सीमा पार अवैध रेत खनन का पता लगाने के लिए क्या सेना को सर्वेक्षण करने के लिए नियुक्त किया जा सकता है? पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्या सेना सीमा पर अवैध रेत खनन का पता लगाने के लिए हवाई या भूमि सर्वेक्षण कर सकती है।
यह घटनाक्रम पंजाब में सीमावर्ती क्षेत्रों में अवैध खनन और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे को उठाने वाली याचिकाओं के समूह की सुनवाई के दौरान हुआ।
चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल की खंडपीठ ने कहा,
"भारत संघ की ओर से उपस्थित एडवोकेट को निर्देश प्राप्त करने और हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया जाता है कि "क्या रेत का अवैध खनन चल रहा है या नहीं, इसका पता लगाने के लिए हवाई या भूमि सर्वेक्षण करने के लिए सेना को तैनात किया जा सकता है?"
2020 में एडवोकेट सतिंदर कौर के माध्यम से गुरजीत सिंह द्वारा दायर याचिका के अनुसार LOC पर संवेदनशील सेना चौकियों से सटे रावी नदी के किनारे अवैध खनन कार्य राष्ट्र की सुरक्षा को खतरे में डाल रहे हैं। याचिका में यह भी कहा गया कि रेत लोड करने की फर्जी रसीदें छापकर अवैध रूप से बड़ी मात्रा में पैसा कमाया जा रहा है।
एक अन्य याचिकाकर्ता एडवोकेट ए.पी.एस. शेरगिल की ओर से पेश हुए वकील ने याचिका में कहा कि पठानकोट में अवैध खुदाई के कारण सीमा के पास गहरा गड्ढा बन गया, जिसके जरिए लोग पाकिस्तान से देश में प्रवेश कर सकते हैं।
इस मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने नवंबर 2023 में रक्षा मंत्रालय को निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ताओं द्वारा रिकॉर्ड में रखे गए सभी पहलुओं, सामग्री और तस्वीरों पर विचार करे और अगली तारीख पर यह बताए कि ऐसे क्षेत्रों में कानूनी खनन कैसे हो सकता है।
यह देखते हुए कि पिछले 10 वर्षों से पंजाब राज्य के सीमावर्ती क्षेत्र में यह खनन चल रहा है, रक्षा मंत्रालय को इन रिट याचिकाओं में उपलब्ध सामग्री और न्यायालय ने तब कहा था,
"सीमावर्ती क्षेत्रों में खनन को कानूनी रूप से कैसे किया जा सकता है। इस बारे में निर्णय लिया जाएगा और न्यायालय को उक्त निर्णय से अवगत कराया जाएगा।"
मामला आगे के विचार के लिए 18 सितंबर के लिए सूचीबद्ध किया गया।
केस टाइटल- गुरबीर सिंह पन्नू बनाम भारत संघ और अन्य