पूर्व सैनिक युवावस्था में रिटायर होते हैं, नियोक्ता आरक्षण लाभ से इनकार कर पुनर्वास में बाधा न बनें: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पूर्व सैनिकों के सम्मान की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि यह नियोक्ताओं का कर्तव्य है कि वे पूर्व सैनिक कोटे के तहत रोजगार के अवसर से इनकार करके उनके पुनर्वास में बाधा न डालें।
जस्टिस हरप्रीत सिंह बराड़ ने कहा,
"पूर्व सैनिकों द्वारा राष्ट्र को दी गई सेवाओं का व्यावहारिक तरीके से सम्मान किया जाना चाहिए, यानी उन्हें नागरिक रोजगार के अवसर प्रदान करके। पूर्व सैनिक हर साल बड़ी संख्या में अपेक्षाकृत कम उम्र में सेवानिवृत्त होते हैं। हालांकि, उनके नागरिक रोजगार के अवसर हमेशा उस दर के अनुपात में नहीं होते, जिस पर पूर्व सैनिकों को सेवा से मुक्त किया जाता है। ऐसे में यह हर नियोक्ता का कर्तव्य है कि वे पूर्व सैनिक कोटे के तहत रोजगार के अवसरों से इनकार करके उनके पुनर्वास में कोई अनावश्यक बाधा पैदा न करें।"
कोर्ट ने समझाया कि अगर भर्ती के लिए निर्धारित आवश्यक योग्यताएं ऐसी हैं कि वे पूर्व सैनिकों को प्रदान किए गए आरक्षण के लाभ को निष्क्रिय कर देती हैं तो यह पूरा प्रयास व्यर्थ हो जाएगा। इसलिए जज ने कहा कि पूर्व सैनिकों के पक्ष में किए गए आरक्षण के इच्छित लाभों को प्रदान करने के लिए नियमों में पर्याप्त छूट दी जानी चाहिए।
कोर्ट यह टिप्पणी जूनियर इंजीनियर (जेई) (इलेक्ट्रिकल) के पद पर याचिकाकर्ता विनोद कुमार एक पूर्व सैनिक हैं। उनकी नियुक्ति के लिए दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कर रहा था।
याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता ने पूर्व सैनिक श्रेणी के तहत जेई के पद के लिए परीक्षा दी थी। उस श्रेणी के लिए 45.825 कट-ऑफ अंक के मुकाबले 51.675 अंक प्राप्त करके याचिकाकर्ता को सफल घोषित किया गया था।
याचिकाकर्ता ने भारतीय नौसेना को एक ईमेल लिखा, जिसमें सेवा के दौरान पूरी की गई डिप्लोमा की समकक्षता का आवश्यक प्रमाण पत्र जारी करने का अनुरोध किया गया था। नौसेना पेंशन कार्यालय ने प्रतिवादी-निगम को सूचित किया कि सीएचईएल (आर)/सीएचईएल (पी) के नौसेना ट्रेडों वाले व्यक्तियों को जूनियर इंजीनियर (इलेक्ट्रिकल) के पद के लिए विचार किया जा सकता है।
प्रतिवादी अधिकारियों के वकील ने प्रस्तुत किया कि समकक्षता केवल संबंधित नियमों के तहत विशेषज्ञ निकाय द्वारा ही प्रदान की जा सकती है। उन्होंने तर्क दिया कि भारतीय नौसेना द्वारा दी गई समकक्षता को जेई (इलेक्ट्रिकल) के पद के लिए निर्धारित आवश्यक योग्यताओं के संदर्भ में संतोषजनक नहीं माना जा सकता है।
दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने कहा,
"यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि सशस्त्र बलों के साथ सेवा के दौरान प्राप्त तकनीकी कौशल में सबसे कठोर प्रकार के प्रशिक्षण शामिल होते हैं।"
जस्टिस बराड़ ने स्पष्ट किया कि आमतौर पर अदालतों को किसी भी रोजगार के लिए चयन तंत्र में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। खासकर शैक्षिक योग्यताओं से संबंधित शर्तों के बारे में। हालांकि वर्तमान मामले में यह हस्तक्षेप आवश्यक है, क्योंकि इसमें एक अच्छी तरह से प्रशिक्षित पूर्व सैनिक की भर्ती में देरी शामिल है।
उपरोक्त को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने प्रतिवादी-निगम के प्रबंध निदेशक को अगली सुनवाई की तारीख तक हलफनामा दायर करने के लिए कहा, जिसमें यह बताया जाए:
1. जेई (इलेक्ट्रिकल) के पद के लिए आवश्यक शर्तें कब लागू की गईं?
2. उक्त आवश्यक योग्यता लागू होने के बाद से जेई (इलेक्ट्रिकल) के पद पर कितने पूर्व सैनिकों का चयन किया गया है?
मामले को 15 अक्टूबर के लिए स्थगित किया गया।