S.7(1) Immoral Trafficking (Prevention) Act | वेश्यावृत्ति करने वाले व्यक्ति और ग्राहक बनने वाले दोनों ही जिम्मेदार: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

Update: 2024-08-17 06:25 GMT

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने ऐसे व्यक्ति के खिलाफ अनैतिक तस्करी रोकथाम अधिनियम के तहत दर्ज की गई एफआईआर रद्द करने से इनकार किया, जो कथित तौर पर वेश्यावृत्ति चलाने वाले स्पा में महिला के साथ आपत्तिजनक स्थिति में पाया गया था।

जस्टिस निधि गुप्ता ने कहा,

"यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि याचिकाकर्ता के खिलाफ उपरोक्त आरोप गंभीर प्रकृति के हैं। अनैतिक तस्करी (रोकथाम) अधिनियम 1956 की धारा 7(1) प्रावधानों को पढ़ने से ही यह स्पष्ट हो जाता है कि वेश्यावृत्ति करने वाला व्यक्ति और जिसके साथ वेश्यावृत्ति की जाती है, दोनों ही अधिनियम के तहत उत्तरदायी हैं।"

न्यायालय चंडीगढ़ में अनैतिक तस्करी रोकथाम अधिनियम की धारा 370 और 120-बी तथा धारा 3, 4, 5, 6 और 7 के तहत दर्ज एफआईआर रद्द करने की मांग करने वाले व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रहा था।

एफआईआर के अनुसार गुप्त सूचना मिली थी कि स्पा के परिसर में वेश्यालय चलाया जा रहा था, जिसके मालिक और प्रबंधक अपने ग्राहकों को मालिश के नाम पर वेश्यावृत्ति के लिए लड़कियां उपलब्ध कराते थे।

DSP ने कांस्टेबल संदीप को फर्जी ग्राहक और कांस्टेबल को छाया गवाह के रूप में नामित किया। यह तय किया गया कि वे दोनों छापेमारी करने के लिए स्पा जाएंगे। जब छापेमारी की गई तो याचिकाकर्ता एक महिला के साथ आपत्तिजनक स्थिति में पाया गया।

प्रस्तुतियां सुनने के बाद न्यायालय ने मैथ्यू बनाम केरल राज्य [2022 लाइव लॉ (केआर) 639] में केरल हाईकोर्ट के फैसले पर भरोसा किया और कहा,

“अधिनियम की धारा 7(1) निर्दिष्ट क्षेत्रों में वेश्यावृत्ति में लिप्त होने के लिए दो प्रकार के व्यक्तियों को दंडित करती है। वे व्यक्ति हैं (i) वह व्यक्ति जो वेश्यावृत्ति करता है और (ii) वह व्यक्ति जिसके साथ ऐसी वेश्यावृत्ति की जाती है। बेशक अधिनियम की धारा 3 और 4 के तहत ग्राहक को शामिल नहीं किया गया। केवल वेश्यालय मालिक और वेश्यावृत्ति की कमाई पर जीने वाले व्यक्ति को ही शामिल किया गया। साथ ही 'वह व्यक्ति जिसके साथ ऐसी वेश्यावृत्ति की जाती है, शब्द धारा 7 के अलावा अधिनियम के किसी अन्य प्रावधान में नहीं आता है।"

न्यायालय ने कहा कि वर्तमान याचिकाकर्ता के खिलाफ स्पष्ट आरोप यह है कि उसे 'किसी अन्य लड़की के साथ आपत्तिजनक स्थिति में यौन संबंध बनाते हुए पाया गया था।

उपर्युक्त के आलोक में न्यायाधीश ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोपों की प्रकृति के साथ-साथ कानूनी स्थिति, जो बहुत गंभीर थी, एफआईआर सरसरी तौर पर रद्द करने की अनुमति नहीं देती।

परिणामस्वरूप याचिका खारिज कर दी गई।

केस टाइटल- XXX बनाम XXX

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