पंजाब एंड हरियाणा सुप्रीम कोर्ट ने जिला अस्पतालों में बुनियादी मेडिकल अवसंरचना पर राज्यों की नीतियों की जानकारी मांगी

Update: 2025-07-17 08:21 GMT

जिला अस्पतालों में आवश्यक मेडिकल उपकरणों की कमी पर चिंता जताते हुए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन से बुनियादी मेडिकल अवसंरचना पर अपनी नीति की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए एक विस्तृत हलफनामा प्रस्तुत करने को कहा है।

चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस संजीव बेरी की खंडपीठ ने कहा,

"प्रत्येक जिला अस्पताल में बुनियादी चिकित्सा अवसंरचना के संबंध में राज्य की मेडिकल नीति क्या है?"

यह देखते हुए कि जिला अस्पताल मलेरकोटला में MRI और सीटी स्कैन मशीन अभी तक नहीं खरीदी गई, न्यायालय ने कहा,

"मुफ्त मेडिकल सेवा प्रदान करना राज्य का का कार्य है, इसलिए हलफनामे में यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि मशीन क्यों नहीं खरीदी जा सकी। हलफनामे में यह भी स्पष्ट किया जाना चाहिए कि क्या जिला अस्पताल में मशीनें अस्पताल के स्वामित्व में हैं।"

न्यायालय भीष्म किंगर द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें पंजाब के मलेरकोटला के सरकारी अस्पताल में मेडिकल अधिकारियों की भारी कमी और सेवाओं में कमी को उजागर किया गया था।

सार्वजनिक मुद्दे के महत्व को ध्यान में रखते हुए न्यायालय ने मामले का दायरा बढ़ाते हुए हरियाणा और चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन को भी पक्षकार बनाया।

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने सरकारी संस्थानों की बिगड़ती स्थिति पर गौर करते हुए कहा,

"एक समय था जब सरकारी स्कूल फलते-फूलते थे। अब हम निजी स्कूलों के पीछे पड़ गए हैं।'

पंजाब सरकार की ओर से उपस्थित राज्य के वकील ने रिक्त पदों को भरने के संबंध में प्रधान सचिव का हलफनामा प्रस्तुत किया और बताया गया कि मलेरकोटला जिला अस्पताल में 20 चिकित्सा अधिकारी तैनात हैं।

न्यायालय ने मेडिकल अधिकारियों के स्थानांतरण के बाद रिक्त पदों को भरने के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं पर स्पष्टीकरण मांगा।

सीटी स्कैन और एमआरआई मशीनों के संबंध में, हलफनामे में खुलासा किया गया कि 27 मई को ई-निविदा जारी की गई थी लेकिन कोई बोलीदाता आगे नहीं आया इसलिए पुनः निविदा निकाली गई।

अब मामले की सुनवाई आगे के विचार के लिए 19 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी गई।

केस टाइटल: भीष्म किंगर बनाम पंजाब राज्य एवं अन्य

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