UAPA Act: पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने कथित तौर पर अलग राज्य स्थापित करने की साजिश रचने वाले व्यक्ति को शरण देने के आरोप में गिरफ्तार महिला को जमानत दी

Update: 2024-05-02 07:53 GMT

पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने 58 वर्षीय महिला को जमानत दी, जिस पर 2019 में अलग राज्य स्थापित करने के लिए आपराधिक साजिश रचने के आरोप में कथित तौर पर शामिल व्यक्ति को शरण देने के आरोप में कठोर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम 1967 (UAPA Act) के तहत मामला दर्ज किया गया।

जस्टिस अनुपिंदर सिंह ग्रेवाल और जस्टिस कीर्ति सिंह की खंडपीठ ने कहा,

“महिला ने सह-आरोपी कुलविंदरजीत सिंह उर्फ ​​खानपुरिया को देश से भागने में मदद की थी और कंबोडिया में उसके ठहरने में मदद की थी। सह-आरोपी कुलविंदरजीत सिंह उर्फ ​​खानपुरिया को शरण देने के ये आरोप 2019 से 2019 तक की अवधि के हैं। यह सच है कि कुलविंदरजीत सिंह उर्फ ​​खानपुरिया को इस अवधि से पहले के मामलों में आरोपी के रूप में पेश किया गया, लेकिन उस समय उसे घोषित अपराधी घोषित नहीं किया गया।"

अदालत ने यह भी कहा कि अपीलकर्ता को आज तक आतंकवादी घोषित नहीं किया गया और वह 58 वर्षीय महिला है। अगस्त 2019 में गिरफ्तारी के बाद से 04 साल और 08 महीने की अवधि से हिरासत में है। अभी तक उसके पास से कोई भी आपत्तिजनक सामग्री बरामद नहीं हुई।

के.ए. नजीब बनाम भारत संघ का हवाला देते हुए अदालत ने कहा,

"हम इस तथ्य से अवगत हैं कि UAPA Act के तहत किसी आरोपी को जमानत देने के लिए धारा 43-डी के तहत निर्दिष्ट शर्तों को पूरा करना होगा।"

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने माना कि UAPA Act के तहत आरोपी को विचाराधीन कैदी के रूप में लंबी हिरासत के मद्देनजर भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के अनुसार जमानत पर रिहा किया जा सकता है।

न्यायालय NIA कोर्ट द्वारा पारित आदेश के खिलाफ अपील पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की धारा 4, 5, यूएपीए की धारा 13, 17, 18, 18-बी, 19, 20, 23 और धारा 120-बी आईपीसी के तहत अमृतसर जिला पंजाब में रजिस्टर्ड मामला दर्ज किया गया, जिसके तहत मंजीत कौर की नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी गई।

यह प्रस्तुत किया गया कि कौर को इस आधार पर आरोपी के रूप में आरोपित किया गया कि उसने सह-आरोपी कुलविंदरजीत सिंह उर्फ ​​खानपुरिया को शरण दी थी, जिसने अन्य सह-आरोपी के साथ मिलकर एक अलग राज्य की स्थापना के लिए आपराधिक साजिश रची थी।

प्रस्तुतियां सुनने के बाद न्यायालय ने पाया कि जब कौर ने कथित तौर पर यात्रा की व्यवस्था की और कंबोडिया में उसके ठहरने की सुविधा प्रदान की तब खानपुरिया को घोषित अपराधी नहीं घोषित किया गया।

शोमा कांति सेन बनाम महाराष्ट्र राज्य के हालिया मामले पर भरोसा किया गया, जिसमें न्यायालय ने नागपुर यूनिवर्सिटी की पूर्व प्रोफेसर शोमा सेन को जमानत दे दी जिन पर भीमा कोरेगांव मामले के संबंध में कथित माओवादी संबंधों के लिए गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम 1967 (UAPA Act) के तहत मामला दर्ज किया गया।

न्यायालय ने कहा,

"के.ए. नजीब बनाम भारत संघ (सुप्रा) के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि UAP Act के तहत आरोपी को विचाराधीन कैदी के रूप में लंबी हिरासत के मद्देनजर भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के अनुसार जमानत पर रिहा किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के इस दृष्टिकोण को शोमा कांति सेन बनाम महाराष्ट्र राज्य, आपराधिक अपील के मामले में दोहराया गया।”

उपर्युक्त के आलोक में न्यायालय ने फैसला किया कि अपीलकर्ता 58 वर्षीय महिला है। वह 04 साल और 08 महीने से अधिक समय से हिरासत में है। इस स्तर पर जमानत पर रिहा होने की हकदार होगी, जब 55 अभियोजन पक्ष के गवाहों में से केवल 12 की जांच की गई है और मुकदमे के निष्कर्ष में कुछ समय लगेगा।

परिणामस्वरूप तत्काल अपील स्वीकार कर ली गई तथा स्पेशल जज, एनआईए पंजाब, एसएएस नगर (मोहाली) द्वारा पारित आदेश रद्द कर दिया गया।

केस टाइटल- मंजीत कौर बनाम एनआईए

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