पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने जिला जज पर 10 हजार का जुर्माना लगाया, 'पिक एंड चूज़ पॉलिसी' के उपयोग का है मामला

Update: 2024-10-18 06:26 GMT

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने अपने न्यायालय में पदस्थ क्लर्क को द्वितीय सुनिश्चित कैरियर प्रगति (ACP) का लाभ देने से मना करने पर पिक एंड चूज़ पॉलिसी अपनाने पर जिला एवं सेशन जज पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया।

जस्टिस महाबीर सिंह सिंधु ने कहा,

"एक पुरानी कहावत है तुम मुझे आदमी दिखाओ और मैं तुम्हें नियम दिखाऊंगा जिसका अर्थ है कि नियम इस बात पर निर्भर करते हैं कि व्यक्ति कितना प्रभावशाली या शक्तिशाली है। यह स्पष्ट रूप से प्रतिवादी संख्या 2 और 3 द्वारा अपनाई गई चयन नीति का क्लासिक मामला प्रतीत होता है, जिसमें याचिकाकर्ता को दूसरे एसीपी का वैध लाभ देने से इनकार किया गया, जबकि अन्य समान स्थिति वाले कर्मचारियों को लाभ दिया गया। इस प्रकार, प्रतिवादी नंबर 3 (जिला और सेशन जज, पटियाला) की कार्रवाई पूरी तरह से अनुचित पाई गई; इसलिए इसे अमान्य माना जाना चाहिए।"

यह याचिका मुनीश गौतम नामक व्यक्ति द्वारा दायर की गई, जिसे 2009 में जिला और सेशन जज मानसा के कार्यालय में क्लर्क के रूप में नियुक्त किया गया। गौतम को हाईकोर्ट द्वारा जारी आदेश के अनुसार मानसा सेशन डिवीजन से पटियाला सेशन डिवीजन में ट्रांसफर किया गया। तदनुसार, उन्होंने पटियाला सेशन डिवीजन में कार्यभार ग्रहण किया। उन्हें सेशन डिवीजन पटियाला में कार्यरत क्लर्कों की वरिष्ठता सूची में सबसे नीचे रखा गया।

पंजाब सरकार ने 4, 9 और 14 साल की सेवा पूरी करने पर उसी कैडर में बिना पदोन्नति के रह गए कर्मचारियों को एसीपी स्कीम देने की नीति शुरू की।

याचिकाकर्ता को क्लर्क के कैडर में चार वर्ष की सेवा पूरी करने पर 2013 में जिला एवं सेशन जज मानसा द्वारा उपरोक्त नीति का लाभ प्रदान किया गया लेकिन नौ वर्ष पूरे होने पर द्वितीय ACP का लाभ देने के उनके दावे को जिला एवं सेशन जज पटियाला ने इस आधार पर अस्वीकार कर दिया कि सेशन डिवीजन से दूसरे सेशन डिवीजन में ट्रांसफर पर याचिकाकर्ता द्वारा की गई सेवा जब्त हो गई।

प्रस्तुतिया सुनने और पंजाब सिविल सेवा नियम खंड 1 भाग 1 की जांच करने के बाद न्यायालय ने पाया कि याचिकाकर्ता अपनी पिछली सेवा की गणना करके योजना का हकदार था।

जस्टिस सिंधु ने इस बात पर प्रकाश डाला कि RTI के तहत यह बात सामने आई कि याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई राहत जिला एवं सेशन जज पटियाला और जिला एवं सेशन जज फतेहगढ़ साहिब के समान स्थिति वाले कर्मचारियों को दी गई।

न्यायाधीश ने कहा,

"प्रतिवादी नंबर 2 और 3 के वकील यह बताने में विफल रहे हैं कि याचिकाकर्ता के साथ भेदभाव क्यों किया गया, जबकि अन्य समान स्थिति वाले कर्मचारियों को लाभ दिया गया।"

उपर्युक्त के आलोक में न्यायालय ने योजना का लाभ मांगने वाले याचिकाकर्ता की याचिका को स्वीकार कर लिया और जिला जज तथा अन्य पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया।

केस टाइटल: मुनीश गौतम बनाम पंजाब राज्य और अन्य

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