धारा 308 के तहत एक्सटॉरशन की सजा: भारतीय न्याय संहिता 2023 – भाग 2

Update: 2024-11-20 13:45 GMT

इस लेख के पहले भाग में हमने एक्सटॉरशन (Extortion) की परिभाषा और इसके मुख्य तत्वों को समझा। हमने देखा कि कैसे डर और ईमानदारी से हटकर मंशा (Dishonest Intent) का इस्तेमाल किसी व्यक्ति को उसकी मर्ज़ी के खिलाफ कार्य करने के लिए मजबूर करने में किया जाता है।

इस दूसरे भाग में, हम धारा 308 के अंतर्गत एक्सटॉरशन के लिए दी जाने वाली सज़ा पर चर्चा करेंगे। इसमें विभिन्न परिस्थितियों के लिए सज़ा के प्रावधान (Provisions) दिए गए हैं, जिन्हें उदाहरणों (Examples) के साथ समझाया जाएगा।

सामान्य एक्सटॉरशन के लिए सज़ा (Punishment for General Extortion: Section 308(2))

जो कोई भी एक्सटॉरशन करता है, उसे सात साल तक की कैद हो सकती है। यह कैद कठिन (Rigorous) या साधारण (Simple) दोनों प्रकार की हो सकती है। इसके अलावा, उसे जुर्माना (Fine) देना पड़ सकता है, या दोनों सज़ाएं दी जा सकती हैं।

उदाहरण: यदि A, Z को धमकी देता है कि वह Z के बारे में झूठी और बदनाम करने वाली बातें (Defamatory Content) प्रकाशित करेगा और Z डरकर A को पैसे दे देता है, तो A को सात साल तक की कैद और/या जुर्माना हो सकता है।

एक्सटॉरशन के लिए डर पैदा करने का प्रयास (Attempting to Create Fear for Extortion: Section 308(3))

यदि कोई व्यक्ति चोट (Injury) का डर दिखाकर एक्सटॉरशन करने की कोशिश करता है, भले ही वह सफल न हो, तो उसे दो साल तक की कैद, जुर्माना, या दोनों की सज़ा हो सकती है।

उदाहरण: मान लीजिए A, Z को धमकी देता है कि वह उसकी कार के शीशे तोड़ देगा, अगर Z उसे पैसे नहीं देगा। यदि Z पैसे नहीं देता, लेकिन A का उद्देश्य (Intent) एक्सटॉरशन करना था, तो A को इस उपधारा (Subsection) के तहत सज़ा हो सकती है।

मौत या गंभीर चोट का डर दिखाकर एक्सटॉरशन की कोशिश (Creating Fear of Death or Grievous Hurt for Extortion: Section 308(4))

अगर कोई व्यक्ति मौत (Death) या गंभीर चोट (Grievous Hurt) का डर दिखाकर एक्सटॉरशन करने की कोशिश करता है, भले ही वह सफल न हो, तो उसे सात साल तक की कैद और जुर्माना देना होगा।

उदाहरण: A, Z को यह कहकर धमकी देता है कि "अगर तुमने अपनी ज़मीन मेरे नाम नहीं की, तो मैं तुम्हें गंभीर चोट पहुंचाऊंगा।" भले ही Z यह मांग पूरी न करे, A को सात साल तक की कैद हो सकती है।

मौत या गंभीर चोट का डर दिखाकर सफलतापूर्वक एक्सटॉरशन (Extortion by Threat of Death or Grievous Hurt: Section 308(5))

अगर मौत या गंभीर चोट का डर दिखाकर एक्सटॉरशन सफलतापूर्वक की जाती है, तो सज़ा और सख्त होती है। ऐसे मामलों में, अपराधी को दस साल तक की कैद और जुर्माने की सज़ा हो सकती है।

उदाहरण: A, Z के बच्चे का अपहरण करता है और कहता है कि "अगर तुमने एक लाख रुपये नहीं दिए, तो मैं तुम्हारे बच्चे को मार दूंगा।" Z डरकर पैसे दे देता है। यह अपराध इस उपधारा के तहत आता है, और A को दस साल तक की कैद हो सकती है।

सज़ा में अंतर (Differences in Punishment)

धारा 308 में एक्सटॉरशन के लिए सज़ा की गंभीरता (Severity) का स्तर इस बात पर निर्भर करता है कि डर और नुकसान किस हद तक उपयोग किया गया:

1. सामान्य एक्सटॉरशन (General Extortion) के लिए अधिकतम सज़ा सात साल है।

2. चोट का डर दिखाने के प्रयास (Attempt to Create Fear of Injury) के लिए अधिकतम सज़ा दो साल है।

3. मौत या गंभीर चोट का डर, चाहे वह प्रयास हो या सफलतापूर्वक एक्सटॉरशन, के लिए सज़ा सात से दस साल तक हो सकती है।

ये प्रावधान क्यों ज़रूरी हैं? (Why Are These Provisions Significant?)

इन प्रावधानों से यह सुनिश्चित किया गया है कि एक्सटॉरशन का हर स्तर, चाहे वह केवल डर दिखाने का प्रयास हो या गंभीर नुकसान के माध्यम से लाभ लेना, कानून के दायरे में आता है। खासतौर पर मौत या गंभीर चोट के डर वाले मामलों में सख्त सज़ा यह दिखाती है कि ऐसे कृत्य समाज पर कितना गंभीर प्रभाव डालते हैं।

भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 308 में एक्सटॉरशन से जुड़े अपराधों के लिए सज़ा का स्पष्ट और व्यवस्थित ढांचा दिया गया है। यह प्रावधान हर प्रकार की एक्सटॉरशन, चाहे वह शारीरिक हो, मानसिक हो, या जान का खतरा हो, के लिए न्याय सुनिश्चित करता है।

एक्सटॉरशन को बेहतर ढंग से समझने के लिए भाग 1 का संदर्भ अवश्य लें, जहां इसके मुख्य तत्व और परिभाषा विस्तार से समझाई गई है।

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