धार्मिक स्थलों की रक्षा और अपमानजनक कृत्यों पर रोक: भारतीय न्याय संहिता, 2023 के अंतर्गत धारा 298 और 299

Update: 2024-11-11 15:48 GMT

भारतीय न्याय संहिता, 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023) भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) का स्थान लेती है और इसमें अपराधों के लिए नए प्रावधान लाए गए हैं।

इसमें धार्मिक अपराधों (Religious Offenses) पर भी ध्यान दिया गया है, जिसमें धारा 298 और धारा 299 के अंतर्गत धार्मिक स्थानों, पवित्र वस्तुओं और धार्मिक भावनाओं (Religious Sentiments) की रक्षा के प्रावधान हैं।

ये प्रावधान धार्मिक सद्भावना बनाए रखने के लिए बनाए गए हैं ताकि किसी भी समूह की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने वाले कृत्यों पर रोक लगाई जा सके। आइए, इन धाराओं को विस्तार से समझते हैं और इसके कुछ उदाहरणों के साथ इसकी व्याख्या करते हैं।

धारा 298: किसी धार्मिक स्थल को नुकसान पहुँचाना या अपवित्र करना (Defiling or Damaging Religious Place with Intent to Insult)

धारा 298 के तहत, किसी भी धार्मिक स्थल (Place of Worship) या पवित्र वस्तु को जान-बूझकर नुकसान पहुँचाने, अपवित्र (Defile) करने, या उसे तोड़ने पर रोक लगाई गई है। यदि यह कार्य इस मंशा से किया गया है कि इससे किसी धर्म के अनुयायियों की धार्मिक भावनाएँ आहत होंगी या यदि व्यक्ति को पता हो कि इसका ऐसा प्रभाव होगा, तो उसे दो साल तक की सजा, जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।

धारा 298 का उदाहरण (Illustration of Section 298)

मान लें कि कोई व्यक्ति किसी मंदिर में प्रवेश करता है और वहाँ की मूर्ति (Idol) को जानबूझकर नुकसान पहुँचाता है। उसे मालूम है कि यह कृत्य उस धर्म के अनुयायियों के लिए अपमानजनक (Insulting) साबित होगा। इस स्थिति में, उस व्यक्ति को धारा 298 के तहत अपराधी माना जाएगा क्योंकि उसने एक पवित्र वस्तु को जान-बूझकर नुकसान पहुँचाया है।

इसी तरह, अगर कोई व्यक्ति मस्जिद या चर्च जैसी धार्मिक स्थलों पर जाकर वहाँ के धार्मिक प्रतीकों (Symbols) को नुकसान पहुँचाता है ताकि धर्म के अनुयायियों को ठेस पहुँचे, तो यह भी धारा 298 के तहत आता है। यह प्रावधान इस बात की परवाह नहीं करता कि अपराधी किस धर्म से है; केवल यह देखा जाता है कि क्या उसने जान-बूझकर पवित्र स्थल या वस्तु को नुकसान पहुँचाया है।

धारा 299: धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के उद्देश्य से किया गया जान-बूझकर अपमान (Malicious Acts to Insult Religious Beliefs)

धारा 299 का दायरा अधिक व्यापक (Comprehensive) है, जो कि केवल शारीरिक नुकसान (Physical Damage) तक सीमित नहीं है बल्कि इसमें मौखिक (Verbal), लिखित (Written), या प्रतीकात्मक (Symbolic) कार्य भी शामिल हैं जो किसी धर्म के अनुयायियों की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए किए गए हैं।

इस धारा के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी समुदाय की धार्मिक भावनाओं (Religious Feelings) को ठेस पहुँचाने के उद्देश्य से कोई शब्द कहता है, लिखता है, प्रतीक दिखाता है, या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम (Electronic Means) से कोई अपमानजनक सामग्री साझा करता है, तो उसे तीन साल तक की सजा, जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।

धारा 299 का उदाहरण (Illustration of Section 299)

मान लें कि कोई व्यक्ति सोशल मीडिया पर किसी धर्म के रिवाजों (Rituals) का मजाक उड़ाने वाली पोस्ट साझा करता है, जिसका उद्देश्य केवल उस धर्म के अनुयायियों को भड़काना है। ऐसी स्थिति में, धारा 299 के तहत उस पर कार्रवाई हो सकती है क्योंकि यहाँ व्यक्ति ने जान-बूझकर अपमानजनक सामग्री (Offensive Content) साझा की है।

