आपराधिक विश्वासघात और इसके उदाहरण : धारा 316 भारतीय न्याय संहिता, 2023

Update: 2024-12-03 11:57 GMT

भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 316 आपराधिक विश्वासघात को परिभाषित करती है। जब किसी व्यक्ति को संपत्ति सौंपते समय उस पर विश्वास जताया जाता है और वह व्यक्ति उस संपत्ति का गलत तरीके से उपयोग करता है, अपने निजी फायदे के लिए उसका दुरुपयोग करता है, या उस विश्वास का उल्लंघन करता है, तो इसे आपराधिक विश्वासघात माना जाता है।

यह उल्लंघन कानूनी दिशा-निर्देशों (Legal Directions) या किसी अनुबंध (Contract) का उल्लंघन हो सकता है।

धारा 316 में यह भी स्पष्ट किया गया है कि यदि कोई नियोक्ता (Employer) कर्मचारियों के योगदान को किसी फंड में जमा करने में चूक करता है, तो यह भी विश्वासघात के दायरे में आता है।

धारा 316 के उदाहरण और उनका विवरण

उदाहरण (a): वसीयत (Will) के कार्यपालक द्वारा दुरुपयोग

इस उदाहरण में, A एक मृत व्यक्ति की वसीयत का कार्यपालक (Executor) है। यदि A कानून द्वारा दी गई हिदायतों का उल्लंघन करता है और संपत्ति को अपने उपयोग के लिए ले लेता है, तो यह आपराधिक विश्वासघात है।

व्याख्या (Explanation): यहां, A पर कानूनी जिम्मेदारी थी कि वह वसीयत के अनुसार संपत्ति को बांटे। जब उसने ऐसा न करके संपत्ति का दुरुपयोग किया, तो यह विश्वासघात हुआ।

उदाहरण (b): गोदाम प्रबंधक (Warehouse Keeper) द्वारा विश्वासघात

Z अपने फर्नीचर को A नामक गोदाम प्रबंधक को सौंपता है, यह अनुबंध (Contract) करके कि एक निश्चित शुल्क के भुगतान पर उसे फर्नीचर वापस मिलेगा। यदि A उस फर्नीचर को बेच देता है, तो यह आपराधिक विश्वासघात है।

व्याख्या: A ने अनुबंध में दर्ज शर्तों का उल्लंघन किया और उस संपत्ति का गलत तरीके से उपयोग किया, जो उसे सौंपा गया था।

उदाहरण (c): एजेंट (Agent) द्वारा धन का दुरुपयोग

इस उदाहरण में, A कोलकाता में Z का एजेंट है। Z दिल्ली में रहते हैं और A को निर्देश देकर पैसा भेजते हैं कि इसे कंपनी के शेयरों में लगाया जाए। यदि A उस पैसे को अपने निजी व्यापार में लगाता है, तो यह आपराधिक विश्वासघात है।

व्याख्या: A ने Z के निर्देशों (Instructions) का उल्लंघन किया और पैसे का निजी उपयोग करके विश्वासघात किया।

उदाहरण (d): ईमानदार लेकिन गलत निर्णय (Good Faith)

इस उदाहरण में, यदि A यह मानकर कि बैंक ऑफ बंगाल में निवेश Z के लिए अधिक फायदेमंद होगा, कंपनी के शेयरों में निवेश न करके बैंक के शेयर खरीदता है, तो यह आपराधिक विश्वासघात नहीं है।

व्याख्या: यहां A की मंशा (Intention) ईमानदार थी, इसलिए उसे आपराधिक विश्वासघात नहीं माना जाएगा। हालांकि, यदि Z को नुकसान होता है, तो वह सिविल मुकदमा (Civil Action) कर सकता है।

उदाहरण (e): राजस्व अधिकारी (Revenue Officer) द्वारा सार्वजनिक धन का दुरुपयोग

यदि A, जो एक राजस्व अधिकारी है, को सार्वजनिक धन सौंपा गया है और उसे एक निश्चित खजाने (Treasury) में जमा करने के लिए कहा गया है, लेकिन वह इसे निजी उपयोग के लिए ले लेता है, तो यह आपराधिक विश्वासघात है।

व्याख्या: सरकारी अधिकारियों को उनके कार्यों के लिए अधिक जिम्मेदार ठहराया जाता है। यदि वे सार्वजनिक धन का दुरुपयोग करते हैं, तो यह एक गंभीर अपराध है।

उदाहरण (f): वाहक (Carrier) द्वारा संपत्ति का दुरुपयोग

यदि A, जो एक वाहक है, को Z द्वारा संपत्ति सौंपा गया है ताकि वह इसे भूमि या जलमार्ग से ले जाए, लेकिन A इसे गलत तरीके से हड़प लेता है, तो यह आपराधिक विश्वासघात है।

व्याख्या: यहां, A का कर्तव्य (Duty) संपत्ति को सुरक्षित रूप से गंतव्य (Destination) तक पहुंचाने का था। लेकिन उसने इसे निजी लाभ के लिए उपयोग किया।

धारा 316 की व्याख्या के साथ संबंध

धारा 316 में दिए गए स्पष्टीकरण (Explanation) यह स्पष्ट करते हैं:

• यदि कोई नियोक्ता कर्मचारी योगदान को कानून के अनुसार जमा नहीं करता, तो इसे विश्वासघात माना जाएगा।

• यह सुनिश्चित करता है कि जिन व्यक्तियों को जिम्मेदारी दी गई है, वे इसका दुरुपयोग न करें।

धारा 316, भारतीय न्याय संहिता, 2023, के अंतर्गत आपराधिक विश्वासघात की परिभाषा और उदाहरण व्यापक रूप से यह स्पष्ट करते हैं कि किसी भी संपत्ति को सौंपने के साथ जुड़ा विश्वास कितना महत्वपूर्ण है।

चाहे वह वसीयत का कार्यपालक हो, एजेंट हो, राजस्व अधिकारी हो, या वाहक, इस प्रावधान का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी अपने अधिकार का दुरुपयोग न करे।

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