2016 Haryana Fake Students Scam | CBI सरकार पर जांच में सहायता के लिए किसी विशेष अधिकारी को नियुक्त करने का दबाव नहीं डाल सकती: हाईकोर्ट

Update: 2024-07-18 09:05 GMT

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) हरियाणा सरकार पर जांच में CBI की मदद के लिए किसी विशेष अधिकारी को नियुक्त करने का दबाव नहीं डाल सकती।

जनशक्ति की कमी का हवाला देते हुए CBI ने हाईकोर्ट में आवेदन दायर किया, जिसमें हरियाणा सरकार और डीजीपी को कथित 2016 फर्जी स्टूडेंट घोटाले की जांच के लिए प्रतिनियुक्ति पर पुलिस अधिकारी उपलब्ध कराने के निर्देश देने की मांग की गई।

चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस जगमोहन बंसल की खंडपीठ ने कहा,

"यह न्यायालय यह स्पष्ट करना चाहता है कि CBI हरियाणा राज्य पर जांच में CBI की सहायता के लिए किसी विशेष अधिकारी को नियुक्त करने का दबाव नहीं डाल सकती। CBI की सहायता के लिए किस अधिकारी को नियुक्त किया जाए और भेजा जाए यह निर्णय लेने का विवेक हरियाणा राज्य के विशेष अधिकार क्षेत्र में आता है।"

मामले को 22 जुलाई के लिए सूचीबद्ध करते हुए खंडपीठ ने CBI के वकील से राज्य के वकील को दायर आवेदनों की कॉपी उपलब्ध कराने को कहा जिन्हें निर्देश मांगने और सुनवाई की अगली तारीख पर जवाब देने का निर्देश दिया गया।

मामले की पृष्ठभूमि

2016 में हाईकोर्ट ने पाया कि हरियाणा सरकार द्वारा स्कूलों में दिखाए गए 4 लाख स्टूडेंट का डेटा फर्जी था और उन स्टूडेंट्स को रिकॉर्ड पर दिखाकर गेस्ट टीचर्स की भर्ती की गई। 2019 में मामले को तीन महीने की अवधि के भीतर जांच करने के लिए CBI को सौंप दिया गया।

हाल ही में जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस सुदीप्ति शर्मा की खंडपीठ ने स्टेटस रिपोर्ट मांगी और निर्देश दिया,

"जांच कर रहे जिम्मेदार अधिकारी स्थगित तिथि पर न्यायालय में उपस्थित रहेंगे।"

2016 में हरियाणा के सरकारी स्कूलों में गेस्ट टीचर्स की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने पाया कि सरकारी स्कूलों में विभिन्न कक्षाओं में 22 लाख छात्रों के नामांकन के विपरीत वास्तव में 18 लाख स्टूडेंट पाए गए। 4,00,000 फर्जी दाखिले किए गए।

खंडपीठ ने कहा कि 4 लाख दाखिले फर्जी पाए गए। इसका सीधा मतलब यह होगा कि युक्तिकरण के बाद भी शिक्षकों की भर्ती के लिए राज्य द्वारा जो भी आकलन किया गया, वह सही नहीं था। इसने जांच करने का निर्देश दिया और राज्य को उक्त उद्देश्य के लिए सीनियर अधिकारी नियुक्त करने के लिए कहा गया, जिससे विभिन्न स्कूलों में गैर-मौजूद 4 लाख स्टूडेंट्स के लिए धन के गबन की जांच की जा सके।

उपरोक्त निर्देशों के संदर्भ में राज्य ने अपना उचित जवाब प्रस्तुत नहीं किया, जिसके बाद 2019 में हाईकोर्ट ने अंततः SIT को एफआईआर के दस्तावेज पुलिस अधीक्षक CBI चंडीगढ़ को सौंपने का निर्देश दिया।

हाईकोर्ट द्वारा मामले में स्टेटस रिपोर्ट मांगे जाने के बाद लगभग पांच साल बाद CBI ने कथित तौर पर अब मामले में एफआईआर दर्ज की है।

जनशक्ति की कमी का हवाला देते हुए CBI ने हाईकोर्ट के समक्ष आवेदन दायर कर कथित घोटाले की जांच के लिए प्रतिनियुक्ति पर पुलिस अधिकारी उपलब्ध कराने के लिए हरियाणा सरकार और डीजीपी को निर्देश देने की मांग की।

इस मामले में CBI द्वारा जांच शुरू किए जाने की बात कहते हुए याचिका में कहा गया,

“CBI के संसाधन सीमित हैं और एजेंसी मानक संचालन प्रक्रियाओं (SOP) के अनुसार वर्तमान मामले की जांच के लिए अपने स्वयं के प्रशिक्षित जनशक्ति को लगाएगी, जिससे कर्मियों की बड़ी कमी पैदा होगी जो संगठन के कुशल कामकाज को प्रभावित करेगी।"

CBI ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दावा किया कि जांच के लिए बड़ी संख्या में लोगों की जरूरत पड़ सकती है और जांच हरियाणा पुलिस को सौंपी जानी चाहिए। हालांकि 2023 में याचिका खारिज कर दी गई। मामले को आगे के विचार के लिए 22 जुलाई को सूचीबद्ध किया गया।

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