किरायेदार को दी जा रही सुविधाएं बंद करने पर रोक – राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम, 2001 की धारा 23

कई बार मकान-मालिक (Landlord) और किरायेदार (Tenant) के बीच विवाद की स्थिति में मकान-मालिक जानबूझकर किरायेदार को दी जा रही आवश्यक सुविधाएं (Amenities) जैसे बिजली, पानी, सफाई, पार्किंग आदि बंद कर देता है। इससे किरायेदार को असुविधा होती है और कई बार उसे मकान खाली करने के लिए मजबूर भी किया जाता है।
राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम, 2001 की धारा 23 (Section 23 of the Rajasthan Rent Control Act, 2001) इस तरह की मनमानी पर रोक लगाती है। यह धारा सुनिश्चित करती है कि जब तक Rent Authority की अनुमति न हो, तब तक कोई भी सुविधा बंद नहीं की जा सकती जो किरायेदार पहले से उपयोग कर रहा है।
इस लेख में हम धारा 23 को सरल और विस्तृत तरीके से समझेंगे और यह जानेंगे कि यह प्रावधान मकान-मालिक और किरायेदार के बीच संतुलन बनाए रखने में कैसे मदद करता है।
धारा 23(1) – किरायेदार की सुविधाएं जबरन नहीं रोकी जा सकतीं (No Forced Discontinuation of Amenities by Landlord):
इस उपधारा में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कोई भी मकान-मालिक, चाहे वह स्वयं हो या किसी अन्य व्यक्ति के माध्यम से, किरायेदार को मिल रही सुविधाएं जबरन बंद नहीं कर सकता।
Amenities का मतलब उन आवश्यक सुविधाओं से है जो मकान या परिसर में किरायेदार को दी जा रही हों, जैसे –
बिजली (Electricity), पानी (Water Supply), सफाई (Sanitation), सीढ़ी या लिफ्ट की लाइटिंग, कूड़ा उठाने की व्यवस्था, सुरक्षा (Security Services) आदि।
हालांकि, अगर किरायेदार किसी सुविधा के लिए निर्धारित शुल्क (Charges) नहीं चुका रहा हो, तो मकान-मालिक Rent Authority की अनुमति लेकर वह सुविधा बंद कर सकता है।
उदाहरण (Illustration):
राहुल किराए पर एक फ्लैट में रह रहा था और मकान के परिसर में एक जनरेटर सेवा दी जा रही थी जिसका हर महीने ₹500 अतिरिक्त शुल्क लिया जाता था। राहुल लगातार तीन महीने से वह शुल्क नहीं दे रहा था। मकान-मालिक ने Rent Authority में आवेदन देकर अनुमति ली और फिर वह सेवा बंद की। यह प्रक्रिया पूरी तरह वैध थी क्योंकि Rent Authority की अनुमति प्राप्त थी।
धारा 23(2) – अनुमति या सुविधा बहाली के लिए आवेदन की प्रक्रिया (Application Process for Discontinuation or Restoration):
यदि मकान-मालिक कोई सुविधा बंद करना चाहता है, तो उसे Rent Authority के पास एक आवेदन (Petition) देना होगा। इसी प्रकार, यदि किरायेदार को लगे कि कोई सुविधा अनुचित रूप से बंद की गई है, तो वह भी Rent Authority के पास शिकायत कर सकता है।
Rent Authority दोनों पक्षों को नोटिस भेजकर सुनवाई करती है और फिर जो उचित लगे, वह आदेश पारित करती है।
महत्वपूर्ण बात: सुनवाई निष्पक्ष होती है और दोनों पक्षों को अपनी बात रखने का पूरा अवसर दिया जाता है।
धारा 23(3) – अंतरिम आदेश (Interim Orders during Proceedings):
जब मामला Rent Authority के समक्ष विचाराधीन होता है, तब वह किसी भी पक्ष को अंतरिम राहत (Temporary Relief) दे सकती है।
उदाहरण (Illustration):
मान लीजिए कि मकान-मालिक ने बिना अनुमति के पानी की सप्लाई बंद कर दी और किरायेदार ने शिकायत दर्ज करवाई। जब तक अंतिम आदेश पारित नहीं होता, Rent Authority किरायेदार को असुविधा से बचाने के लिए अंतरिम आदेश जारी कर सकती है कि पानी की आपूर्ति तुरंत बहाल की जाए।
धारा 23(4) – त्वरित सुनवाई की व्यवस्था (Time-bound Summary Proceedings):
इस उपधारा के अनुसार, Rent Authority को ऐसे मामलों की सुनवाई संक्षिप्त प्रक्रिया (Summary Manner) में करनी होती है और किसी भी आवेदन को 60 दिनों के अंदर निपटाना होता है।
इसका उद्देश्य यह है कि किरायेदार को लंबे समय तक बुनियादी सुविधाओं से वंचित न रहना पड़े और मकान-मालिक को भी अनावश्यक कानूनी अड़चनों से बचाया जा सके।
अन्य धाराओं से संदर्भ (Reference to Other Sections):
इस धारा को धारा 22-जी (Section 22-G) से जोड़ा जा सकता है जहाँ किरायेदार को यह अधिकार दिया गया है कि यदि मकान-मालिक किराया स्वीकार न करे तो वह Rent Authority में किराया जमा कर सकता है। कई बार मकान-मालिक किराया न मिलने का बहाना बनाकर सुविधाएं बंद कर देते हैं, जो कि धारा 23 के तहत गैरकानूनी माना जाता है जब तक Rent Authority की अनुमति न ली जाए।
इसी प्रकार, धारा 5 (Section 5) में किरायेदार और मकान-मालिक की जिम्मेदारियों का वर्णन है, जिससे यह तय किया जा सकता है कि किसी सुविधा को चालू रखने के लिए किरायेदार को शुल्क देना था या नहीं।
धारा 23 किरायेदार को बुनियादी सुविधाओं की सुरक्षा देती है और यह सुनिश्चित करती है कि मकान-मालिक कोई भी सेवा मनमाने ढंग से बंद न कर सके। यह न केवल किरायेदार को अधिकार देती है बल्कि मकान-मालिक को भी एक उचित प्रक्रिया के माध्यम से राहत प्राप्त करने का मार्ग दिखाती है।
धारा 23 की व्यवस्था न्यायिक और प्रशासनिक दोनों स्तरों पर समान रूप से प्रभावी है, जो दोनों पक्षों के लिए निष्पक्षता (Fairness) को बनाए रखती है। यदि इस धारा का पालन ईमानदारी से किया जाए, तो मकान-मालिक और किरायेदार दोनों के बीच संबंधों में स्थिरता और विश्वास बना रहता है।