भारतीय न्याय संहिता, 2023, जो 1 जुलाई 2024 को भारतीय दंड संहिता की जगह लागू हुई, में अपराधियों को छुपाने या उन्हें न्याय से बचाने के खिलाफ कड़े प्रावधान शामिल हैं। धारा 253 विशेष रूप से उस स्थिति को कवर करती है जब कोई व्यक्ति किसी अपराधी को जो कानूनी हिरासत से भाग निकला है या जिसके खिलाफ गिरफ्तारी का आदेश है, छुपाने या बचाने का प्रयास करता है। इस धारा के तहत दंड का निर्धारण इस आधार पर किया जाता है कि मूल अपराध कितना गंभीर था।
धारा 253 का अर्थ
धारा 253 के अनुसार, जो व्यक्ति किसी ऐसे अपराधी को छुपाता है जो कानूनी हिरासत से भाग निकला हो या जिसके खिलाफ गिरफ्तारी का आदेश हो, उसे उस अपराध की गंभीरता के आधार पर सजा दी जाएगी जिसके लिए अपराधी हिरासत में था। यह धारा न केवल भारत में हुए अपराधों को कवर करती है, बल्कि उन अपराधों को भी शामिल करती है जो भारत के बाहर किए गए हैं, लेकिन अगर वे भारत में किए गए होते तो उन्हें भी अपराध माना जाता।
धारा 253 के प्रमुख बिंदु
1. ऐसे अपराध को छुपाने या बचाने पर दंड, जो मृत्यु दंड (Death Penalty) से दंडनीय हो
यदि कोई व्यक्ति किसी ऐसे अपराधी को छुपाने में मदद करता है जिसे मृत्यु दंड मिलने का खतरा है, तो उसे सात साल तक की कैद और जुर्माना भुगतना पड़ सकता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति किसी हत्या के दोषी को जेल से भागने के बाद अपने घर में छुपा लेता है, तो उसे इस गंभीर अपराध की वजह से कड़ी सजा हो सकती है।
2. ऐसे अपराध के लिए दंड, जो आजीवन कारावास (Life Imprisonment) या दस साल तक की कैद से दंडनीय हो
अगर भगोड़ा किसी ऐसे अपराध के लिए हिरासत में था, जो आजीवन कारावास या दस साल तक की कैद से दंडनीय है, तो छुपाने वाले व्यक्ति को तीन साल तक की कैद हो सकती है, जुर्माने के साथ या बिना जुर्माने के। उदाहरण के लिए, अगर किसी ने एक ऐसे व्यक्ति की सहायता की, जो बड़ी धोखाधड़ी या सशस्त्र डकैती के लिए आजीवन कारावास की सजा काट रहा था, तो उस व्यक्ति को निर्धारित दंड का सामना करना पड़ेगा।
3. ऐसे अपराध के लिए दंड, जो एक साल से अधिक लेकिन दस साल से कम की कैद से दंडनीय हो
जब मूल अपराध की सजा दस साल से कम लेकिन एक साल से अधिक होती है, तो छुपाने वाले को उस सजा के एक चौथाई हिस्से तक की कैद हो सकती है जो मूल अपराध के लिए निर्धारित है। इसके अलावा, उस पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है, या दोनों लागू हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि मूल अपराध की सजा चार साल थी, तो छुपाने वाले को एक साल तक की सजा का सामना करना पड़ सकता है।
4. व्याख्या: भारत के बाहर किए गए अपराध भी शामिल हैं
यह धारा उन अपराधों को भी शामिल करती है जो भारत के बाहर किए गए हैं, लेकिन अगर उन्हें भारत में किया गया होता तो वे भी दंडनीय माने जाते। ऐसे मामलों में अपराधी को भारत में हिरासत में लेने या गिरफ्तार करने का कानून होता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी ने किसी दूसरे देश में एक ऐसा अपराध किया है जो भारत में भी अवैध है, जैसे कि तस्करी या आतंकवाद, और कोई भारतीय नागरिक उस व्यक्ति को छुपाने में मदद करता है, तो वह धारा 253 के अंतर्गत दोषी माना जाएगा।
5. पत्नी के लिए अपवाद (Exception for Spouse)
इस धारा के प्रावधान उस स्थिति पर लागू नहीं होते जब अपराधी को छुपाने वाला व्यक्ति उसकी पत्नी है। यह अपवाद पति-पत्नी के रिश्ते की विशिष्टता और एक-दूसरे के प्रति वफादारी को मान्यता देता है।
धारा 253 के अंतर्गत दंड के उदाहरण
1. हत्या के दोषी को छुपाने का मामला
मान लीजिए कि राजेश को हत्या का दोषी ठहराया गया है, जो भारत में मृत्यु दंड से दंडनीय अपराध है। राजेश जेल से भाग जाता है, और कोई उसे अपने घर में छुपाने या पैसे देकर उसे छुपा रहने में मदद करता है। इस स्थिति में वह व्यक्ति सात साल तक की कैद और जुर्माना भुगतने का जोखिम उठाता है।
2. गंभीर धोखाधड़ी के आरोपी की सहायता
एक व्यक्ति, अंजलि, जो एक गंभीर धोखाधड़ी मामले के लिए अदालत में पेश होने के दौरान हिरासत से भाग गई थी, को उसका एक मित्र अपने घर में छुपाने का निर्णय लेता है। यह जानते हुए कि अंजलि एक गंभीर अपराध के लिए भागी हुई है, उसके मित्र को तीन साल तक की कैद का सामना करना पड़ सकता है।
3. हल्के अपराध में शामिल व्यक्ति को छुपाने का उदाहरण
मान लें कि रवि एक ऐसे अपराध के लिए आरोपित है जो दो साल तक की सजा से दंडनीय है। रवि पुलिस की हिरासत से भाग जाता है, और उसका पड़ोसी उसे कुछ दिनों के लिए छुपा देता है। इस स्थिति में पड़ोसी को छह महीने तक की सजा हो सकती है (दो साल की अधिकतम सजा का एक चौथाई हिस्सा)।
संबंधित धाराओं का संक्षिप्त विवरण
धारा 253 भारतीय न्याय संहिता की उन धाराओं का हिस्सा है जो अपराधियों को छुपाने से संबंधित हैं:
• धारा 249 उन मामलों को कवर करती है जब कोई व्यक्ति यह जानते हुए कि अपराध किया गया है, अपराधी को छुपाता है। दंड की गंभीरता अपराध की गंभीरता के आधार पर तय होती है।
• धारा 250 उन व्यक्तियों को दंडित करती है जो अपराधी को छुपाने के बदले किसी प्रकार का उपहार या लाभ स्वीकार करते हैं।
• धारा 251 उन स्थितियों को कवर करती है जब कोई व्यक्ति किसी को अपराधी को छुपाने के बदले में उपहार देने या देने का प्रस्ताव करता है।
ये सभी धाराएं न्याय प्रक्रिया में हस्तक्षेप से रोकने के लिए बनाई गई हैं ताकि अपराधियों को न्याय से बचाया न जा सके।
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 253 एक महत्वपूर्ण प्रावधान है जो अपराधियों के भागने या उन्हें बचाने में मदद करने वालों को सजा देने के उद्देश्य से लागू किया गया है। यह धारा कानूनी प्रणाली को मजबूत बनाती है और सुनिश्चित करती है कि कानूनी हिरासत से भागे हुए या गिरफ्तारी से बचने वाले अपराधियों को आसानी से शरण न मिले।