पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने अलग रह रही पत्नी की बढ़ी हुई भरण-पोषण राशि के लिए याचिका खारिज की, कहा- यह मान लेना गलत नहीं कि वयस्क बेटे उसका भरण-पोषण करेंगे
पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने महिला को निचली अदालत द्वारा दी गई 7,500 रुपये मासिक भरण-पोषण राशि बढ़ाने की याचिका खारिज की, जो अपने पति से अलग रह रही है।
जस्टिस निधि गुप्ता ने कहा,
"याचिकाकर्ता के वकील ने यह स्वीकार किया कि पक्षकारों के दो बेटे वयस्क हो गए हैं। वर्तमान में याचिकाकर्ता के साथ रह रहे हैं। यह मान लेना गलत नहीं होगा कि याचिकाकर्ता के बेटे भी उसका भरण-पोषण करेंगे।"
याचिकाकर्ता ने कहा कि उसका पति सेना में ड्राइवर के रूप में काम करता है और कम से कम 90,000 रुपये प्रति माह कमाता है। तदनुसार, उसे दिए जाने वाले मात्र 7,500 रुपये प्रति माह का अंतिम भरण-पोषण निम्न स्तर पर है।
बयानों को सुनने के बाद न्यायालय ने कहा,
"वैवाहिक मतभेदों के कारण दोनों पक्ष 26.12.2008 से अलग-अलग रह रहे हैं। हालांकि याचिकाकर्ता द्वारा धारा 125 सीआरपीसी के तहत याचिका 04.01.2019 को ही दायर की गई।"
अदालत द्वारा यह पूछे जाने पर कि याचिकाकर्ता 26.12.2008 से 04.01.2019 तक अपना भरण-पोषण कैसे कर रही थी, याचिकाकर्ता के वकील के पास कोई जवाब नहीं है।
यह देखते हुए कि दंपति के दो बड़े बेटे हैं, जो याचिकाकर्ता के साथ रह रहे हैं, न्यायालय ने भरण-पोषण बढ़ाने से इनकार कर दिया।
केस टाइटल- XXX बनाम XXX