पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने राज्य सरकारों से कहा कि आवारा पशुओं को गौशालाओं'के लिए उठाने का काम उचित संवेदनशीलता के साथ किया जाना चाहिए

Update: 2024-07-12 07:35 GMT

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि शहरी क्षेत्रों से आवारा पशुओं को उठाकर उन्हें संबंधित गौशालाओं में ले जाने का काम उचित संवेदनशीलता के साथ किया जाए।

एक्टिंग चीफ जस्टिस जीएस संधावालिया (जैसा कि वे तब थे) और जस्टिस विकास बहल ने कहा,

"हमें पूरा विश्वास है कि पंजाब राज्य और शहरी स्थानीय निकायों के प्रभारी अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि उप-नियमों का सख्ती से पालन किया जाए और उचित अनुपालन किया जाए तथा सभी शहरी क्षेत्रों से आवारा पशुओं को उठाकर उन्हें संबंधित गौशालाओं में ले जाने का काम किया जाए जो पड़ोस में उपलब्ध हैं।"

न्यायालय ने कहा,

"राज्य को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उक्त कार्य उचित संवेदनशीलता के साथ किया जाए, क्योंकि यह ध्यान देने योग्य है कि शहरी क्षेत्रों में भारी वाहनों के आवागमन के कारण आवारा पशुओं का खतरा चाहे वे चलते हों या स्थिर चोट लगने और दुर्घटनाएं होने का कारण बन सकता है, जो कभी-कभी वाहन चलाने वाले या पैदल यात्रा करने वाले व्यक्ति के लिए घातक साबित हो सकता है, क्योंकि विभिन्न मामलों में यह बात सामने आई है कि आवारा पशु कभी-कभी आपस में लड़ते हुए पैदल चलने वालों को भी चोट पहुंचाते हैं।"

ये टिप्पणियां जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए की गईं, जिसमें राज्य के अधिकारियों को पंजाब राज्य में आवारा पशुओं सहित आवारा गायों/बैलों को रखने के लिए सभी आवश्यक बुनियादी ढांचे के साथ पशु बाड़ों का निर्माण सुनिश्चित करने और ऐसे आवारा पशुओं की देखभाल की व्यवस्था करने के निर्देश देने की मांग की गई, जिससे निर्दोष नागरिक रोजमर्रा की जिंदगी में प्रभावित न हों। पंजाब सरकार ने प्रस्तुत किया कि पशु बाड़ों के प्रबंधन के लिए जिला उपायुक्त की अध्यक्षता में प्रत्येक जिले में जिला पशुपालन सोसायटी का गठन किया जाएगा।

इसने दलील दी कि पंजाब राज्य में 457 पशु बाड़े चलाए जा रहे हैं, जो पंजाब गौ सेवा आयोग के साथ रजिस्टर्ड हैं। स्थानीय सरकार विभाग ने पशुपालन विभाग पंजाब के माध्यम से 457 पंजीकृत गौशालाओं को प्रति गौशाला 5,00,000 रुपए और कुल 22.85 करोड़ रुपए का भुगतान किया।

पंजाब सरकार की ओर से पेश हुए वकील ने उक्त उपनियमों को भी रिकॉर्ड में रखा और पशु बाड़ों के निर्माण और उसके रखरखाव तथा आवारा पशुओं को जब्त करने उन्हें हिरासत में लेने और उनकी नसबंदी करने तथा मुआवजे के लिए आवेदन करने के प्रावधानों के बारे में बताया।

अदालत ने कहा,

"यह भी बताया गया कि उपरोक्त के अलावा, उपनियमों में आवारा कुत्तों के हमले के मामले में मुआवजे के निर्धारण और प्रति घाव या प्रति पंचर के आधार पर मूल्यांकन करने का भी प्रावधान है।"

प्रस्तुतियों पर विचार करते हुए पीठ ने कहा,

"जब शहरी क्षेत्रों में नियम और उपनियम लागू हो गए हैं तो पंजाब राज्य द्वारा मांगी गई राहत का उचित निवारण किया गया है। इसलिए जनहित याचिका दायर करने का उद्देश्य पूरा हो गया।"

परिणामस्वरूप याचिका का निपटारा किया गया।

केस टाइटल- जतिंदर जैन बनाम हरियाणा राज्य और अन्य

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