चोरी की संपत्ति को बेईमानी से प्राप्त करने या रखने की सजा: धारा 317 भारतीय न्याय संहिता, 2023
भारतीय न्याय संहिता, 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023) की धारा 317 (Section 317) चोरी की संपत्ति (Stolen Property) प्राप्त करने से संबंधित अपराधों को विस्तार से समझाती है। इस धारा में विभिन्न परिस्थितियों के आधार पर अपराध और दंड का वर्णन किया गया है। इसे सरल हिंदी में समझाया गया है, और प्रत्येक स्थिति को उदाहरणों (Examples) के माध्यम से स्पष्ट किया गया है।
चोरी की संपत्ति की परिभाषा (Definition of Stolen Property) - धारा 317(1)
चोरी की संपत्ति वह है जिसे चोरी (Theft), जबरन वसूली (Extortion), डकैती (Robbery), धोखाधड़ी (Cheating), आपराधिक गबन (Criminal Misappropriation), या आपराधिक विश्वासघात (Criminal Breach of Trust) द्वारा प्राप्त किया गया हो।
यह परिभाषा इतनी व्यापक है कि इसमें भारत के अंदर या बाहर अवैध रूप से प्राप्त की गई संपत्ति शामिल है। लेकिन, यदि यह संपत्ति किसी ऐसे व्यक्ति के पास पहुंचती है जो इसके कानूनी स्वामी (Legally Entitled) है, तो यह चोरी की संपत्ति नहीं रहती।
उदाहरण (Example):
एक गहना जो चोरी के दौरान लिया गया है और बाद में एक सुनार को बेचा जाता है, वह तब तक चोरी की संपत्ति रहेगा जब तक कि वह उसके असली मालिक को नहीं लौटाया जाता। जब यह अपने कानूनी मालिक को वापस मिलता है, तो यह चोरी की संपत्ति नहीं मानी जाएगी।
चोरी की संपत्ति को बेईमानी से प्राप्त करने या रखने की सजा (Punishment for Dishonestly Receiving or Retaining Stolen Property) - धारा 317(2)
अगर कोई व्यक्ति चोरी की संपत्ति को यह जानते हुए या मानते हुए बेईमानी से प्राप्त करता है या अपने पास रखता है कि यह चोरी की गई है, तो उसे तीन साल तक की कैद (Imprisonment), जुर्माना (Fine), या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
उदाहरण (Example):
रवि एक मोबाइल फोन खरीदता है, जिसे बहुत कम दाम में बेचा जा रहा था, और उसे पता है कि यह शायद चोरी का है। इस फोन को रखने के लिए रवि धारा 317(2) के तहत दोषी होगा।
डकैती से प्राप्त संपत्ति को प्राप्त करने की सजा (Punishment for Receiving Property from Dacoity) - धारा 317(3)
यदि कोई व्यक्ति डकैती के दौरान चोरी की गई संपत्ति को जानबूझकर प्राप्त करता है या ऐसे व्यक्ति से प्राप्त करता है जो डाकुओं (Dacoits) के गिरोह का हिस्सा है, तो उसे आजीवन कारावास (Life Imprisonment), दस साल तक के कठोर कारावास (Rigorous Imprisonment), और जुर्माने की सजा हो सकती है।
उदाहरण (Example):
अर्जुन जानबूझकर एक कुख्यात डकैत से सोने के आभूषण खरीदता है, जो डकैती से चुराए गए थे। यह जानते हुए कि आभूषण डकैती से जुड़े हैं, अर्जुन इस धारा के तहत दोषी होगा।
चोरी की संपत्ति से नियमित रूप से जुड़े लोगों की सजा (Punishment for Habitual Dealing in Stolen Property) - धारा 317(4)
यदि कोई व्यक्ति नियमित रूप से चोरी की संपत्ति खरीदने, बेचने, या किसी भी रूप में लेन-देन (Dealing) करता है, तो उसे गंभीर अपराधी (Repeat Offender) माना जाएगा। इस अपराध के लिए आजीवन कारावास या दस साल तक की कैद और जुर्माने की सजा हो सकती है।
उदाहरण (Example):
श्याम अपनी दुकान में नियमित रूप से चोरी के सामान खरीदता और बेचता है। उसके इलाके में यह बात मशहूर हो गई है। उसके बार-बार इस अपराध में शामिल होने के कारण उसे इस धारा के तहत कठोर दंड दिया जा सकता है।
चोरी की संपत्ति को छिपाने या नष्ट करने में मदद करना (Assisting in Concealing or Disposing of Stolen Property) - धारा 317(5)
अगर कोई व्यक्ति चोरी की संपत्ति को छिपाने (Conceal), नष्ट करने (Dispose), या हटाने में मदद करता है, और उसे पता है कि वह संपत्ति चोरी की है, तो उसे तीन साल तक की कैद, जुर्माना, या दोनों की सजा हो सकती है।
उदाहरण (Example):
मीरा को पता है कि उसके भाई ने एक कीमती पेंटिंग चुराई है। वह इसे अपने घर में छिपा देती है ताकि वह पकड़ा न जाए। मीरा का यह कृत्य उसे धारा 317(5) के तहत अपराधी बनाता है।
प्रावधानों का सरल विश्लेषण (Simplified Analysis of Provisions)
ये प्रावधान केवल मूल अपराधियों को ही नहीं, बल्कि उन सभी व्यक्तियों को भी दंडित करने का प्रयास करते हैं जो चोरी की संपत्ति को प्राप्त करने, छिपाने, या उसके लेन-देन में शामिल होते हैं।
धारा 317 में विशेष रूप से बार-बार अपराध करने वालों और डकैती से संबंधित संपत्ति में शामिल लोगों के लिए कड़ी सजा सुनिश्चित की गई है। यह चोरी की संपत्ति के लेन-देन पर पूर्ण नियंत्रण लाने का प्रयास है।
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 317 चोरी की संपत्ति से जुड़े अपराधों को रोकने के लिए एक मजबूत तंत्र प्रदान करती है। संपत्ति की परिभाषा से लेकर विभिन्न अपराधों और उनके दंड तक, यह कानून अपराधियों और उनके सहयोगियों के लिए कठोर दंड सुनिश्चित करता है। यह समाज में न्याय और जवाबदेही (Accountability) को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।