बार काउंसिल ऑफ इंडिया वकीलों या उसके सदस्यों के भाषण पर रोक लगाने के लिए गैग ऑर्डर जारी नहीं कर सकता: कर्नाटक हाईकोर्ट

Update: 2024-10-08 10:50 GMT

कर्नाटक हाईकोर्ट ने माना कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) के पास वकीलों या यहां तक ​​कि बार काउंसिल के सदस्यों के भाषण पर रोक लगाने के लिए गैग ऑर्डर जारी करने का अधिकार नहीं है।

जस्टिस एम नागप्रसन्ना की एकल न्यायाधीश पीठ ने कहा,

“बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष स्पष्ट रूप से ऐसा कोई गैग ऑर्डर पारित नहीं कर सकते हैं, जो किसी भी अधिवक्ता के मौलिक अधिकार को छीनता हो। न्यायालयों की शक्ति चाहे वह सक्षम सिविल न्यायालय हो या संवैधानिक न्यायालय को बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष द्वारा हड़पने की अनुमति नहीं दी जा सकती, जैसा कि इस मामले में किया गया है।

सीनियर एडवोकेट एस बसवराज द्वारा दायर याचिका स्वीकार करते हुए न्यायालय ने यह फैसला सुनाया, जिन्होंने BCI द्वारा दिनांक 12-04-2024 को जारी किए गए संचार पर सवाल उठाया।

बसवराज ने कर्नाटक राज्य बार काउंसिल के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के खिलाफ मामला दायर किया, जिसमें उन पर सरकारी धन के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया। इसे CBI के संज्ञान में लाया गया, जिसने अपने विवादित आदेश में राज्य बार काउंसिल के सचिव को 15 दिनों के भीतर किए गए व्यय से संबंधित सभी प्रासंगिक दस्तावेज, रसीदें और वित्तीय रिकॉर्ड तुरंत प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने योग्य चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा ऑडिट कराने को भी अधिकृत किया। जांच कार्यवाही के परिणाम आने तक बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष ने राज्य बार काउंसिल के सभी सदस्यों या किसी भी अधिवक्ता पर इस घटना से संबंधित कोई भी सार्वजनिक बयान देने या कोई भी जानकारी फैलाने से रोकने का आदेश पारित किया।

पीठ ने कहा कि संचार का निर्देश किसी व्यक्ति विशेष के विरुद्ध नहीं, बल्कि वकीलों के समुदाय के विरुद्ध है।

एडवोकेट एक्ट के प्रावधानों का हवाला देते हुए अदालत ने कहा कि धारा 7(1)(जी) (एडवोकेट एक्ट) भारतीय बार काउंसिल को राज्य बार काउंसिल पर सामान्य पर्यवेक्षण और नियंत्रण रखने का अधिकार देती है।

अदालत के विचार में सामान्य पर्यवेक्षण और नियंत्रण भारतीय बार काउंसिल को वकीलों या यहां तक ​​कि बार काउंसिल के सदस्यों के भाषण को रोकने के लिए ऐसे मौन आदेश पारित करने की कोई शक्ति नहीं देगा, क्योंकि यह सामान्य पर्यवेक्षण और नियंत्रण है न कि अधिवक्ताओं के बोलने पर नियंत्रण।

यह भी कहा गया,

“किसी विशेष विषय पर सभी वकीलों पर प्रथम प्रतिवादी द्वारा प्रयोग की जाने वाली गैग ऑर्डर पारित करने की शक्ति ऐसी शक्ति से परे है, जिसका प्रयोग राज्य बार काउंसिल के सामान्य पर्यवेक्षण और नियंत्रण में किया जा सकता है।”

इसके बाद इसने माना कि गैग ऑर्डर जारी करना ऐसी शक्ति नहीं है, जिसका अनुमान अधिनियम की धारा 7(1)(जी) से लगाया जा सके। इसलिए वकील पर बोलने से रोकने का निर्देश देने वाला आदेश, पहली नज़र में कानून के विपरीत है और अस्थिर है। आदेश की अस्थिरता इसके विलोपन की ओर ले जाएगी।

इसके अनुसार इसने CBI द्वारा जारी आदेश और संचार को रद्द कर दिया।

केस टाइटल: एस बसवराज और बार काउंसिल ऑफ इंडिया और अन्य

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