साइबर ठगी मामले में ट्रायल कोर्ट की अनुचित नरमी पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट सख्त, कहा- सीनियर सिटीजन की फरियाद को अनदेखा करना चिंता का विषय

Update: 2025-08-04 07:03 GMT

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने साइबर ठगी के मामले में ट्रायल कोर्ट की कार्यशैली पर सख्त नाराज़गी जताते हुए कहा कि गंभीर आपराधिक मामलों में इस तरह की ढिलाई न्यायिक प्रक्रिया को कमजोर करती है। हाईकोर्ट ने विशेष रूप से उस परिस्थिति पर चिंता जताई, जिसमें एक 76 वर्षीय रिटायर सेना अधिकारी को चार वर्षों से न्याय के लिए अमृतसर से मोहाली की अदालतों में चक्कर लगाने पड़ रहे हैं लेकिन अब तक केवल दो ही गवाहों की गवाही हो पाई।

जस्टिस एन.एस. शेखावत ने कहा कि ट्रायल कोर्ट का रवैया न केवल अभियुक्तों के प्रति अत्यधिक सहानुभूति' वाला रहा बल्कि सीनियर सिटीजन की शिकायतों को भी नजरअंदाज़ किया गया, जो कि बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। याचिकाकर्ता ने 58.68 लाख की ऑनलाइन ठगी की शिकायत 2021 में दर्ज कराई थी और तब से लेकर अब तक केस में 61 तारीखें लग चुकी हैं लेकिन कार्यवाही में कोई सार्थक प्रगति नहीं हुई।

हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि आरोपी खुर्शीद अहमद को 30 बार और सुरजीत गायेन को 10 बार अदालत में व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दी गई। वहीं अन्य सह-आरोपियों की भी गैरहाजिरी पर सिर्फ जमानती वारंट जारी किए गए। कोर्ट ने साफ कहा कि इस तरह की उदारता गंभीर अपराधों में न्याय की प्रक्रिया को बाधित करती है। इससे पीड़ित को गहरी मानसिक यातना का सामना करना पड़ता है।

इतना ही नहीं कोर्ट ने जेल अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि ट्रायल कोर्ट ने उन्हें बार-बार अभियुक्तों को पेश न करने पर भी कोई कठोर रुख नहीं अपनाया, जो न्यायिक अनुशासन की दृष्टि से गंभीर चूक है।

इस पूरे घटनाक्रम पर सख्त रुख अपनाते हुए हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को आदेश दिया है कि वह इस मामले का निपटारा आदेश की प्रमाणित प्रति मिलने के आठ महीनों के भीतर करे। साथ ही जिला जज को निर्देश दिया गया कि वह एक सप्ताह के भीतर सभी न्यायिक अधिकारियों की बैठक बुलाकर उन्हें निर्देश दें कि वे आपराधिक मामलों, विशेषकर सीनियर सिटीजन से जुड़े केसों में संवेदनशील और जिम्मेदार रवैया अपनाएं।

कोर्ट ने दो टूक कहा कि व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट सिर्फ उसी सूरत में दी जानी चाहिए, जब कोई वाजिब कारण हो, और सीनियर सिटीजन के मामलों को हमेशा प्राथमिकता दी जानी चाहिए ताकि उन्हें देर से नहीं सही समय पर न्याय मिल सके।

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