क्या पंजाब में धान के भण्डार को जलाने से प्रदूषण बढ़ रहा है या ईंट भट्टों में धान के भूसे के छर्रे जलाने से? हाईकोर्ट तय करेगा

Update: 2024-10-19 06:09 GMT

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट इस बात पर विचार करेगा कि क्या पंजाब में कृषि क्षेत्रों में उपलब्ध विशाल धान के भण्डार को जलाने से प्रदूषण बढ़ रहा है या ईंट भट्टों में धान के भूसे के छर्रे जलाने से प्रदूषण बढ़ जाएगा।

चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल पंजाब ईंट भट्ठा मालिक संघ द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें पंजाब सरकार द्वारा 2022 में जारी अधिसूचना को चुनौती दी गई। इसमें पर्यावरण संरक्षण नियम 2022 पर भरोसा करते हुए इसने अधिसूचना जारी की थी, जिसमें पंजाब के सभी ईंट भट्ठों को कम से कम 20% कोयले को धान के भूसे के छर्रों से बदलने के लिए कहा गया।

याचिका में पंजाब सरकार को पर्यावरण संशोधन नियम 2022 के अनुसार संघ को ईंधन के रूप में कोयले का उपयोग करने की अनुमति देने का निर्देश देने की मांग की गई।

याचिका में कहा गया कि 2022 में केंद्र सरकार ने पर्यावरण संरक्षण नियम में संशोधन किया, जिसका उद्देश्य भट्ठे से निकलने वाले पार्टिकुलेट मैटर को 250 मिलीग्राम तक कम करना और यह भी सुनिश्चित करना था कि नए ईंट भट्ठों को ज़िगज़ैग तकनीक या वर्टिकल शाफ्ट पर उपयोग करने की अनुमति दी जाएगी।

2022 के नियमों में आगे कहा गया कि सभी ईंट भट्टों में केवल स्वीकृत ईंधन जैसे कि पाइप्ड नेचुरल गैस, कोयला, लकड़ी और या अवशेषों का उपयोग किया जाएगा। ईंट भट्टों में पेट कोक, टायर, प्लास्टिक के खतरनाक कचरे के उपयोग की अनुमति नहीं दी जाएगी।

यह प्रस्तुत किया गया कि एसोसिएशन ने पहले ही अपने अधिकांश भट्टों को या तो जिगज़ैग तकनीक या वर्टिकल शाफ्ट में बदल दिया, भले ही 2022 के नियम लागू हों, इसलिए 2022 के नियमों का आवश्यक अनुपालन पहले ही किया जा चुका है।

सुनवाई के दौरान न्यायालय ने एसोसिएशन की ओर से पेश सीनियर वकील से अगली सुनवाई की तारीख से पहले धान पेलेटाइजेशन इकाई स्थापित करने की अनुमानित लागत के संबंध में एक लिखित प्रस्तुतिकरण देने को कहा।

मामला सूचीबद्ध है।

केस टाइटल: पंजाब ईंट भट्ठा मालिक संघ बनाम पंजाब राज्य और अन्य

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