राष्ट्रीय शिक्षा नीति को वापस लेने के खिलाफ याचिका पर कर्नाटक सरकार को हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया
कर्नाटक हाईकोर्ट ने गुरुवार को गिरीश भारद्वाज और अन्य द्वारा दायर जनहित याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया, जिसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्वयन को जारी रखने के निर्देश देने की मांग की गई थी जिसे पिछले साल वर्तमान कांग्रेस सरकार ने वापस ले लिया।
चीफ जस्टिस एन वी अंजारिया और जस्टिस के वी अरविंद की खंडपीठ ने नोटिस जारी किया और मामले की अगली सुनवाई 1 अगस्त को तय की।
सुनवाई के दौरान अदालत ने मौखिक रूप से कहा,
"हम सरकार को विशेष नीति का पालन करने और विशेष नीति का पालन न करने का निर्देश कैसे दे सकते हैं।"
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट अरुणा श्याम ने कहा कि विचार यह है कि एक राष्ट्र, एक शिक्षा होनी चाहिए।
हालांकि अदालत ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या नीति का कोई विशेष पहलू है जिसकी अनुपस्थिति प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है।
कोर्ट ने कहा,
"नीति को वापस लिए जाने से आप किस बात से व्यथित हैं। नीति में कौन से ऐसे विशिष्ट पहलू हैं, जिन्हें अब वापस ले लिया गया, जिससे आप व्यथित हैं? सामान्य तौर पर यह कहना कि नीति पेश की गई और अब वापस ले ली गई, कोई आधार नहीं है। यह बहुत अस्पष्ट याचिका है। सरकार के पास नीति का पालन न करने के अपने वैध कारण हो सकते हैं।"
इसके बाद उसने प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया और सुनवाई स्थगित कर दी। अदालत ने यह भी कहा कि वह अगली तारीख पर याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर आवेदन पर विचार करेगी, जिसमें अतिरिक्त दस्तावेज रिकॉर्ड में रखने की मांग की गई है।
राज्य सरकार ने 2023 में एनईपी के कार्यान्वयन को वापस ले लिया था और राज्य शिक्षा नीति तैयार करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था।
याचिकाकर्ताओं ने उच्च शिक्षा विभाग द्वारा पारित 11 अक्टूबर, 2023 का आदेश रद्द करने और राज्य को एनईपी के कार्यान्वयन को जारी रखने का निर्देश देने का निर्देश देने की मांग की।
अंतरिम राहत के तौर पर याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि मामले के निपटारे तक अदालत राज्य शिक्षा नीति तैयार करने के लिए आयोग के गठन पर रोक लगाए।
केस टाइटल- गिरीश भारद्वाज और अन्य तथा कर्नाटक राज्य और अन्य