पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने जजों पर अशोभनीय टिप्पणियां करने वाले याचिकाकर्ता को दी सख्त चेतावनी
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एक याचिकाकर्ता को उस समय सख्त चेतावनी दी, जब उसने तीन हाईकोर्ट के जजों और गुरुग्राम के जिला जज के खिलाफ अशोभनीय और अवमाननापूर्ण भाषा का इस्तेमाल किया।
जस्टिस हरप्रीत सिंह बराड़ ने कहा,
"याचिकाकर्ता की कानूनी जानकारी की कमी को देखते हुए यह अदालत मानती है कि उसके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि उसे उसकी भाषा और व्यवहार के लिए कड़ी चेतावनी दी जाती है और स्पष्ट रूप से आगाह किया जाता है कि भविष्य में इस प्रकार का आचरण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।"
याचिकाकर्ता ने याचिका दायर कर माया देवी की वसीयत के फर्जीवाड़े और जालसाजी की CBI जांच की मांग की थी।
याचिकाकर्ता का आरोप था कि माया देवी के कानूनी प्रतिनिधियों ने उनकी वसीयत में जालसाजी कर उनके नकली अंगूठे के निशान लगाकर रिकॉर्ड में हेराफेरी की। इसमें एक वकील की भी मिलीभगत थी।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने न केवल गुरुग्राम की एसीजे (एसडी) बल्कि हाईकोर्ट के तीन जजों के खिलाफ भी गंभीर आरोप लगाए और आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग किया।
न्यायालय ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता इस बात को स्पष्ट नहीं कर पाया कि उसने संबंधित मजिस्ट्रेट कोर्ट में CrPC की 156(3) के तहत आवेदन क्यों नहीं किया और सीधे हाईकोर्ट क्यों आया।
अदालत ने टिप्पणी की,
"याचिकाकर्ता यह दिखाने में विफल रहा है कि उसे किस प्रकार पीड़ित किया गया। उसने न्याय व्यवस्था की निष्पक्षता पर गंभीर, आधारहीन और निंदनीय आरोप लगाए।"
अंततः रिकॉर्ड का अवलोकन करने के बाद अदालत ने पाया कि याचिकाकर्ता के आरोपों का कोई वैध आधार नहीं है। इसलिए याचिका खारिज कर दी गई।
केस टाइटल: चंदू लाल बनाम स्व. माया देवी (कानूनी उत्तराधिकारियों के माध्यम से)