झूठी जानकारी, सबूत नष्ट करना और धोखाधड़ी पर भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 240 - 243
भारतीय न्याय संहिता (Bhartiya Nyaya Sanhita), 2023, जो 1 जुलाई 2024 से भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) का स्थान ले चुकी है, में कई ऐसे प्रावधान (Provisions) शामिल हैं जो झूठी जानकारी देने, सबूत नष्ट करने और धोखाधड़ी (Fraud) के मामलों को रोकने के लिए बनाए गए हैं। धारा 240 से 243 विशेष रूप से इन अपराधों पर केंद्रित हैं। यह लेख इन धाराओं को सरल हिंदी में समझाएगा और हर उदाहरण को विस्तार से बताएगा ताकि आम लोग भी इसे आसानी से समझ सकें और जानें कि कानून के तहत किस प्रकार सजा दी जा सकती है।
धारा 240: अपराध के बारे में झूठी जानकारी देना
धारा 240 के तहत अगर कोई व्यक्ति यह जानते हुए कि कोई अपराध हुआ है या उसे ऐसा विश्वास हो, और फिर भी वह अपराध के बारे में झूठी जानकारी देता है, तो वह दंड का पात्र होगा। इसका मतलब है कि अगर कोई जानबूझकर पुलिस या अधिकारियों को गलत जानकारी देता है, तो उसे इस धारा के तहत सजा दी जाएगी।
इस धारा के तहत सजा में दो साल तक की जेल, जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।
उदाहरण:
माल लीजिए एक व्यक्ति ने एक डकैती (Robbery) होते हुए देखी, लेकिन उसने पुलिस को गलत दिशा में जाने की जानकारी दी, यह जानते हुए कि उसकी दी गई जानकारी गलत है। अगर यह साबित हो जाता है कि व्यक्ति ने जानबूझकर झूठी जानकारी दी है, तो उसे धारा 240 के तहत सजा मिल सकती है।
स्पष्टीकरण:
धारा 240 में यह भी उल्लेख है कि यह प्रावधान (Provision) उन अपराधों पर भी लागू होता है जो भारत के बाहर हुए हों, बशर्ते कि वे अपराध यदि भारत में हुए होते तो वे धारा 103, 105, 307 आदि के तहत दंडनीय होते।
धारा 241: दस्तावेज़ या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड नष्ट करना
धारा 241 के तहत अगर कोई व्यक्ति किसी दस्तावेज़ या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड (Electronic Record) को नष्ट करता है, जिसे अदालत या किसी सार्वजनिक सेवक (Public Servant) के सामने सबूत के रूप में पेश किया जा सकता है, तो उसे सजा दी जाएगी। अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर दस्तावेज़ या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को नष्ट करता है या उसे अपठनीय (Unreadable) बनाता है, ताकि उसे अदालत में सबूत के रूप में पेश न किया जा सके, तो यह अपराध है।
इस धारा के तहत सजा में तीन साल तक की जेल, पांच हजार रुपये तक का जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।
उदाहरण:
मान लीजिए एक व्यक्ति को अदालत में एक महत्वपूर्ण ईमेल प्रस्तुत करने के लिए कहा जाता है, लेकिन वह व्यक्ति उस ईमेल को डिलीट कर देता है ताकि उसका उपयोग सबूत के रूप में न हो सके। यह कार्रवाई उसे धारा 241 के तहत दोषी बना सकती है, क्योंकि उसने जानबूझकर महत्वपूर्ण सबूत को नष्ट किया।
धारा 242: कानूनी कार्यवाही में किसी और की पहचान का झूठा उपयोग
धारा 242 उस स्थिति से संबंधित है, जब कोई व्यक्ति किसी और की पहचान (Identity) का झूठा उपयोग करता है और उस झूठी पहचान का उपयोग करके कानूनी बयान (Legal Statement), इकबाल (Confession), या कोई अन्य कानूनी कार्य करता है। यह अपराध गंभीर है क्योंकि इससे कानूनी प्रक्रिया में गलत परिणाम आ सकते हैं।
इस धारा के तहत सजा में तीन साल तक की जेल, जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।
उदाहरण:
कल्पना करें कि एक व्यक्ति किसी और की पहचान का उपयोग करके अदालत में इकबाल करता है या किसी को जमानत (Bail) देता है। अगर यह साबित हो जाता है कि उसने किसी और की पहचान का गलत उपयोग किया है, तो उसे धारा 242 के तहत सजा मिल सकती है।
धारा 243: संपत्ति को जब्त होने से बचाने के लिए धोखाधड़ी
धारा 243 उन मामलों से संबंधित है जब कोई व्यक्ति धोखाधड़ी (Fraud) के इरादे से अपनी संपत्ति को छिपाने, स्थानांतरित करने या किसी और को देने की कोशिश करता है ताकि उसे अदालत द्वारा जब्त न किया जा सके। यह संपत्ति किसी जुर्माने (Fine) या अदालत के आदेश के तहत जब्त की जा रही हो, तो उसे धोखे से बचाने का प्रयास करना अपराध है।
इस धारा के तहत सजा में तीन साल तक की जेल, पांच हजार रुपये तक का जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।
उदाहरण:
मान लीजिए एक व्यक्ति जानता है कि उसकी संपत्ति अदालत द्वारा जब्त की जाने वाली है, और वह संपत्ति को अपने रिश्तेदार के नाम पर स्थानांतरित कर देता है ताकि इसे बचाया जा सके। यह कार्रवाई उसे धारा 243 के तहत दोषी बना सकती है और उसे सजा या जुर्माना हो सकता है।
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 240 से 243 उन अपराधों पर केंद्रित हैं, जिनमें झूठी जानकारी देना, सबूतों को नष्ट करना और धोखाधड़ी शामिल है। ये प्रावधान (Provisions) यह सुनिश्चित करते हैं कि कोई भी व्यक्ति कानूनी प्रक्रिया से बच न सके और अपराधी (Offenders) को दंडित किया जा सके।
कानून के तहत, झूठी जानकारी देने, दस्तावेज़ या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को नष्ट करने, किसी और की पहचान का झूठा उपयोग करने और संपत्ति को जब्त होने से बचाने के लिए की गई धोखाधड़ी जैसे मामलों में सख्त सजा दी जा सकती है, ताकि न्यायिक प्रक्रिया (Judicial Process) को ईमानदार और पारदर्शी (Transparent) बनाए रखा जा सके।