केवल शिकायतकर्ता द्वारा याचिकाकर्ताओं का नाम लेने से उनके खिलाफ आगे कार्यवाही करने की शक्ति का प्रयोग नहीं किया जा सकता: पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट

Update: 2024-01-18 08:10 GMT

पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने हत्या के मामले में आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ समन आदेश यह कहते हुए रद्द कर दिया कि केवल इसलिए कि शिकायतकर्ता ने याचिकाकर्ताओं का नाम लिया गया, CrPc की धारा 319 के तहत उनके खिलाफ आगे बढ़ने की शक्ति का प्रयोग नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में प्रथम दृष्टया मामले से अधिक की जांच पर खरा उतरना चाहिए।

CrPc की धारा 319 के तहत जहां किसी अपराध की जांच या सुनवाई के दौरान साक्ष्य से यह प्रतीत होता है कि किसी व्यक्ति ने जो आरोपी नहीं है, कोई अपराध किया है, जिसके लिए ऐसे व्यक्ति पर आरोपी के साथ मिलकर मुकदमा चलाया जा सकता है, न्यायालय ऐसे व्यक्ति के विरुद्ध कार्यवाही कर सकता।

जस्टिस पंकज जैन ने याचिकाकर्ताओं के खिलाफ समन आदेश रद्द करते हुए कहा,

"केवल इस कारण से कि याचिकाकर्ताओं का नाम शिकायतकर्ता द्वारा किया गया, CrPc की धारा 319 के तहत शक्ति का प्रयोग तब तक नहीं किया जा सकता, जब तक कि रिकॉर्ड पर मौजूद साक्ष्य संतुष्ट न हो जाएं।"

अदालत अभियोजन पक्ष द्वारा सीआरपीसी की धारा 319 के तहत दायर आवेदन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ताओं को आईपीसी की धारा 365 और 342 धारा 364-ए, 302, 148 और धारा 149 के तहत हत्या के मामले में 2015 में दर्ज एफआईआर में अतिरिक्त आरोपी के रुप में फाजिल्का, पंजाब में तलब किया।

रिकॉर्ड पर दिखाए गए प्रस्तुतियों और दस्तावेजों पर विचार करते हुए न्यायालय ने कहा कि जांच एजेंसी ने याचिकाकर्ताओं को जांच के दौरान यह देखने के बाद बरी कर दिया कि उनके खिलाफ कोई पर्याप्त सबूत नहीं मिला।

अदालत ने कहा कि प्रस्तावित आरोपियों यानी याचिकाकर्ताओं के खिलाफ आरोप केवल बेबुनियाद आरोप है कि वे भी बिना किसी भूमिका के अपराध में शामिल थे।

हरदीप सिंह बनाम पंजाब राज्य 2014 पर भरोसा रखा गया, जिसमें न्यायालय ने माना कि एक बार जब किसी आरोपी को बरी कर दिया जाता है तो सीआरपीसी की धारा 398 के तहत परिकल्पित जांच की प्रक्रिया को धारा के तहत प्रक्रिया निर्धारित करके दरकिनार नहीं किया जा सकता।

यह देखते हुए कि केवल इस कारण से कि शिकायतकर्ता द्वारा याचिकाकर्ताओं का नाम लिया गया, CrPc की धारा 319 के तहत जब तक रिकॉर्ड पर साक्ष्य 'प्रथम दृष्टया मामले से अधिक के ट्रायल' को संतुष्ट नहीं करता, तब तक इसका प्रयोग नहीं किया जा सकता। इसके साथ ही न्यायालय ने समन आदेश रद्द कर दिया।

याचिकर्ताओं के वकील- राहुल देसवाल।

प्रतिवादी नंबर 7 के वकील- आर.एस. सेखों।

साइटेशन- लाइव लॉ (पीएच) 22 2024

केस टाइटल- गीता देवी और अन्य बनाम पंजाब राज्य और अन्य।

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