इसी प्रकार, यदि कोई व्यक्ति सार्वजनिक रूप से भाषण देता है और किसी धर्म के रिवाजों के बारे में अपमानजनक शब्दों (Derogatory Words) का प्रयोग करता है, यह जानते हुए कि इससे अनुयायियों की भावनाएँ आहत होंगी, तो यह भी धारा 299 के अंतर्गत अपराध माना जाएगा। इस धारा में किसी भी प्रकार के प्रतीकात्मक अपमान (Symbolic Insult) पर भी ध्यान दिया गया है।

धारा 298 और धारा 299 में अंतर (Difference Between Section 298 and Section 299)

धारा 298 और धारा 299 दोनों ही धार्मिक भावनाओं की रक्षा करते हैं, लेकिन इनमें कुछ अंतर भी है। धारा 298 मुख्य रूप से पवित्र स्थलों और वस्तुओं के शारीरिक नुकसान पर केंद्रित है।

इसमें ध्यान इस बात पर दिया जाता है कि क्या किसी ने जान-बूझकर किसी पवित्र वस्तु (Sacred Object) को नुकसान पहुँचाया है या नहीं।

इसके विपरीत, धारा 299 में मौखिक, लिखित, और प्रतीकात्मक अपमान शामिल हैं, जिनमें अपमानजनक भाषा (Insulting Language), प्रतीकात्मक चित्रण (Symbolic Representation), और इलेक्ट्रॉनिक साधनों से भेजे गए संदेश (Messages) भी शामिल हैं। धारा 299 में 'जान-बूझकर अपमान' (Malicious Intent) को साबित करना जरूरी होता है, जबकि धारा 298 में यह आवश्यक नहीं है कि इरादे में अपमान ही हो।

प्रतिदिन के जीवन में धारा 298 और 299 के उदाहरण (Examples and Application of Sections 298 and 299 in Daily Life)

अधिक समझने के लिए कुछ और उदाहरण पर विचार करें -

• धारा 298 के लिए उदाहरण (Example for Section 298): मान लें कि कोई व्यक्ति किसी धार्मिक स्थल पर जाकर पवित्र प्रतीकों पर जान-बूझकर रंग डालता है ताकि वहाँ के अनुयायियों की भावनाओं को ठेस पहुँचे। यह धारा 298 के तहत अपराध माना जाएगा क्योंकि यह पवित्र स्थल को अपवित्र करने का जानबूझकर किया गया कार्य है।

• धारा 299 के लिए उदाहरण (Example for Section 299): मान लें कि कोई व्यक्ति किसी धार्मिक नेता (Religious Leader) या पवित्र रिवाज का मजाक उड़ाने वाला कार्टून प्रकाशित करता है ताकि उस धर्म के अनुयायियों की भावनाएँ आहत हों। यह धारा 299 के तहत अपराध माना जाएगा क्योंकि यह जान-बूझकर अपमान करने का प्रयास है।

इन प्रावधानों का महत्व (Importance of These Laws)

धारा 298 और 299 जैसे प्रावधान एक विविध और बहु-धार्मिक समाज (Multi-Religious Society) में धार्मिक सद्भावना बनाए रखने में अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये कानून विभिन्न समुदायों को एक-दूसरे की धार्मिक मान्यताओं का सम्मान करने और किसी भी प्रकार के जान-बूझकर अपमानजनक कार्य से दूर रहने की प्रेरणा देते हैं।

भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 298 और धारा 299 धार्मिक स्थलों, पवित्र वस्तुओं और धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले कृत्यों पर रोक लगाती है। धारा 298 जहां शारीरिक नुकसान तक सीमित है, वहीं धारा 299 धार्मिक मान्यताओं के खिलाफ मौखिक, लिखित और प्रतीकात्मक अपमान पर भी ध्यान देती है।

इन प्रावधानों का मुख्य उद्देश्य धार्मिक विविधता (Religious Diversity) का सम्मान करते हुए सामाजिक शांति और सद्भावना को बनाए रखना है।

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