समरी ट्रायल : भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के अनुभाग 284, 285, और 286 का विश्लेषण
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bhartiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) ने 1 जुलाई, 2024 से लागू होकर आपराधिक प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code) को प्रतिस्थापित किया। इसका अध्याय XXII छोटे-मोटे अपराधों (Minor Offenses) के निपटारे के लिए समरी ट्रायल (Summary Trial) की व्यवस्था करता है।
यह लेख अनुभाग 284, 285 और 286 की विस्तार से व्याख्या करता है और इनका व्यावहारिक उपयोग बताता है। साथ ही, इसमें अनुभाग 283 के प्रावधानों का संदर्भ भी दिया गया है, जो पहले चर्चा की गई थी।
समरी ट्रायल के लिए अधिकार सौंपना (Delegation of Powers for Summary Trial - Section 284)
अनुभाग 284 के तहत हाईकोर्ट (High Court) को यह अधिकार है कि वह दूसरे श्रेणी के मजिस्ट्रेट (Second-Class Magistrate) को विशेष अधिकार प्रदान करे ताकि वे निम्नलिखित अपराधों का सारांश में निपटारा कर सकें:
1. केवल जुर्माने से दंडनीय अपराध (Offenses Punishable by Fine Only)
जैसे सार्वजनिक उपद्रव (Public Nuisance) या वैध आदेश का पालन न करना।
2. छह महीने तक की सजा वाले अपराध (Offenses Punishable by Imprisonment up to Six Months)
इसमें चोरी (Petty Theft) या हल्की हाथापाई (Minor Physical Altercations) जैसे मामले शामिल हैं।
3. ऐसे अपराधों का प्रयास या उकसावा (Abetment or Attempt of Such Offenses)
यदि कोई व्यक्ति छोटे अपराधों का प्रयास करता है या उकसाता है, तो वह भी इसी दायरे में आता है।
उदाहरण
अगर कोई व्यक्ति सार्वजनिक स्थान पर कचरा फैलाता है, जो केवल जुर्माने से दंडनीय है, या हल्की मारपीट करता है, जिसकी सजा अधिकतम छह महीने तक हो सकती है, तो ऐसा मामला दूसरे श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा निपटाया जा सकता है।
यह प्रावधान न्यायिक प्रक्रिया को सरल और तेज बनाता है, छोटे मामलों को उच्च न्यायालयों तक ले जाने की आवश्यकता को कम करता है।
समरी ट्रायल के लिए सरल प्रक्रिया (Simplified Procedure for Summary Trial - Section 285)
अनुभाग 285 के अनुसार, समरी ट्रायलओं में समन मामले (Summons Cases) के लिए निर्दिष्ट प्रक्रिया का पालन किया जाएगा, जिसमें निम्नलिखित विशेषताएँ हैं:
1. सरल और त्वरित प्रक्रिया (Simplified and Fast-Tracked Procedure)
गवाहों के बयान (Statements of Witnesses) और आरोपी की पूछताछ (Examination of the Accused) को संक्षिप्त तरीके से दर्ज किया जाएगा।
2. सजा की सीमा (Limit on Punishment)
समरी ट्रायल में सजा तीन महीने से अधिक नहीं हो सकती है।
उदाहरण
अगर कोई व्यक्ति सार्वजनिक शांति भंग करने का दोषी पाया जाता है, तो उसे अधिकतम तीन महीने की सजा दी जा सकती है।
महत्व (Significance)
यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि मामूली अपराधों में सजा अधिक न हो और न्यायिक प्रक्रिया सरल और त्वरित बनी रहे।
समरी ट्रायल में रिकॉर्ड रखना (Record-Keeping in Summary Trials - Section 286)
अनुभाग 286 के अनुसार, हर सारांश मामले में मजिस्ट्रेट को राज्य सरकार द्वारा निर्दिष्ट प्रारूप (Prescribed Format) में निम्नलिखित जानकारियाँ दर्ज करनी होती हैं:
1. मामले का विवरण (Case Details)
o केस का क्रमांक (Serial Number)।
o अपराध और शिकायत/रिपोर्ट की तिथि।
2. पक्षकारों की जानकारी (Details of the Parties)
o शिकायतकर्ता (Complainant) का नाम।
o आरोपी का नाम, पता और उसके माता-पिता का नाम।
3. अपराध की जानकारी (Details of Offense)
o शिकायतित और साबित हुए अपराध का विवरण।
o अगर मामला अनुभाग 283(1)(b)(i)-(iii) के तहत आता है, तो संपत्ति का मूल्य।
4. प्रक्रिया का सारांश (Summary of Proceedings)
o आरोपी की दलील (Plea) और पूछताछ।
o निर्णय और सजा।
o कार्यवाही समाप्त होने की तिथि।
उदाहरण
यदि किसी व्यक्ति ने ₹15,000 की चोरी की, तो मजिस्ट्रेट को संपत्ति का मूल्य, आरोपी की दलील, और सुनाए गए निर्णय को दर्ज करना होगा।
महत्व (Purpose)
सटीक रिकॉर्ड पारदर्शिता (Transparency) और अपील/पुनर्विचार (Appeals or Reviews) के लिए सहायक होते हैं। यह न्याय प्रशासन में जवाबदेही सुनिश्चित करता है।
अनुभाग 283 से जुड़ाव (Connection to Section 283)
अनुभाग 284, 285 और 286 अनुभाग 283 के प्रावधानों पर आधारित हैं, जो समरी ट्रायल के तहत आने वाले अपराधों को परिभाषित करते हैं। जहां अनुभाग 284 मजिस्ट्रेट को अधिकार प्रदान करता है, अनुभाग 285 प्रक्रिया को सरल बनाता है, और अनुभाग 286 विस्तृत रिकॉर्ड रखने की व्यवस्था करता है।
समरी ट्रायल के लाभ (Advantages of Summary Trial)
1. प्रभावशीलता (Efficiency): छोटे-मोटे मामलों में न्याय में देरी नहीं होती।
2. सुलभता (Accessibility): मामूली अपराधों का जल्दी निपटारा होता है।
3. उचित सजा (Proportionality): छोटे अपराधों के लिए सजा सीमित रहती है।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के अनुभाग 284, 285 और 286 छोटे-मोटे अपराधों के निपटारे में त्वरित और न्यायपूर्ण प्रक्रिया को सुनिश्चित करते हैं। यह प्रावधान न केवल न्यायिक प्रणाली को सरल बनाते हैं बल्कि पारदर्शिता और निष्पक्षता को भी बढ़ावा देते हैं। यह न्याय प्रक्रिया को आधुनिक और प्रभावी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।