DRT-II के काम न करने से हाईकोर्ट में याचिकाओं की बाढ़ आ गई: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने DRT-I को अतिरिक्त प्रभार देने का निर्देश दिया
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ में अगस्त से लोन वसूली न्यायाधिकरण-II (DRT-II) के काम न करने के कारण पैदा हुई विचित्र स्थिति को चिन्हित किया, क्योंकि हाईकोर्ट प्रतिकूल रूप से प्रभावित वादियों की याचिकाओं से अटा पड़ा है।
जस्टिस लिसा गिल और जस्टिस सुखविंदर कौर ने कहा,
"DRT-II के काम न करने के कारण पैदा हुई विकट स्थिति के कारण प्रतिकूल रूप से प्रभावित पक्षों द्वारा इस न्यायालय के समक्ष रिट याचिकाओं की बाढ़ आ गई। यह बताने के लिए कोई समय-सीमा उपलब्ध नहीं है कि DRT-II कब तक काम करना शुरू कर देगा।"
प्रभावित वादियों को अनावश्यक देरी और कठिनाइयों से बचाने के लिए न्यायालय ने निर्देश दिया कि पहले की व्यवस्था, जिसमें DRT-II का अतिरिक्त प्रभार DRT-I को दिया गया। सुनवाई की अगली तिथि या नियुक्ति के लिए कैबिनेट समिति द्वारा लिए गए किसी भी निर्णय तक, जो भी पहले हो जारी रहेगी।
न्यायालय वादियों की दुर्दशा को उजागर करने वाली दो रिट याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था। अगस्त 2024 से न तो DRT-II के कार्यों का निर्वहन करने के लिए किसी पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति की गई, न ही DRT-II का अतिरिक्त प्रभार, जो पहले DRT-I को सौंपा गया था बढ़ाया गया।
याचिकाओं पर विचार करते हुए न्यायालय ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल सत्य पाल जैन को न्यायालय को यह बताने के लिए बुलाया कि DRT-II कब कार्यात्मक हो जाएगा।
एएसजी सत्य पाल जैन ने बताया कि DRT-II का अतिरिक्त प्रभार DRT-I को सौंपने का प्रस्ताव अगस्त में ही कैबिनेट कमेटी फॉर अपॉइंटमेंट्स को भेजा जा चुका है लेकिन अभी भी मंजूरी का इंतजार है और कोई निश्चित समयसीमा उपलब्ध नहीं है।
उपर्युक्त के आलोक में न्यायालय ने निर्देश दिया कि पहले की व्यवस्था जिसमें DRT-II का अतिरिक्त प्रभार DRT-I को दिया गया। सुनवाई की अगली तारीख या कैबिनेट कमेटी फॉर अपॉइंटमेंट्स द्वारा लिए गए किसी भी निर्णय तक जो भी पहले हो जारी रहेगी।
मामले को कैबिनेट कमेटी फॉर अपॉइंटमेंट्स के निर्णय से अवगत कराने के लिए सूचीबद्ध करते हुए न्यायालय ने कहा,
"पक्षकारों को उक्त फोरम के समक्ष अपने पास उपलब्ध सभी दलीलें उठाने की स्वतंत्रता है। याचिकाकर्ताओं को इन दोनों मामलों की सुनवाई के लिए DRT-I के समक्ष उचित आवेदन दायर करने की स्वतंत्रता दी जाती है, जिसके बारे में हम आश्वस्त हैं कि DRT के समक्ष जो भी तात्कालिकता दिखाई जाएगी। उसके अनुसार इसे लिया जाएगा।"
केस टाइटल: जवाला ट्रेडिंग कंपनी और अन्य बनाम भारतीय रिजर्व बैंक और अन्य [अन्य याचिका के साथ]