हनुमान मंदिर में भक्तों के लाभ के लिए सार्वजनिक उपयोगिता परिसर का निर्माण वातावरण और पारिस्थितिक संतुलन के लिए हानिकारक गतिविधि नहीं कहा जा सकता: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

Update: 2024-07-22 07:29 GMT

हाल ही में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने नरसिंहपुर में हनुमान मंदिर के पास नगर निगम द्वारा सार्वजनिक उपयोगिता परिसर के निर्माण में हस्तक्षेप करने से इनकार किया। न्यायालय ने तर्क दिया कि शौचालय का निर्माण भक्तों के लाभ के लिए है। ऐसे निर्माणों को मंदिर के वातावरण और पारिस्थितिकी संतुलन के लिए हानिकारक नहीं कहा जा सकता।

जस्टिस गुरपाल सिंह अहलूवालिया की एकल पीठ ने यह भी कहा कि न्यायालय स्पष्ट आपराधिक इतिहास वाले याचिकाकर्ता की मंशा को नहीं समझ सका, जो नगर निगम अधिकारियों को सार्वजनिक उपयोगिता परिसर के आगे निर्माण करने से रोकने के लिए निर्देश मांग रहा था।

जबलपुर की पीठ ने कहा,

"सार्वजनिक उपयोगिता परिसर का निर्माण भक्तों के लाभ के साथ-साथ हनुमान मंदिर के आस-पास के क्षेत्र को साफ और स्वच्छ रखने के लिए किया जा रहा है, इसलिए इस न्यायालय की यह राय है कि इसमें हस्तक्षेप करने का कोई मामला नहीं बनता।"

न्यायालय ने यह भी पाया कि याचिकाकर्ता कपिल कुमार दुबे मंदिर और निर्माणाधीन परिसर के बीच वास्तविक दूरी के बारे में न्यायालय को अवगत नहीं करा सके।

राज्य की ओर से पेश हुए वकील ने तर्क दिया कि दुबे को NDPS मामले में अभियोग के अलावा आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई और धारा 354 आईपीसी (बीएनएस, 2023 की धारा 74) के तहत अपराध किया गया। इसके अलावा, वह 17 आपराधिक मामलों में भी आरोपी है।

राज्य के अनुसार नगर परिषद गाडरवारा, जिला नरसिंहपुर ने सुलभ शौचालय का निर्माण करके मंदिर के आस-पास के क्षेत्र को साफ और स्वच्छ रखने का लक्ष्य रखा था।

हालांकि, दुबे की ओर से पेश वकील ने दोहराया कि सार्वजनिक उपयोगिता परिसर का निर्माण हनुमान मंदिर के आसपास के माहौल को खराब करेगा और निर्माण कार्यों को रोकने के लिए परमादेश की प्रकृति में निर्देश मांगा।

एकल न्यायाधीश पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा,

"भक्तों के लाभ के लिए सार्वजनिक उपयोगिता परिसर का निर्माण वातावरण और पारिस्थितिक संतुलन के लिए हानिकारक गतिविधि नहीं कहा जा सकता है।"

केस टाइटल- कपिल कुमार दुबे बनाम मध्य प्रदेश राज्य और अन्य।

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