सिर्फ़ इसलिए कि कोई पुरुष महिला को जानता है, उसे बलात्कार करने का लाइसेंस नहीं मिल जाता: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने FIR रद्द करने से किया इनकार

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पुरुष के ख़िलाफ़ बलात्कार की FIR रद्द करने की अर्ज़ी खारिज करते हुए कहा कि सिर्फ़ इसलिए कि कोई पुरुष महिला को जानता है, उसे बलात्कार करने का लाइसेंस नहीं मिल जाता।
जस्टिस गुरपाल सिंह अहलूवालिया की एकल पीठ ने कहा,
"पीड़िता ने अपनी FIR में स्पष्ट रूप से कहा कि आवेदक पिछले 3 वर्षों से उसे जानता था। इसलिए आवेदक द्वारा जिन तस्वीरों पर भरोसा किया गया, वे पीड़िता के इस तर्क की पुष्टि करती हैं कि आवेदक उसे जानता है। सिर्फ़ इसलिए कि कोई पुरुष महिला को जानता है, उसे बलात्कार करने का लाइसेंस नहीं मिल जाता।"
आवेदक ने धारा 64(1) (बलात्कार के लिए दंड), 296 (अश्लील कृत्य और गीत), 351(2) (आपराधिक धमकी) बीएनएसएस और एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के कुछ प्रावधानों के तहत अपराधों के लिए दर्ज FIR रद्द करने की मांग की।
FIR के अनुसार जब पीड़िता खेत की ओर जा रही थी तो आवेदक ने उसे रोका और उससे बात करने की कोशिश की और जब उसने उससे बात करने से इनकार कर दिया तो वह उसे जबरन अपने घर के पीछे स्थित एक खेत में ले गया और उसके साथ बलात्कार किया।FIR में आगे कहा गया कि उसने उसे गंदी-गंदी गालियां दीं और उसे उसकी जाति के नाम से पुकारकर अपमानित किया और यह भी धमकी दी कि अगर किसी को घटना के बारे में बताया गया तो वह उसे मार देगा। आवेदक के वकील ने तर्क दिया कि कथित घटना के दो महीने बाद FIR दर्ज की गई थी।
यह भी तर्क दिया गया कि पीड़िता आवेदक को जानती थी जो अदालत के सामने रखी गई तस्वीरों से स्पष्ट है। इसलिए यह स्पष्ट है कि पीड़िता स्वयं सहमति देने वाली पार्टी थी।
न्यायालय ने नोट किया कि आवेदक पीड़िता को जानता था। हालांकि न्यायालय ने कहा कि किसी महिला को जानने मात्र से पुरुष को उसके साथ बलात्कार करने का लाइसेंस नहीं मिल जाता।
इसके अलावा FIR दर्ज करने में देरी के तर्क के संबंध में न्यायालय ने कहा कि देरी के आधार पर FIR रद्द नहीं की जा सकती।
न्यायालय ने रविंदर कुमार और अन्य बनाम पंजाब राज्य में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला दिया, जिसमें कहा गया कि यह याद रखना होगा कि कानून ने FIR दर्ज करने के लिए कोई समय निर्धारित नहीं किया। इसलिए देरी से दर्ज की गई FIR अवैध नहीं है।
न्यायालय ने देरी के आधार पर FIR रद्द करने से इनकार कर दिया और आवेदन खारिज कर दिया।
केस टाइटल: रघुराज गुर्जर उर्फ राजू बनाम मध्य प्रदेश राज्य और अन्य, विविध आपराधिक मामला संख्या 15256 वर्ष 2025