अनुशासित बलों द्वारा अनुशासन की कमी सबसे गंभीर कदाचार: पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट

Update: 2024-04-16 08:51 GMT

पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट की जस्टिस नमित कुमार की बेंच ने पंजाब राज्य और अन्य बनाम पूर्व कांस्टेबल अमरजीत सिंह के मामले में अपील पर निर्णय लेते हुए माना कि अनुशासन एक अनुशासित बल की पहली आवश्यकता है और अनुशासित बल के सदस्य द्वारा ड्यूटी से अनुपस्थित रहना पंजाब पुलिस नियम (PPR) के नियम 16.2 के तहत सबसे गंभीर कदाचार है, जहां कदाचार शब्द में कोई भी गलत कार्य शामिल है जो अनुशासन को बाधित करता है।

पृष्ठभूमि

अमरजीत सिंह (प्रतिवादी) पीएपी जालंधर कैंट में कांस्टेबल के रूप में शामिल हुए और बीमारी के कारण 44 दिन और 23 घंटे की अवधि के लिए ड्यूटी से अनुपस्थित रहे। दंड प्राधिकारी (प्राधिकरण) ने प्रतिवादी द्वारा आवेदन किए गए चिकित्सा अवकाश को मंजूरी नहीं दी। प्राधिकारी ने विभागीय जांच करने का निर्देश दिया जहां जांच अधिकारी ने प्रतिवादी को कोई नोटिस दिए बिना साक्ष्य दर्ज किए और उसे दोषी करार दिया। इसके बाद प्राधिकारी ने बर्खास्तगी का आदेश पारित किया। प्रतिवादी ने बर्खास्तगी आदेश के खिलाफ डी.आई.जी. पुलिस पी.ए.पी. जालंधर कैंट को अपील दायर की जहां डी.आई.जी. ने अपील खारिज कर दी।

इससे व्यथित होकर प्रतिवादी ने मुकदमा दायर किया जिसमें कहा गया कि सुनवाई का कोई मौका दिए बिना उसके खिलाफ कार्यवाही शुरू की गई। इसके अलावा प्रतिवादी ने तर्क दिया कि गवाहों के बयान शपथ के बिना दर्ज किए गए जो पी.पी.आर. के नियम 16.2 का उल्लंघन है। इसके अलावा प्रतिवादी ने अपनी बीमारी के बारे में मेडिकल सर्टिफिकेट प्रस्तुत किए जिन्हें दंड प्राधिकारी ने नजरअंदाज कर दिया।

दूसरी ओर प्राधिकारी ने तर्क दिया कि प्रतिवादी द्वारा चिकित्सा अवकाश के लिए कोई आवेदन नहीं किया गया था। प्राधिकारी ने आगे आरोप लगाया कि प्रतिवादी को जानबूझकर अनुपस्थित रहने के आधार पर सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था जो अनुशासित बल में गंभीर कदाचार था। ट्रायल कोर्ट ने प्रतिवादी के पक्ष में फैसला सुनाया।

अब इससे व्यथित होकर राज्य (अपीलकर्ता) ने निचली अपीलीय अदालत में अपील दायर की जिसे खारिज कर दिया गया। इस प्रकार अपीलकर्ता ने दूसरी अपील दायर की।

अपीलकर्ता ने तर्क दिया कि ट्रायल कोर्ट के साथ-साथ निचली अपीलीय अदालत ने इस तथ्य पर विचार नहीं किया कि अनुशासित बल के सदस्य का ड्यूटी से अनुपस्थित रहना कदाचार का सबसे गंभीर कृत्य है।

कोर्ट के निष्कर्ष

कोर्ट ने पाया कि बेसिक ट्रेनिंग के दौरान बिना कोई छुट्टी या सूचना दिए प्रतिवादी का 44 दिनों तक ड्यूटी से अनुपस्थित रहना अनुशासन की कमी को दर्शाता है जो कि अनुशासित बल की पहली आवश्यकता है। कोर्ट ने पंजाब राज्य और अन्य बनाम चमकौर सिंह के मामले पर भरोसा किया जिसमें पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने माना था कि अनुशासित बल के सदस्य द्वारा बिना कोई सूचना दिए ड्यूटी से अनुपस्थित रहना अनुशासन की कमी को दर्शाता है।

कोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य बनाम अशोक कुमार सिंह और अन्य जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने माना कि अनुशासित बल किसी भी अन्य विभाग की तुलना में नियमों और प्रक्रियाओं का कड़ाई से पालन करने की मांग करता है।

अदालत ने आगे कहा कि कदाचार शब्द में कोई भी गलत कार्य शामिल है जो अनुशासन को बाधित करता है इस प्रकार अनुशासित बल के सदस्य द्वारा 44 दिनों की अवधि के लिए ड्यूटी से अनुपस्थित रहना कदाचार का सबसे गंभीर कार्य है।

अदालत ने माना कि ट्रायल कोर्ट और निचली अपीलीय अदालत दोनों ने दंड प्राधिकारी द्वारा पारित दंड के आदेश में हस्तक्षेप करके गलती की है

उपर्युक्त टिप्पणियों के साथ अपील को अनुमति दी गई और ट्रायल कोर्ट के साथ-साथ निचली अपीलीय अदालत द्वारा पारित निर्णयों को रद्द कर दिया गया।

केस टाइटल- पंजाब राज्य और अन्य बनाम पूर्व कांस्टेबल अमरजीत सिंह

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