।
ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार [(एससी) 2013(4) आरसीआर क्रिमिनल 979] में यह माना गया कि यदि सूचना से संज्ञेय अपराध का खुलासा होता है तो संहिता की धारा 154 के तहत FIR दर्ज करना अनिवार्य है। ऐसी स्थिति में कोई प्रारंभिक जांच स्वीकार्य नहीं है।
वर्तमान कार्यवाही में न्यायालय ने उल्लेख किया कि न्यायालय के निर्देश के अनुपालन में पंजाब सरकार ने "पंजाब के विभिन्न जिलों में पिछले कई महीनों से विभिन्न पुलिस अधिकारियों द्वारा की जा रही कई जांचों को रोकने में प्रभावी कदम उठाए हैं।"
न्यायालय ने उल्लेख किया कि हरियाणा राज्य के साथ-साथ केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में "कई मामलों में एफआईआर दर्ज किए बिना कई जांच की जा रही हैं।"
न्यायालय ने हरियाणा राज्य और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ को प्रतिवादी के रूप में पक्षकार बनाने का निर्देश दिया और नोटिस जारी किया।
न्यायाधीश ने कहा कि विवरण जिलावार (हरियाणा राज्य के मामले में) और पुलिस स्टेशनवार (यू.टी. चंडीगढ़ के मामले में) उनके व्यक्तिगत हलफनामों के माध्यम से प्रस्तुत किया जा सकता है।
मामले को आगे के विचार के लिए 18 मई के लिए सूचीबद्ध किया गया।
केस टाइटल- सुरिंदर कुमार एवं अन्य बनाम पंजाब राज्य एवं अन्य।