फॉरेंसिक रिपोर्ट में देरी गलती के लिए अधिकारियों की कमियों पर गौर करें: हाइकोर्ट ने हरियाणा में FSL के कामकाज की जांच के लिए गठित पैनल से कहा
पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने हरियाणा में फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं (FSL) के कामकाज को देखने के लिए गठित समिति को NDPS अधिनियम (NDPS Act) के तहत मामले में रिपोर्ट में भारी देरी और गलती के लिए अधिकारियों के दोषों की जांच करने का निर्देश दिया, जिसमें आरोपी पेशेवर मनोचिकित्सक है और उस पर अवैध रूप से नशा मुक्ति केंद्र संचालित करने का आरोप है।
यह देखते हुए कि FSL रिपोर्ट की तैयारी और डिस्पैच में बार-बार ज्यादा देरी हो रही है, न्यायालय ने हरियाणा और पंजाब राज्यों में फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं के कामकाज को देखने के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया।
जस्टिस मंजरी नेहरू कौल ने कहा,
"हरियाणा राज्य की समिति आईपीसी की धारा 420, 465, 468 और धारा 22 और 32 के तहत मामले के संबंध में अधिकारियों की कमियों और दोषीता यदि कोई हो पर भी गौर करेगी। पुलिस स्टेशन पिंजौर जिला पंचकुला में एनडीपीएस अधिनियम रजिस्टर्ड किया गया।"
हरियाणा राज्य के लिए समिति को ये अतिरिक्त निर्देश FSL रिपोर्ट की तैयारी और डिस्पैच दोनों में छह महीने की भारी देरी के साथ-साथ प्रस्तुत हलफनामे में न्यायालय ने कहा फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला मधुबन, हरियाणा के निदेशक द्वारा निम्नलिखित अनजाने गलतियों के कारण दिए गए।
न्यायालय ने यह भी कहा कि पिछले निर्देशों के अनुसरण में पंजाब एंड हरियाणा के एडवोकेट जनरल ने सीलबंद लिफाफे में अपने-अपने राज्यों के तीन IAS और IPS अधिकारियों के नाम सौंपे हैं, जो दोनों राज्यों के लिए 3 सदस्यीय समिति का हिस्सा होंगे। फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं की कार्यप्रणाली पर गौर करें।
नतीजतन न्यायालय ने पंजाब एंड हरियाणा राज्यों के लिए निम्नलिखित समितियों को निर्देश दिया-
पंजाब राज्य के लिए समिति-
(i) धीरेंद्र कुमार तिवारी, आईएएस, अतिरिक्त मुख्य सचिव, सामाजिक न्याय, अधिकारिता और अल्पसंख्यक।
(ii) वी. नीरजा, आईपीएस।
(iii) नीलकंठ एस अवहाद, आईएएस, प्रमुख सचिव, जल आपूर्ति और स्वच्छता।
हरियाणा राज्य के लिए समिति
(i) विनीत गर्ग, आईएएस, अतिरिक्त मुख्य सचिव, हरियाणा सरकार।
(ii) विजयेंद्र कुमार, आईएएस, प्रधान सचिव, हरियाणा सरकार।
(iii) अमिताभ सिंह ढिल्लों, आईपीएस, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, हरियाणा।
जस्टिस कौल ने कहा कि समितियों के कार्यक्षेत्र मे FSL की रिपोर्ट तैयार करने और प्रस्तुत करने में देरी के लिए जिम्मेदार अंतर्निहित प्रशासनिक और तकनीकी कारणों की पहचान करना शामिल होगा। इसके अतिरिक्त समितियां FSL द्वारा समय पर रिपोर्ट तैयार करने और प्रस्तुत करने को सुनिश्चित करने के लिए पूरी प्रक्रिया को तेज और सुव्यवस्थित करने के लिए उपचारात्मक उपाय भी प्रस्तावित करेंगी।
यह कहते हुए कि समितियों द्वारा 22 अप्रैल या उससे पहले अंतरिम रिपोर्ट इस न्यायालय को सौंपी जाएगी। न्यायालय ने कहा कि उक्त अभ्यास आज (15 मार्च) से 8 सप्ताह के भीतर पूरा किया जाना चाहिए।
मामले को अब आगे विचार के लिए 22 अप्रैल तक के लिए स्थगित किया गया।