गुजरात हाइकोर्ट ने प्रेग्नेंसी के कारण इंटरव्यू की तारीख को पुनर्निर्धारित करने की महिला की याचिका खारिज करने के लिए GPSC से नाराजगी जताई
गुजरात हाईकोर्ट ने प्रेग्नेंसी के उन्नत चरण के दौरान प्रेग्नेंटी महिला की पुनर्निर्धारित इंटरव्यू तिथि की याचिका खारिज करने में 'पूर्ण लैंगिक असंवेदनशीलता' (Absolute Gender Insensitivity) प्रदर्शित करने के लिए गुजरात लोक सेवा आयोग (GPSC) की निंदा की। अदालत ने GPSC को याचिका का समाधान होने तक परिणाम घोषित करने से परहेज करने का निर्देश दिया।
जस्टिस निखिल कारियल ने कहा,
''याचिका में उठाई गई शिकायत सबसे पवित्र प्राकृतिक प्रक्रियाओं में से एक यानी बच्चे को जन्म देने की प्रक्रिया के प्रति उत्तरदाताओं की पूर्ण लैंगिक असंवेदनशीलता को दर्शाती है।''
मामले के तथ्यात्मक मैट्रिक्स के अनुसार याचिकाकर्ता राधिका शंकरभाई पवार ने सहायक प्रबंधक (वित्त और लेखा) वर्ग II के पद पर चयन के लिए आवेदन किया, जिसका चयन विज्ञापन संख्या 137/2019-2020 के माध्यम से विज्ञापित किया गया।
चयन प्रक्रिया के बाद याचिकाकर्ता के आवेदन करने के लगभग तीन साल बाद यानी विज्ञापन के बाद 08-12-2023 को घोषित परिणामों में पवार को सफल उम्मीदवारों में से एक के रूप में दिखाया गया।
प्रतिवादी के अनुसार लोक सेवा आयोग ने याचिकाकर्ता और अन्य उम्मीदवारों के लिए 01-01-2024 और 02-01-2024 को इंटरव्यू निर्धारित किया, जबकि कार्यक्रम प्रकाशित होने की तारीख यानी 18-12-2023 को याचिकाकर्ता ने अन्य बातों के अलावा अभ्यावेदन प्रस्तुत किया। यह सूचित करते हुए कि याचिकाकर्ता प्रेग्नेंट हैं और नियत तारीख जनवरी, 2024 के पहले सप्ताह में थी और गांधीधाम में रहने वाली उसके लिए गांधीनगर की यात्रा करना असंभव होगा, जो प्रेग्नेंसी के उन्नत चरण के दौरान लगभग 300 किलोमीटर है।
अदालत ने अपने फैसले में कहा,
''इस अदालत की सुविचारित राय में उत्तरदाताओं द्वारा इस तरह का जवाब उत्तरदाताओं द्वारा पूर्ण लैंगिक असंवेदनशीलता को दर्शाता है। खासकर तब याचिकाकर्ता, जो मेधावी उम्मीदवार है, लेकिन शारीरिक रूप से सक्षम नहीं होगा। बच्चे को जन्म देने के तीसरे दिन इंटरव्यू में भाग लेने के बावजूद याचिकाकर्ता के स्थगन या कोई वैकल्पिक तरीका प्रदान करने के अनुरोध पर विचार नहीं किया गया।''
कोर्ट ने कहा,
“इस न्यायालय की विचारशील राय में लोक सेवा आयोग, जिसका प्राथमिक कर्तव्य चयन प्रक्रिया का संचालन करना है। इस तरह की स्थिति से अनजान नहीं रह सकता था। इस तरह का उचित अनुरोध किया गया। यह लोक सेवा आयोग पर निर्भर है कि या तो इंटरव्यू प्रक्रिया को स्थगित करें या ऑनलाइन इंटरव्यू आदि जैसे वैकल्पिक समाधान उपलब्ध कराएं, यदि यह नियमों के अनुसार स्वीकार्य है।”
कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि चयन प्रक्रिया तेजी से आगे नहीं बढ़ रही। खासकर यह देखते हुए कि विज्ञापन 2020 में जारी किया गया, फिर भी GPSC ने परीक्षा परिणाम दिसंबर, 2023 में घोषित किया गया।
इन प्रारंभिक टिप्पणियों के आलोक में न्यायालय ने हस्तक्षेप करना आवश्यक समझा, जिसके परिणामस्वरूप उत्तरदाताओं को नोटिस जारी किया गया।
इस बीच न्यायालय ने लोक सेवा आयोग को निर्देश दिया कि वह सहायक प्रबंधक (वित्त और लेखा) वर्ग II के पद के लिए इंटरव्यू परिणाम की घोषणा न करे, जैसा कि नंबर 137/2019-2020 में विज्ञापित किया गया, जब तक कि न्यायालय द्वारा अगला आदेश न दिया जाए।
केस नंबर- आर/स्पेशल सिविल एप्लिकेशन नंबर 425/2024
केस टाइटल- राधिका शंकरभाई पवार बनाम गुजरात लोक सेवा आयोग (जीपीएससी) सचिव के माध्यम से