अस्पष्ट और तर्कहीन आदेश रद्द: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने नगर परिषद अध्यक्ष को हटाने के फैसले पर लगाई रोक

Update: 2025-11-08 07:44 GMT

पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसके तहत पंजाब म्युनिसिपल एक्ट 1911 की धारा 22 के तहत नगर परिषद, समाना के अध्यक्ष को पद से हटा दिया गया था। कोर्ट ने इसे पूरी तरह से अस्पष्ट और तर्कहीन आदेश माना।

जस्टिस हरसिमरन सिंह सेठी और जस्टिस विकास सूरी की खंडपीठ ने मामले को राज्य सरकार को वापस भेज दिया, ताकि वह इस तथ्य पर नए सिरे से निर्णय ले सके कि क्या जिस बैठक में याचिकाकर्ता के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित किया गया, वह 1911 अधिनियम के प्रावधानों के तहत वैध रूप से बुलाई गई थी या नहीं।

कोर्ट ने कहा,

"अतिरिक्त मुख्य सचिव पंजाब सरकार, स्थानीय सरकार विभाग द्वारा पारित आदेश दिनांक 17/21.10.2025 (अनुलग्नक P-25) पूरी तरह से अस्पष्ट और तर्कहीन है, इसे रद्द किया जाता है। साथ ही मामले को राज्य सरकार को वापस भेजा जाता है ताकि वह इस तथ्य के संबंध में एक नया आदेश पारित करे कि जिस बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया, जिसके आधार पर याचिकाकर्ता को हटाने की मांग की गई, वह 1911 अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार वैध रूप से आयोजित की गई या नहीं। उसके बाद ही यह तय किया जाए कि ऐसी बैठक में पारित अविश्वास प्रस्ताव कानून के अनुसार था या नहीं।"

याचिकाकर्ता ने आदेश को इस आधार पर चुनौती दी कि सरकार उनके इस आपत्ति पर विचार करने में विफल रही कि 15 फरवरी, 2025 को हुई बैठक जिसमें अविश्वास प्रस्ताव पारित किया गया, पंजाब म्युनिसिपल एक्ट, 1911 की धारा 25 और 26 का उल्लंघन करते हुए आयोजित की गई।

याचिकाकर्ता के अनुसार धारा 25 के तहत जब अविश्वास प्रस्ताव के लिए एक मांग प्राप्त होती है तो अध्यक्ष को 14 दिनों के भीतर एक बैठक बुलानी होती है। यदि वह ऐसा करने में विफल रहता है तभी दो पार्षद इसे बुला सकते हैं। इस मामले में पार्षदों ने कथित तौर पर 14 दिन की अवधि समाप्त होने से पहले ही बैठक आयोजित कर ली, जिससे वह अमान्य हो गई।

कोर्ट की टिप्पणी

न्यायालय ने पाया कि राज्य सरकार के आदेश में बैठक की वैधता के संबंध में याचिकाकर्ता की आपत्तियों पर ध्यान भी नहीं दिया गया और उन्हें खारिज करने के लिए कोई कारण नहीं बताया गया।

कोर्ट ने कहा,

"समग्रता को ध्यान में रखते हुए चूंकि अतिरिक्त मुख्य सचिव पंजाब सरकार, स्थानीय सरकार विभाग द्वारा पारित आदेश दिनांक 17/21.10.2025 पूरी तरह से अस्पष्ट और तर्कहीन है इसे रद्द किया जाता है।"

अब मामले को राज्य सरकार को भेज दिया गया ताकि वह एक नया तर्कसंगत आदेश पारित करे, जिसमें पहले यह तय किया जाए कि 15.02.2025 को आयोजित बैठक कानून के अनुसार वैध रूप से बुलाई गई थी या नहीं। उसके बाद ही अविश्वास प्रस्ताव के संकल्प की वैधता पर निर्णय लिया जाए।

यह फैसला सरकारी अधिकारियों के लिए एक स्पष्ट अनुस्मारक है कि किसी भी पद पर बैठे व्यक्ति को हटाने से संबंधित आदेशों में तर्कसंगतता और वैधानिक अनुपालन का स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए।

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