सरकारी कर्मचारी, विशेषज्ञ और पुलिस अधिकारियों के साक्ष्य: धारा 336 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023

Update: 2025-01-10 11:47 GMT

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 336 एक ऐसी महत्वपूर्ण प्रक्रिया को स्थापित करती है जो सरकारी कर्मचारी, वैज्ञानिक विशेषज्ञ और चिकित्सा अधिकारियों द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट या दस्तावेज़ों को न्यायिक प्रक्रिया में साक्ष्य के रूप में इस्तेमाल करने की अनुमति देती है। यह धारा विशेष रूप से उन स्थितियों में लागू होती है जब ये अधिकारी अदालत में प्रत्यक्ष गवाही देने के लिए अनुपलब्ध होते हैं।

यह प्रावधान न्यायिक प्रक्रिया को तेज और कुशल बनाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। इसमें अधिकारियों के उत्तराधिकारी (Successor) की उपस्थिति या ऑडियो-वीडियो इलेक्ट्रॉनिक साधनों (Audio-Video Electronic Means) का उपयोग करके साक्ष्य प्रस्तुत करने की व्यवस्था की गई है। इस लेख में हम धारा 336 की गहराई से व्याख्या करेंगे, इसके प्रावधान, उपयोग और व्यावहारिक उदाहरणों का वर्णन करेंगे।

धारा 336 के प्रमुख प्रावधान (Key Provisions of Section 336)

धारा 336 कब लागू होती है? (When Does Section 336 Apply?)

यह धारा उन मामलों में लागू होती है जहां सरकारी कर्मचारी, वैज्ञानिक विशेषज्ञ या चिकित्सा अधिकारी द्वारा तैयार दस्तावेज़ या रिपोर्ट को साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत करना आवश्यक हो। निम्नलिखित परिस्थितियां इसकी आवश्यकता को स्पष्ट करती हैं:

1. मूल अधिकारी की अनुपलब्धता (Unavailability of the Original Officer)

रिपोर्ट या दस्तावेज़ तैयार करने वाले मूल अधिकारी निम्नलिखित कारणों से अनुपलब्ध हो सकते हैं:

o स्थानांतरण (Transfer)

o सेवा निवृत्ति (Retirement)

o मृत्यु (Death)

2. अधिकारी का पता न लगना (Inability to Locate or Obtain Deposition)

अधिकारी गवाही देने में असमर्थ हो, या उनकी उपस्थिति में देरी, खर्च या असुविधा हो सकती है, जो न्याय प्रक्रिया को बाधित कर सकती है।

3. उत्तराधिकारी की गवाही (Testimony by Successor)

ऐसे मामलों में, मूल अधिकारी की जगह उनके उत्तराधिकारी, जो वर्तमान में उस पद पर कार्यरत हैं, साक्ष्य प्रदान कर सकते हैं।

4. ऑडियो-वीडियो साधनों का उपयोग (Use of Audio-Video Means)

उत्तराधिकारी अधिकारी की गवाही इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से ली जा सकती है।

धारा 336 का अन्य धाराओं से संबंध (Connection with Other Sections)

धारा 329: सरकारी वैज्ञानिक विशेषज्ञों की रिपोर्ट (Reports of Government Scientific Experts)

धारा 329 के अंतर्गत सरकारी वैज्ञानिक विशेषज्ञों द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट को साक्ष्य के रूप में बिना औपचारिक प्रमाण के स्वीकार किया जा सकता है। धारा 336 इसका विस्तार करती है और अधिकारी की अनुपस्थिति में उनके उत्तराधिकारी की गवाही के माध्यम से यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है।

धारा 331: हलफनामों का उपयोग (Use of Affidavits)

धारा 331 के अनुसार, हलफनामों (Affidavits) का उपयोग साक्ष्य के रूप में किया जा सकता है। धारा 336 इसी प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए, दस्तावेज़ों और रिपोर्टों को प्रमाण के रूप में मान्यता देती है।

व्यावहारिक दृष्टांत (Practical Illustrations)

चिकित्सा रिपोर्ट का उपयोग (Use of Medical Report)

