सार्वजनिक स्थल पर महिला की मर्यादा भंग करना गंभीर अपराध, चाहे IPC की धारा 354 के तहत सजा का प्रावधान कुछ भी हो: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी महिला की सार्वजनिक स्थल पर मर्यादा भंग करने का अपराध समझौते के आधार पर समाप्त नहीं किया जा सकता। यह एक गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है, भले ही भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354 के तहत दी जाने वाली सजा एक वर्ष से पांच वर्ष तक की हो।
जस्टिस जसगुरप्रीत सिंह पुरी ने कहा,
"इस तरह के मामलों में जैसे कि वर्तमान मामला है, जहां आरोप है कि दशहरा कार्यक्रम में सार्वजनिक स्थल पर 8-10 युवकों के समूह जिनमें तीन याचिकाकर्ता भी शामिल थे, ने शिकायतकर्ता (प्रतिवादी नंबर 2) की मर्यादा भंग करने की कोशिश की, जो अपने पति के साथ मौजूद थीं और जब उनके पति ने आपत्ति जताई तो उन्हें लोहे के कड़े (कड़ा) से सिर पर मारा गया, जिससे वह घायल हो गए ऐसी हरकत को निजी अपराध नहीं माना जा सकता।"
अदालत ने आगे कहा,
"यह ऐसा अपराध है जो समाज के व्यापक हित को प्रभावित करता है, विशेषकर इसलिए, क्योंकि यह घटना एक सार्वजनिक स्थान पर हुई, जहां दशहरा कार्यक्रम चल रहा था।"
यह याचिका भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 528 के तहत FIR नंबर 225 दिनांक 25.10.2023 को IPC की धारा 354 और 323 के अंतर्गत दर्ज FIR समझौते के आधार पर रद्द करने हेतु दाखिल की गई थी।
शिकायत के अनुसार दशहरे के मेले में 8-10 लड़कों ने महिला की मर्यादा भंग की और उसके पति को सिर पर वार कर घायल कर दिया।
याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील दी गई कि FIR दर्ज होने के बाद पुलिस जांच पूरी हो गई है। चालान अदालत में पेश हो चुका है और आरोप तय हो चुके हैं, लेकिन इस बीच पक्षों के बीच समझौता हो गया।
यह भी बताया गया कि याचिकाकर्ता युवा हैं। उनकी उम्र क्रमशः 21, 25 और 25 वर्ष है और वे दशहरे के मेले में मौजूद थे, जहां यह घटना हुई।
अदालत ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि कुछ मामलों में समझौते के आधार पर FIR रद्द की जा सकती है लेकिन यह कोई अधिकार नहीं है। हर मामला उसके तथ्यों और परिस्थितियों के अनुसार देखा जाना चाहिए।
अदालत ने कहा,
"जहां अपराध किसी निजी विवाद जैसा हो जैसे वैवाहिक विवाद, व्यावसायिक विवाद, धन संबंधी मामले या अन्य हल्के किस्म के अपराध वहां FIR समझौते के आधार पर रद्द की जा सकती है।"
लेकिन अदालत ने यह भी स्पष्ट किया,
"अभी भी अभियुक्त के पास ऐसा कोई अधिकार नहीं है कि वह समझौते के आधार पर FIR रद्द करवा सके। अदालत को प्रत्येक मामले में अत्यधिक सतर्कता और विवेक के साथ विचार करना होता है।"
अदालत ने अपराध की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए कहा कि भले ही IPC की धारा 354 के तहत सजा का प्रावधान कम से कम एक वर्ष और अधिकतम पांच वर्ष हो फिर भी यह अपराध गंभीर श्रेणी में आता है।
इन सभी तथ्यों के आधार पर अदालत ने याचिका खारिज कर दी।
केस टाइटल: XXX बनाम पंजाब राज्य एवं अन्य