माना एक आपराधिक मामले में पीड़ित की मेडिकल रिपोर्ट महत्वपूर्ण साक्ष्य है। अगर रिपोर्ट तैयार करने वाला डॉक्टर रिटायर हो गया है, तो धारा 336 के अंतर्गत उस डॉक्टर के वर्तमान उत्तराधिकारी को गवाही के लिए बुलाया जा सकता है। इससे प्रक्रिया में कोई देरी नहीं होती।

फॉरेंसिक जांच (Forensic Analysis)

एक मामले में फॉरेंसिक विशेषज्ञ द्वारा तैयार रिपोर्ट महत्वपूर्ण है, लेकिन विशेषज्ञ का स्थानांतरण हो गया है। ऐसे में, अदालत उस पद पर कार्यरत वर्तमान अधिकारी से गवाही ले सकती है।

ऑडियो-वीडियो गवाही का महत्व (Importance of Audio-Video Testimony)

धारा 336 स्पष्ट रूप से ऑडियो-वीडियो माध्यम से गवाही की अनुमति देती है। यह प्रावधान न्यायिक प्रक्रिया को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़ता है और भौगोलिक सीमाओं को पार कर न्याय दिलाने में मदद करता है।

उदाहरण (Example)

माना किसी वैज्ञानिक विशेषज्ञ को विदेश में रहकर गवाही देनी है। धारा 336 के तहत वे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपनी गवाही दे सकते हैं। इससे न्यायिक प्रक्रिया में देरी या अतिरिक्त खर्च से बचा जा सकता है।

सुरक्षात्मक उपाय (Safeguards)

विवाद की आवश्यकता (Requirement of Dispute)

धारा सुनिश्चित करती है कि अधिकारी को केवल तब बुलाया जाए जब उनकी रिपोर्ट को किसी पक्ष द्वारा विवादित किया गया हो। इससे अदालत और अधिकारियों का समय बचता है।

उत्तराधिकारी की योग्यता (Competence of Successor)

उत्तराधिकारी अधिकारी का पद समान या समकक्ष होना चाहिए और उन्हें रिपोर्ट या दस्तावेज़ की पर्याप्त जानकारी होनी चाहिए।

न्यायालय का विवेकाधिकार (Judicial Discretion)

अदालत यह तय करने के लिए स्वतंत्र है कि मूल अधिकारी या उनके उत्तराधिकारी की उपस्थिति आवश्यक है या नहीं।

धारा 336 के लाभ (Advantages of Section 336)

1. देरी रोकने में मदद (Prevents Delays)

अनुपलब्ध अधिकारियों के विकल्प प्रदान करके यह धारा न्यायिक प्रक्रिया में देरी रोकती है।

2. खर्च में कमी (Cost Efficiency)

इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से गवाही की अनुमति देकर यह प्रक्रिया लागत प्रभावी बनती है।

3. प्रक्रियात्मक सादगी (Streamlined Process)

उत्तराधिकारी और तकनीकी साधनों का उपयोग करके प्रक्रिया को सरल बनाया जाता है।

चुनौतियां और आलोचनाएं (Challenges and Criticisms)

1. प्रामाणिकता का प्रश्न (Question of Credibility)

उत्तराधिकारी अधिकारी मूल तथ्य से अनजान हो सकते हैं, जिससे उनकी गवाही की विश्वसनीयता पर सवाल उठ सकता है।

2. तकनीकी सीमाएं (Technological Barriers)

इलेक्ट्रॉनिक माध्यम हर अदालत में उपलब्ध नहीं हो सकते, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में।

धारा 336 न्यायिक प्रक्रिया में व्यावहारिकता और कुशलता लाने वाला प्रावधान है। यह अधिकारियों की अनुपलब्धता की स्थिति में साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए एक विकल्प प्रदान करता है। तकनीकी साधनों का उपयोग और उत्तराधिकारी अधिकारियों की गवाही के माध्यम से यह न्याय प्रक्रिया को तेज और प्रभावी बनाता है।

हालांकि, कुछ चुनौतियां बनी रहती हैं, लेकिन इसका क्रियान्वयन न्याय प्रणाली को आधुनिक और न्यायसंगत बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

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